2016 में शहरों और महानगरों के बीच स्वच्छता को लेकर एक वार्षिक प्रतिस्पर्धा की शुरुआत की गई। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा यह प्रतिस्पर्धा ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ नाम से शुरू हुई। वर्ष 2016 में हुए इस सर्वेक्षण का पहला खिताब मैसूर ने प्राप्त किया। 2016 से 2019 तक हुए स्वच्छ सर्वेक्षण के 4 संस्करण में से 3 (2017, 2018, 2019) का खिताब इंदौर ने अपने नाम किया था। भारत सरकार ने 20 अगस्त को ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2020’ का परिणाम ‘स्वच्छ महोत्सव’ नामक एक वर्चुअल कार्यक्रम में घोषित किया।
लगातार चौथी बार इंदौर ने मारी बाज़ी
पिछले तीन सालों की तरह इस साल भी मध्यप्रदेश का इंदौर शहर सफ़ाई के मामले में पहले स्थान पर है। 2017 से लगातार मध्यप्रदेश का इंदौर शहर इस सर्वेक्षण में शीर्ष पर बना हुआ है। लगातार टॉप पर रहने वाले इंदौर शहर को इस साल 5647 पॉइंट्स मिले हैं। इस तरह राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले (10 लाख से अधिक की आबादी पर) इस प्रतिस्पर्धा ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2020’ का खिताब एक बार फिर इंदौर को प्रदान किया गया।
टॉप 10 सबसे साफ़ सुथरे शहरों की लिस्ट में गुजरात राज्य के 4 शहर शामिल
इंदौर के बाद देश के स्वच्छ शहरों में गुजरात का सूरत शहर 5519 पॉइंट्स प्राप्त कर दूसरे, महाराष्ट्र का नवी मुंबई 5467 पॉइंट्स के साथ तीसरे, आंध्र प्रदेश का विजयवाड़ा 5270 पॉइंट्स से चौथे और गुजरात का अहमदाबाद 5207 पॉइंट्स प्राप्त कर पांचवे स्थान पर है। टॉप 10 सबसे साफ़ सुथरे शहरों की लिस्ट में गुजरात राज्य के 4 शहर शामिल हैं जिसमें सूरत और अहमदाबाद के बाद राजकोट छठवें व वडोदरा दसवें पायदान पर मौजूद है। राजकोट को 5157 पॉइंट्स तथा वडोदरा को 4870 पॉइंट्स मिले हैं। सातवें स्थान पर भोपाल (5066 पॉइंट्स), आठवें पर चंडीगढ़ (4970 पॉइंट्स) और नवें स्थान पर विशाखापट्टनम (4918 पॉइंट्स) है।
नदियों के किनारे बसे शहरों में वाराणसी सबसे साफ़
राष्ट्रीय स्तर पर टॉप 20 सबसे साफ़ सुथरे शहरों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश के 3 शहर हैं। लखनऊ 12वें, गाजियाबाद 19वें और प्रयागराज 20वें स्थान पर है। वाराणसी को नदियों के किनारे बसे शहरों में सबसे साफ शहर होने का तमगा हासिल हुआ। पंजाब के जलंधर शहर को देश के सबसे स्वच्छ कैंटोंमेंट का खिताब मिला है। बिहार की राजधानी पटना इस श्रेणी की सूची में सबसे निचले पायदान पर है।
कैसे बना इंदौर नंबर 1
किसी शहर की खूबसूरती ख़राब करने में अहम भूमिका निभाते हैं, शहर में इधर-उधर फेंके गए कूड़े-कचरे। इसलिए मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने वेस्ट रिडक्शन पर काम किया। वहां के लोगों ने सिंगल यूज प्लास्टिक को सिर्फ थियोरीटिकली ही नहीं प्रैक्टिकली भी बैन किया। डिस्पोजल के स्थान पर ‘बर्तन बैंक’ और थैलियों के विकल्प में ‘झोला बैंक’ की शुरुआत की।
इस प्रतिस्पर्धा का मुख्य उद्देश्य सफाई के प्रति आम जनता को जागरूक कर उनके व्यवहार व सोच में परिवर्तन लाना है। साथ ही इसका मकसद भारत के सभी शहरों को साफ़-सुथरा व सुन्दर बनाना भी है। The Logically ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ नाम से शुरू हुई इस पहल की सराहना करता है और लगातार चौथी बार टॉप पर बने रहने के लिए इंदौर शहर को बधाई देता है।