सोफ़िया के जैसे ही एक और रोबोट का निर्माण हुआ है, जिसमें सोफ़िया से भी ज्यादा गुण हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 100% कचरे से बनाया गया है। यह रोबोट। IIT बॉम्बे (Bombay) के केंद्रीय विद्यालय ब्रांच के कंप्यूटर साइंस टीचर दिनेश पटेल (Dinesh Patel) ने इस रोबोट को बनाया है। उन्होंने उस ह्यूमनॉइड रोबोट (Humanoid robot) को ‘शालू’ (Shalu) का नाम दिया है, जो बहुत से काम कर सकती है।
100% वेस्ट से बना ह्यूमनॉइड रोबोट
दिनेश पटेल बताते हैं कि शालू पहली ऐसी ह्यूमनॉइड रोबोट (Humanoid robot) है, जिसे 100% वेस्ट से बनाया गया है। दिनेश ने इस रोबोट को ख़राब प्लास्टिक, कार्डबोर्ड, लकड़ी और अल्युमिनियम के कुछ हिस्से के मदद से बनाया है। वह बताते हैं कि यह रोबोट दिखने में खूबसूरत नहीं है, परंतु यह बहुत से काम कर सकती है। दिनेश को शालू का निर्माण करने में कुल लागत 50 हज़ार की हुई।
डिजिटल इंडिया मिशन से मिली प्रेरणा
दिनेश को इस robot को बनाने में लगभग 3 साल का समय लगा। दिनेश बताते हैं कि उन्हें इस ह्यूमनॉइड robot शालू को बनाने की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के डिजिटल इंडिया मिशन से मिली। इस मिशन कि शुरूआत होने के बाद ही दिनेश ने इस पर काम करना शुरू किया था। Robot शालू में बहुत सी ख़ूबियां है। जैसे- शालू लोगों के चेहरे याद रखती है, उन्हें देखकर ही पहचान लेती है। उसके पास आम चीज़ों को पहचानने की भी क्षमता है।
रोबोट शालू बच्चों को पढ़ाने में है सक्षम
शालू को 9 भारतीय भाषाओं की ज्ञान है, जिसमें प्रमुख भाषा अंग्रेज़ी है। इसके अलावा हिंदी, गुजराती, मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, बांग्ला और नेपाली में यह बात कर लेती है। दिनेश बताते है कि शालू कंप्यूटर की क्लास में बच्चों को पढ़ाने
में भी सक्षम है। साथ ही वह GK के क्विज़, मैथ्स की इक्वेशन सब कर लेती है। शालू की आवाज़ कुछ-कुछ गूगल (Google) की वॉइस असिस्टेंट और Apple की अलेक्सा से मिलती है।