Wednesday, December 13, 2023

अपराध के मामले में इस IPS ऑफिसर ने मुख्यमंत्री और DGP से लोहा लिया था, इन्हें कई वीरता पुरस्कार मिल चुके हैं

महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नही हैं , इसे साबित किया है मणिपुर की महिला पुलिस अधिकारी थोउनाओजम बृंदा ने, आज हर कोई इनसे परिचित है। ऑफिसर का पद मिलने पर कुछ अधिकारी गलत कामों को बढ़ावा देते है और वहीं कुछ उसके खिलाफ जंग में अपनी नौकरी भी दाव पर लगा देते है। आज हम आपको एक ऐसी महिला पुलिस अधिकारी से रूबरू कराएंगे जिन्होंने अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा के बाद पुनः नौकरी ज्वाइन कर मणिपुर में हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाकर उन्होंने इस बार राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह पर आरोप लगाया है।

सीएम एन बीरेन सिंह पर लगा आरोप –

मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह पर महिला पुलिस अधिकारी बृंदा द्वारा आरोप लगाया गया है कि नशीले पदार्थ की छापेमारी के समय गिरफ्तार किए गए आरोपी को छोड़ने के लिए सीएम द्वारा बृंदा पर दबाव बनाया जा रहा था ।

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बृंदा के अनुसार उनके नेतृत्व में NAB द्वारा छापेमारी कर गैर कानूनी नशीले पदार्थ के धंधे के मामले में गिरफ्तारी की गई, जिसमें ड्रग्स के साथ कैश भी बरामद हुए थे। 2018 में 19-20 जून की रात को वृंदा के टीम द्वारा हुई छापेमारी में बरामद हुए हीरोइन के साथ ड्रग्स की इंटरनेशनल मार्केट में कीमत लगभग 30 करोड़ थी । उस समय की गई गिरफ्तारी से राजनीति में हरकंप मच गया क्योंकि अक्सर गैर कानूनी काम को बढ़ावा पुलिस और राजनीतिक दोनों जगह से ही मिलता है लेकिन यहां मामला कुछ अलग ही था।




गिरफ्तार हुए आरोपीयों में चंदेल जिले के 5वीं स्वायत्त जिला परिषता के चेयरमैन भी थे जो 2015 में कांग्रेस के टिकेट पर चेयरमैन बने थे। आगे वह 2017 में बीजेपी में चले गए। उनके गिरफ्तारी के बाद पुलिस विभाग पर केश दबाने का दबाव भी बनाया जा रहा था।

पुलिस अधिकारी थाउनोओजम बृंदा का परिचय –

Thounaojam Brinda 33 साल की उम्र में मणिपुर पब्लिक सर्विस कमिशन की परीक्षा दी, उस उम्र में अक्सर महिलाएं अपनी घर गृहस्थी सम्भाल रही होती है लेकिन वृंदा का सपना पुलिस ऑफिसर बनने का था। जिसके लिए वो कड़ी मेहनत कर रही थी उस समय उनके भी दो बच्चे थे। उस परीक्षा में 138 लोग पास हुए थे जिनमें वह 34वीं रैंक प्राप्त की थी। उनके परीक्षा पास करने और कॉल लेटर आने के बाद भी अंतिम लिस्ट में नाम नहीं आया था और उसके पीछे उनके ससुर का हाथ था।

Photo-Internet

बृंदा के ससुर –

आरके चिंगलेन से वृंदा की शादी हुई है जिनके पिता का नाम राजकुमार मेघेन है। राजकुमार प्रतिबंधित नक्सली ग्रुप “यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट” के चेयरमैन थे। वृंदा के अनुसार उनके ससुर से उनकी पहली मुलाकात 2011 में कोर्ट में हुई, जो मणिपुर में कई अपराधिक कामों की अगुवाई किए थे। उनके दो बेटे थे जिनमें एक बृंदा के पति हैं। राजकुमार अपने पत्नी और दोनों बेटों को छोड़कर साल 1975 में अपने घर से भाग गए थे, उस समय बृंदा के पति बहुत छोटे थे जिसके कारण उनकी भी पिता से मुलाकात ना के बराबर याद थी, बृंदा के साथ कोर्ट में ही उनकी पहली मुलाकात हुई थीं।

कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मिली थी बृंदा को नौकरी

बृंदा की नौकरी में अर्चन उनके ससुर के वजह से आईं थी जिससे वह बहुत परेशान हुई लेकिन हार नहीं मानी। नौकरी नहीं मिलने के कारण वृंदा परेशान होकर कोर्ट तक पहुंची कोर्ट के कार्यवाही के बाद उन्हें नौकरी मिली थी। नौकरी पाने के बाद भी वृंदा अपनी मेहनत और ईमानदारी से 3 साल बाद डीएसपी की रैंक प्राप्त की।




DSP Brinda ने दिया इस्तीफा

DSP के पद से वृंदा ने इस्तीफा दिया और वजह अपना निजी मामला बताया। कुछ समय बाद वृंदा ने कहा पुलिस विभाग को उनपर भरोसा नहीं था, उत्पीड़न का शिकार होकर उन्होंने इस्तीफा दिया है। वैसे माहौल में वृंदा काम नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह इमानदार ऑफिसर थी जो गैर कानूनी कामों को बढ़ावा नहीं दे सकती थी। लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था, जिससे वह कई साल बाद पुनः नौकरी में आईं।

Thounaojam Brinda को मिला वीरता पुरस्कार

पुनः नौकरी में आकर वृंदा ने ड्रग रेकेट्स के खिलाफ कार्यवाही किया जिसके लिए उन्हें फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री से साल 2018 में सम्मानित किया और बाद में  वीरता पुरस्कार और मुख्यमंत्री प्रशस्ति पत्र भी मिला।

The Logically, Thounaojam Brinda जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसर को नमन करता है ।

Logically is bringing positive stories of social heroes working for betterment of the society. It aims to create a positive world through positive stories.