भारत जो एक कृषि प्रधान देश है, यहां किसान अपने हितों की रक्षा के लिए बहुत से अभियान चलाते रहते हैं। जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके, उनकी कृषि स्तर में सुधार हो, उन्हें प्रर्याप्त सरकारी सहायता मिले आदि। उसी संदर्भ में भारत सरकार का यह दावा है कि उनके द्वारा बनाए गए नए कानूनों में कांट्रैक्ट से किसानों को बहुत लाभ होगा। जो फसल खराब हो जाता है उसे रोकने में भी वह सक्षम होंगे। इससे किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होगी तथा उन्हें अच्छी कीमत भी मिलेंगी।
नए कानून से पैदावार में होगी बढ़ोतरी
इस नए कानून से बड़ी कंपनिया भी छोटी जोत के किसानों के समूह में निवास करेंगे, जिससे उन्हें अपने फसल का पूरा दाम मिलेगा। नए कानून को जानने के लिए पहले उसके तह तक जाना बहुत जरूरी है। इस कानून के तहत कांट्रैक्ट खेती के प्रावधान से फसलों के हार्वेस्ट एंड पोस्ट हार्वेस्ट होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। इससे जो फसल पूरा पकने के बाद खराब हो जाता है, उसे ऐसा होने से बचाया जा सकता है। इस सभी चीजों से पैदावार में भी निश्चित हीं बढ़ोतरी होगी।
किसानों को होगा अधिक लाभ
रिपोर्ट के अनुसार अब भी हमारे देश में उतनी फसल होती है जिससे खाद्यान्न की मांग को पूरा किया जा सके। फसल के पकने के बाद उसकी कटाई, मड़ाई, ढुलाई और सुरक्षित भंडारण जैसे कार्य की जिम्मदारी अब किसानो को नहीं उठानी पड़ेगी। पोस्ट हार्वेस्ट से होने वाली नुक्सान को आधुनिक टेक्नोलॉजी द्वारा रोका जा सकता है।
नए कानून से किसानों के नुकसान को रोका जा सकता है
साल 2015 के एक रिपोर्ट के अनुसार पोस्ट हार्वेस्ट स्तर पर उगाए गए अनाज में 4.6 से 6 फीसद, दलहनी फसलों में 6.4 से 8.4 फीसद, तिलहनी फसलों में 3.1 से 10 फीसद और फल तथा सब्जियों में 12 से 15 फीसद तक का नुकसान हो जाता है। रिपोर्ट के अनुसार सालाना 27 हजार करोड़, तिलहन में 10 हजार करोड़ और दलहन में 5000 करोड़ रुपए का नुकसान हो जाता है। नए कानून द्वारा इस हो रहे नुक्सान को रोका जा सकता है।
The Logically उम्मीद करता है कि सरकार द्वारा बनाए गए इस कानून से किसानों को लाभ होगा।