अगर कोई इंसान विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपने को पाने की जुनून रखता है तो उसकी यह जुनून उस इंसान के सपने को करीब लाने में मदद करती है। आज हम बात करेंगे, आईएएस हिमांशु गुप्ता (IAS Himanshu Gupta) की, जिन्होंने अपनी मुश्किल हालातों में भी हार नहीं मानी और सभी परेशानियों का सामना करते हुए अपनी मंजिल की प्राप्ति की।
मजदूर पिता का बेटा बना आईएएस
आईएस हिमांशु गुप्ता (IAS Himanshu Gupta) के पिता एक मजदूर थे और वो चाय का ठेला भी लगाया करते थे। लेकिन फिर भी उनमें अपने बेटे और बेटियों को अच्छी शिक्षा देने की चाहत थी।
दोस्तों ने बनाया मजाक
हिमांशु (IAS Himanshu Gupta) बताते हैं कि, “मेरे पिता चाय का ठेला लगाया करते थे और स्कूल जाने के पहले मैं भी उनका उस काम में हाथ बटाया करता था। मेरे स्कूल के दूरी 35 किमी था। आना और जाना 70 किमी का होता था। मेरे सभी दोस्त वैन से स्कूल जाया करते थे और स्कूल जाते वक्त उन्होंने मुझे चाय के दुकान पर देख लिया और मुझे स्कूल में “चाय वाला” कहकर चिढ़ाने लगे लेकिन मैने किसी के बातों पर ध्यान देने के बजाय पढ़ाई पर ध्यान दिया। मुझे जब भी समय मिलता था मैं अपने पिता को मदद किया करता था और रोजाना हम अपने दुकान से 400 रूपये कमा लेते थे।”
अंग्रेजी सीखने के लिए खरीदता था अंग्रजी मूवी डीवीडी
हिमांशु (IAS Himanshu Gupta) बताते हैं कि, “हमेशा से हीं मैं बड़ा सपना देखा करता था। मेरे पिता हमेशा कहा करते थे कि, “सपने सच करने हैं तो पढ़ाई करो!” मैने अपने पिता के बातों को खूब सीरियस लिया और पढ़ाई में पूरा मन लगाने लगा ताकि मुझे शहर में किसी अच्छे विश्वविद्यालय में एडमिशन मिल जाए। मेरी अंग्रेजी उतनी अच्छी नहीं थी, इसलिए मैं अंग्रेजी सीखने के लिए अंग्रेजी मूवी डीवीडी खरीदता था।”
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हिंदी कॉलेज में मिला प्रवेश
हिमांशु अपने पिता के 2जी कनेक्शन वाले पुराने फोन का उपयोग किया करते थे और उसपर उन कॉलेजों को सर्च करते थे, जिसमे उन्हे दाखिला मिल सके। फिर उन्होंने बोर्ड एग्जाम में अच्छा मार्क्स हासिल किया और उन्हे हिंदू कॉलेज में दाखिला मिल गया।
नहीं बनना चाहते थे माता-पिता पर बोझ
हिमांशु अपने माता-पिता पर बोझ नहीं बनाना चाहते थे इसलिए खुद के खर्च निकालने के लिए खाली समय में ट्यूशन पढ़ाया करते थे और ब्लॉग भी लिखा करते थे। 3 साल बाद वह अपने परिवार में ग्रेजुएट करने वाले पहला व्यक्ति बने।
विश्वविधालय में किया टॉप
अपने मेहनत और लगन से हिमांशु (IAS Himanshu Gupta) ने अपने विश्वविधालय में टॉप किया और इसके बाद उन्हें विदेश में पीएचडी करने के लिए छात्रवृत्ति मिली लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया क्योंकि वह अपने परिवार को छोड़ विदेश नहीं जाना चाहते थे। इतना कठिन निर्णय लेने के बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला लिया।
तीन पर पास की यूपीएससी एग्जाम
हिमांशु (IAS Himanshu Gupta) ने वर्ष 2018 में प्रथम बार यूपीएससी का एक्जाम दिया था और उस दौरान उनका चयन भारतीय रेलवे यातायात सेवा के लिए हुआ। फिर उन्होंने वर्ष 2019 में दूसरी बार यूपीएससी एग्जाम दिया और इस बार भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में उनका चयन हुआ और तीसरे बार उन्होंने वर्ष 2020 में एग्जाम दिया, इस दौरान उनका सिलेक्शन भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ।
लोगों को मिल रही है प्रेरणा
हिमांशु गुप्ता (IAS Himanshu Gupta) के इस कठिन सफर के बारे में जानकर लोग उनसे बहुत प्रेरित हो रहे हैं। लोग उनके कड़ी मेहनत और जज्बे को सलाम भी कर रहे हैं।
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