Covid – 19 के सेकेंड वेव के दौरान संक्रमण की चपेट में आए लोगों की संख्या काफी अधिक रही। ऐसे में मेडिकल सेक्टर पर जिम्मेदारी भी अधिक बढ़ गई। इस मुश्किल समय में डॉक्टर्स और नर्सों के योगदान का लोहा हर किसी ने माना। IMA (Indian Medical Association) की रिपोर्ट के अनुसार Covid – 19 सेकेंड वेव के दौरान 719 डॉक्टरों ने संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान अपनी जान गवाई है। हम इन डॉक्टर्स की कमी को तो पूरा नहीं कर सकते हैं लेकिन इस संक्रमण रूपी चैलेंज से अन्य डॉक्टरों की मदद जरूर की जा सकती है। (Challenges of Covid 19)
अब संक्रमित मरीजों के इलाज में रोबोट करेंगे मदद
कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए नर्सिंग स्टाफ व डॉक्टर्स को बार-बार पेशेंट के पास जाना पड़ता है, जिससे उन्हें खुद संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग सेक्टर ने अच्छी तरकीब निकाली है। Entrepreneur Raghav Sharma from Jodhpur ने एक रोबोट का प्रोटोटाइप तैयार किया है। इसे “कोरोना बोट” का नाम दिया है। इसकी मदद से डॉक्टर्स और स्टाफ को इलाज के दौरान मरीज के पास बार-बार जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। (Corona bot for doctors)
क्या है कोरोना बोट?
कोरोना बोट पर एक बॉक्स (Hopper) लगाया गया है जिसमें दवाई और दूसरी चीजें रखकर मरीजों के पास भेजी जा सकती है। इसे वॉइस कंट्रोल व मोबाइल से ऑपरेट किया जा सकता है। इसे तैयार करने के लिए वॉइस कंट्रोल मॉड्यूल व मोबाइल ऑपरेशन का उपयोग किया गया है। बता दें कि इसे किसी भी मोबाइल से जोड़ा जा सकता है और रोगी तक वार्ड में कोई भी वस्तु पहुंचाने के लिए इसे 20 फीट दूरी से उपयोग किया जा सकता है। इससे जुड़ी एक एप भी बनाई गई है, जिसके माध्यम से इसे ऑपरेट किया जा सकता है।
राघव का कहना है कि प्रोटोटाइप बोट के लिए कुछ पार्ट्स नहीं मिलने के कारण घर पर ही जुगाड़ और पुराने सामान का प्रयोग कर इसे बनाया गया है।
AIIMS में हुआ परीक्षण, डॉक्टर ने बताया कारगर
इस रोबोट को ट्रायल के लिए AIIMS (जोधपुर) के Dr. Tanmay Motiwala को सौंपा गया। जिन्होंने बताया कि ” मरीजों तक दवा, खाना और अन्य जरूरी चीजें पहुंचाने के लिए यह रोबोट कारगर है। न तो डाक्टर न ही मरीज को इस रोबोट को टच करने की जरूरत होती है। इसका कंट्रोल पूरी तरह मोबाइल से होता है। इस रोबोट को बनाने की लागत 6-7 हजार है।”
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सफलता के बाद अब 6 फीट का ‘कोरोनाबोट’ है तैयार
इस सफलता के बाद राघव ने अपने प्रोजेक्ट को और मॉडिफाई किया है। यानी कि अब इस तकनीक को एक 6 फीट ऊंचे ‘कोरोनाबोट’ में तब्दील कर दिया गया है।
इसमें दवा व अन्य सामान रखने की ट्रे है। यह पेशेंट्स के पास जाकर जरूरी सामान जैसे फूड पैकेट, दवाई, बोतल जैसे चीजें बिना गिराए सौंप सकता है।
नया कोरोनाबोट है और भी स्मार्ट
इस पर तापमान मापने के लिए थर्मो गन व पल्स ऑक्सीमीटर भी लगा है जो ऑटोमेटिक कंट्रोल होता है। रोबोट के निचले हिस्से में सैनिटाइजेशन चेंबर भी है ताकि जरूरी उपकरण सैनिटाइज किए जा सकें। इसके अपग्रेडेड वर्जन में कैमरा बेस्ट ट्रैकिंग की सुविधा स्मार्टफोन स्ट्रीमिंग की सुविधा भी है। (Features of Coronabot)
ये फीचर्स बनाते है इसे और भी खास, अन्य रोबोट से अलग
AIIMS के स्वास्थ्य अधिकारियों के सामने इसका सफल परीक्षण भी ही चुका है। राघव का कहना कि आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल को ध्यान में रखकर इसे बनाया गया है। कोरोना काल में भारत में सिर्फ तीन-चार रोबोट ही बने हैं। यह चौथा रोबोट है लेकिन इसमें दूसरे रोबोट्स की बजाय कई खासियत भी है। अब तक जो भी रोबोट बने हैं, वे गाड़ी की तरह बने हैं और वे ऑटोमेटिक कंट्रोल करके चलाने वाले हैं लेकिन “कोरोनाबोट’ प्रॉपर रोबोट के फॉर्म में है। इसमें सेंसर भी लगे हैं और इसके उपकरण भी आसानी से मिल सकेंगे। कोरोनाबोट की एक और खासियत इसका बैटरी बेकअप है। सिर्फ 25 मिनट में चार्ज होने पर यह ढाई से तीन घंटे तक काम लिया जा सकता है। (Covid patients helping robot in India)
किसी भी सेक्टर के लिए उपयोगी है ये रोबोट
राघव ने बताया, कोरोनाबोट का उपयोग हॉस्पिटल के अंदर भी सैंपल्स को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने या लैब में ले जाने के लिए और मरीजों को देने के लिए काम में लिया जा सकता है। इसके अलावा एयरपोर्ट, आईटी इंडस्ट्री, होटल इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह रोबोट इतना उपयोगी है कि यह रेस्टोरेंट में वेटर की जगह लेकर टेबल पर सर्व भी कर सकता है। (Use of robot in various sectors)
खेल – खेल में बच्चे सीख रहें एस्ट्रोफिजिक्स और रोबोटिक्स
बहुमुखी प्रतिभा के धनी राघव के यूथ पार्लियामेंट के वक्तव्य को राष्ट्रीय स्तर पर चयनित किया जा चुका है। राघव Skillonation Edtech के फाउंडर भी है। फिलहाल उनकी skillonation kids की टीम बच्चों में प्रश्न पूछने और अवलोकन कौशल विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। बता दें कि ये एक ऐसा कोर्स है जिसमें बच्चों को खेल – खेल में एस्ट्रोफिजिक्स, रोबोटिक्स, कोडिंग, आर्ट्स, भाषा शैली, जर्मन, फ्रेंच सिखाई जाती है। साथ ही भागवत गीता के वैज्ञानिक आधार सरीखे जानकारी दी जाती है।
हिंदी मीडियम के बच्चों के लिए खास मुहीम
बच्चों के आइक्यू के साथ ईक्यू और सीक्यू विकास पर ध्यान दिया जाता है। राघव का कहना है कि बच्चे इस तकनीक से रटने के बजाय टॉपिक्स को समझते हैं और अन्य बच्चों के मुकाबले ज्यादा विवेकशील, जागरूक और रचनात्मक होते हैं। अबतक टीम पांच हज़ार से भी अधिक बच्चों को ग्रासरूट इनोवेशन, स्टेम और रोबोटिक्स में प्रशिक्षित कर चुकी है।
हिंदी मीडियम के बच्चों के लिए “क से कोडिंग” की मुहीम भी चलाई जा रही है। इस मुहिम से जुड़ने और अधिक जानकारी के लिए यहां जाएं