काबिलियत किसी स्थान या राज्य के नाम से नहीं बल्कि अपने परिश्रम और लगन के दम पर पाई जाती है। कुछ व्यक्ति यह कहतें हैं कि ये लड़का या लड़की छोटे से गांव या शहर से हैं तो यह ना ही बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकतें हैं ना ही दूसरों के लिए उदाहरण बन सकतें हैं लेकिन ये लोगों का अंधविश्वास है। इसे साबित कर दिखाया है नाज़िया नसीम ने। इन्होंने अपनी लगन के बल बुते पर KBC को जीता है।
नाज़िया नसीम
नाज़िया नसीम (Nazia Nasim) ने अपनी शिक्षा रांची से सम्पन्न की है। इनके स्कूल का नाम DAV श्यामली स्कूल है जिसका अब वर्तमान नाम जवाहर विद्या मंदिर (JVM) है। आगे की पढ़ाई इन्होंने दिल्ली के आईआईएमसी से की। यह अपने पति और बेटे के साथ दिल्ली रहतीं हैं। यह एक अच्छी कम्पनी में कार्यरत हैं।
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KBC का सफर
नाज़िया को 20 वर्षों से KBC में जाने की इच्छा थी।
जब यह KBC में आई और महानायक अमिताभ बच्चन ने इनकी तारीफ में कहा, “मुझे आप पर गर्व है” इस बात पर यह हर्षोल्लास से भर गईं। इन्होंने यह बताया कि मेरे लिए KBC का यह सफर और मेरा यह साल मुझे हमेशा स्मरण रहेगा। इस वर्ष सिर्फ इनकी ही नहीं बल्कि इनकी अम्मी की भी तमन्ना पूरी हुई थी। अपनी तमन्नाओं को पूरा करने का श्रेय यह अपने परिवार वालों को देतीं हैं क्योंकि इन्हें बंदिशों में ना रहकर अपने सपनों के साथ उड़ने की आजादी मिली जिससे यह पढ़-लिखकर इस मुकाम तक पहुँची और अपना सपना पूरा किया। इन्होंने यह बताया कि इनकी अम्मी का निकाह कम उम्र में हुआ था। आज वह आत्मनिर्भर हैं और मुझे भी इस काबिल बनाया कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हो सकूं।
खतरों से डरी नहीं
नाज़िया ने यह बताया कि जब वह 13 प्रश्नों के उत्तर देकर 25 लाख जीत चुकी थी। अपने इन उत्तर से यह निश्चित नहीं थी परन्तु कॉन्फिडेंस के साथ जवाब देती रही और जीत हासिल होती गई। खुशी से इनकी आंखे नम थी। इन्होंने अपने पति और अम्मी को देखकर आत्मविश्वास बढ़ाया। आगे वह कहती हैं कि जब 16वें सवाल का जवाब अमिताभ बच्चन जी को दिया और फिर उसका परिणाम आया तब मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। अपनी इस इस जवाब से मैं सिर्फ 1 करोड़ रुपये हीं नहीं जीती बल्कि इस सीजन की फर्स्ट विनर भी बनी।
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हैं महिलावादी
यह खुद को महिलावादी बताती हैं। इन्होंने यह बताया कि एक दिन मैं सोन चिरैया मूवी देख रही थी, इसमें एक लाइन थी, “औरत की कोई जात नहीं होती” जिसे महिला कलाकार ने बहुत ही आकर्षक अंदाज में कहा था। यह मुझे बहुत अच्छा लगा था। नाज़िया यह चाहती हैं कि हमारे पेरेंट्स हमें इसलिए पढ़ाये ताकि हम खुद कुछ कर सकें, इसलिए नहीं कि हमारी शादी अच्छे घरों में हो। इनका मानना है कि अगर हम एक सफल व्यक्ति बन जाएंगे तो शादी खुद अच्छे घरों में हो जाएगी। यह अपने बेटे को इस तरह बनाना चाहती हैं कि वह औरतों की कद्र करे और इनके परिवार में महिलाओं की आज़ादी का यह सफर जारी रहे।
पिता ने कभी नहीं किया बेटे बेटियों में फर्क
इनके अब्बू का नाम मोहम्मद नसीमुद्दीन है और यह ऑथिरिटी ऑफ इंडिया में कार्यरत थे लेकिन अब रिटायर्ड हैं। इन्होंने अपने बच्चों में कभी कोई फर्क नहीं किया बल्कि इन्हें एक समान स्कूलों में पढ़ाया। इन्हें इस बात की खुशी है कि आज इनके बच्चे अपने पैरों पर खड़ें हैं और अपने परिवार का नाम रौशन कर रहें हैं।
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केबीसी जीतकर और आत्मनिर्भर बनकर अपनी जिंदगी को आनन्दमय व्यतीत करने के लिए The Logically नाज़िया को ढेरों बधाई देता है।
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