Wednesday, December 13, 2023

बेसहारा बच्चों के लिए बनीं सहारा, एक विदेशी साध्वी, जो भारत में रहकर कर रहीं 50 बच्चों का भरण-पोषण

जन्म देने वाला बड़ा नहीं होता बल्कि जो आपका लालन-पालन करे वही सबसे बड़ा होता है। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिन्होंने बच्चों को जन्म तो नहीं दिया लेकिन उनका लालन-पालन कर उन सब की मां कहलाईं। वह एक या दो नहीं बल्कि 50 बच्चों की मां बनकर उनका ख्याल रख रही हैं।

मदर टेरेसा से हुई प्रभावित

ये इतालवी नन लगभग 2 दशकों से हमारे देश के दक्षिण भारत के बेसहारा, बेबस और बेघर बच्चों का देखभाल कर उनकी उम्मीद बनी हुईं हैं। वह महिला फैबियोला फैब्री (Fabiola Faibree) हैं जो मदर टेरेसा (Mother Teresa) से कार्यों से प्रभावित होकर उनके नक्शे कदम पर चल रही हैं।

Italian nun Fabiola Faibri nurturing destitute children

सारे बच्चे ‘अम्मा’ नाम से हैं पुकारते

वर्तमान में आश्वासा भवन नामक शेल्टर होम में करीब 50 बच्चे रहते हैं। इस भवन की शुरुआत फैबियोला फैब्री ने वर्ष 2005 में की थी। फैबियोला फैब्री यहां के बच्चों को उचित आवास खान-पान के साथ मां का प्यार भी देती हैं इसलिए सब उन्हें अम्मा कहते हैं।

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वर्ष 2013 में हुई भारत की नागरिकता प्राप्त

वह बहुत हीं अच्छी मलयालम बोलती हैं जिसे सुनकर लोग हैरान हो जाते हैं। वह वर्ष 1996 से बच्चों की देखभाल में लगी हैं और अब वह 54 वर्ष की हो चुकी हैं। वर्ष 2005 में वह Guillain-Barre syndrome नामक बीमारी रियर डिसोडर की शिकार हो गई थी। उन्हें हमारे देश की नागरिकता वर्ष 2013 में मिली।

Italian nun Fabiola Faibri nurturing destitute children

भगवान का करती है शुक्रिया अदा

इस रोग से ग्रसित होने के बाद इंसान का इम्यून सिस्टम उसके नस पर प्रभाव डालता है। इतनी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी। जब वह ठीक हो गई तो उन्होंने भगवान का शुक्रिया अदा किया और कहा कि मैं भगवान की कृपा से ही फिर से ठीक हो पाई हूं।

बच्चे इस शेल्टर होम में 18 वर्ष तक रहते हैं और फिर वो आगे यह निर्णय लेने की आज़ाद है कि उन्हें क्या करना है? अगर उन्हें पढ़ाई करना है तो कर सकते हैं नहीं तो अपने परिवार के पास भी जा सकते हैं।

है लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था

यहां लगभग 25 कर्मचारी कार्य करते हैं और यहां रहने वाले बच्चे बच्चियों की हर व्यवस्था अलग है। वहीं 18 वर्ष से अधिक उर्म के बच्चियों के उच्च अध्ययन हेतु एरामलूर में एक केंद्र की स्थापना हुई है।