केरल (Kerala) के “पथानामथिट्टा” (Pathanamthitta) जिले ने पिछले दो साल में एक के बाद एक मुश्किल हालात झेले हैं। हांलाकि, इस जिले को मशहूर करने वाला और दुनिया भर का ध्यान इसकी ओर खींचने का कारण ये मुश्किल हालात नहीं, बल्कि उनसे बखूबी उबरने के तरीके हैं। जिसका श्रेय युवा कलेक्टर पी.बी. नूह ( IAS P.B. Nooh) को जाता है। वह इन दिनों कोरोना (Corona) से निपटने को लेकर बेहतरीन काम करने के लिए तारीफें बटोर रहे हैं और इन दिनों वह पूरे केरल (Kerala) में लोगों के दिल में बस गए हैं और पूरे देश के लोगो के लिए उनके दिल के सुपरस्टार बन गए है। उनके काम से लोग इतने खुश है कि उनका ट्रांसफर रुकवाने के लिए लोगो ने सरकार से अपील की है।
कौन है पी.बी. नूह (IAS P.B. Nooh):-
आईएएस पी.बी. नूह (IAS P.B. Nooh) एर्नाकुलम जिले के मुवातुपुझा के मूल निवासी हैं, जो कि केरल (Kerala) राज्य में हैंं। उनके पिता “बावा” (Bava) एक छोटी सी राशन की दुकान चलाते थे और परिवार के 10 लोगों का पालन-पोषण उसी कमाई के भरोसे था। नूह बताते हैं, मेरे पेरेंट्स की कोशिश थी कि सभी बच्चों की पढ़ाई अच्छी हो। हमें माता-पिता ने कभी स्कूल से छुट्टी नहीं लेने दी। आगे कहते हैं, पूरी स्कूलिंग में सिर्फ दो दिन स्कूल से छुट्टी ली और वो भी उनके दादा-दादी की मौत के वक्त। नूह के भाई “पी.बी सलीम” (IAS P. B. Saleem) भी आईएएस हैं और उनके (नूह) सिविल सर्विस में जाने के लिए के लिए मार्गदर्शक भी हैं।
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सरकारी स्कूल में पढ़ाई किये है आईएएस पी.बी नूह :-
आईएएस पी.बी. नूह (IAS P.B. Nooh) अपने भाई बहनों में सातवें स्थान पर थे और इनके पिताजी किराने की एक छोटी-सी दुकान चलाया करते थे। माँ एक हाउसवाइफ थी। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वज़ह से इन्होंने तथा उनके सारे भाई-बहनों ने सरकारी स्कूल में ही अपनी पढ़ाई पूरी की। नूह कहते हैं, “मेरे भाई बहुत पढ़ाकू थे और मैं ठीक ठाक स्टूडेंट। ज्यादातर बच्चों की तरह मैं भी डॉक्टर बनना चाहता था लेकिन आर्थिक स्थिति सही नही होने के कारण मैं अपना सपना पूरा नही कर पाया। हायर सेकेंडरी (Higher secondary) पास करने के बाद लगा कि खेती करूंगा लेकिन खेती से जुड़ी संभावनाओं के बारे में ज्यादा मालूम नहीं था तो निराश हो गया। मैं फर्स्ट इयर स्टूडेंट था जब भाई ने यूपीएससी (UPSC) पास की। उसके बाद से बिना भटके मैं भी पढ़ाई करने लगा। बैंगलुरू की युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस (University of Agricultural Sciences, Bangalore) से पीजी किया और पहले प्रयास में आईएफएस (IFS) बना और 2012 में दूसरी बार यूपीएससी (UPSC) देकर आईएएस (IAS) बना”।
बाढ़ और कोरोना में लोगों का मदद कर उनके दिलों में बनायी जगह :-
केरल(Kerala) के “पथानामथिट्टा” (Pathanamthitta) जिले का कलेक्टर “पी.बी. नूह” (P. B. Nooh) आजकल लोगो के लिए हीरो बन गये हैं। उन्होंने सिर्फ अपने जिले “पथानामथिट्टा” के लोगों का ही नहीं बल्कि पूरे केरल के लोगों का दिल जीत लिया है। पिछले दिनों सीपीएम के विधायक “जेनिश कुमार” (Jenish kumar) के साथ “नूह” का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। तस्वीर में “नूह” राशन की बोरी को कंधे पर उठाये नदी पार करके एक आदिवासी गांव जा रहे थे। “पी.बी. नूह” एक आइसोलेटेड फैमली की मदद करने पहुंचे। ये तो वायरल होने का किस्सा है। हीरो तो वह इसलिए बने हैं कि उन्होंने अपने जिले को कोरोना वायरस के ग्रीन जोन में पहुंचा दिया है। यह उपलब्धि बहुत स्पेशल है और वो इसलिए है क्योंकि केरल का यह “पथानामथिट्टा” (Pathanamthitta) वही जिला है, जहां सबसे पहले कोरोना के सर्वाधिक मरीज मिले थे और यहां कोरोना (Corona) के काम्युनिटी ट्रांसमिशन (Community transmission) का खतरा बरकरार था। यहां इटली (Italy) से एक एनआरआई परिवार आया था। इस परिवार के सदस्य , जो बाद में पॉजिटिव निकले। मालूम ना होने तक ये लोग कुछ जगहों पर घूम चुके थे, कुछ सरकारी दफ्तर और कुछ रिश्तेदारों के यहां। नूह बताते हैं, ” जब पता चला कि, इस परिवार के लोग और उनके रिश्तेदार पॉजिटिव टेस्ट हुये हैं तो मैं तिरुवनंतपुरम में एक मीटिंग से लौट रहा था। मुझे ये खबर मिली कि पांच लोग पॉजिटिव आये हैं। हमारे पास इसके लिए कोई प्लान ही नहीं था। पथानमथिट्टा पहुंचते ही रात को 11 बजे हमने “हेल्थ डिपार्टमेंट” (Health department) के ऑफिसर्स और डॉक्टर्स के साथ वीडियो कान्फ्रेन्सिंग (Video conferencing) की। अगली सुबह हमने एक टास्क फोर्स बनाई जिसमें 50 डॉक्टर शामिल थे और साथ ही जिले के लिए एक एक्शन प्लान भी। ऐसे हालात के लिए तुरंत एक्शन लेना बेहद जरूरी था , लेकिन साथ ही ये भी ध्यान रखना था कि लोग पैनिक न करें। यह इलाका केरल (Kerala) का पहला जिला था, जहां संक्रमित मरीज से मिलने वालों का पता करने के लिए फ्लो चार्ट का इस्तेमाल हुआ। इसके लिए रूट मैप बनाया, जो बताता था कि कोच्ची एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ये पति-पत्नी और उनका 24 साल का बेटा कहां – कहां गये। तब तक उनके परिवार के कई लोग पॉजिटिव आ चुके थे और प्रशासन को यह फ्लो चार्ट पब्लिक करना पड़ा। बहरहाल सब पर नजर रखी गई करीब 1300 लोगों पर।”
बाद में पूरे देश में “नूह” के फ्लोचार्ट को कोरोना संदिग्धों की पहचान और आईसोलेशन में इस्तेमाल किया गया। अब जब देश 1.12 लाख कोरोना मरीजों से कराह रहा है तो “नूह” का जिला ग्रीन जोन में है । रेड जोन से ग्रीन जोन में आने में इस जिले को 40 दिन लगे। जिस समय “पी.बी. नूह” ने राशन की बोरी ढोई थी उस समय केरल में 286 कोरोना मरीज थे जो देश में सबसे अधिक था।
ट्रांसफर के बाद लोगों ने की ट्रांसफर रोकने की मांग :-
दरअसल “पी.बी. नूह” अपने कार्यों को लेकर बहुत प्रसिद्ध हो चुके थे , इसीलिए जब उनका ट्रांसफर हुआ तो लोगो ने उनका ट्रांसफर रुकवाने के लिए सरकार से अपील की।