जिस तरह बाजार से रासायनिक सब्जियां खरीद कर घर लाई जा रही है, उससे हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंच रही है। इसी बारे में विचार कर हमारे देश के किसानों ने “जैविक खेती” (Organic kheti) की शुरुआत की है। इस खेती में हमारे किसान उर्वरक बनाने के लिए गोबर, केंचुए , घर के कूड़े-कचरे, किचन वेस्ट, और मवेशियों के अपशिष्ट का इस्तेमाल करते हैं। जैविक उर्वरक की सहायता से उगाई गईं सब्जियों तथा फलों के सेवन से हमारा स्वास्थ्य सही रहता है। आपको जैविक खेती से जुड़े कुछ किसानों के बारे में पहले की कहानियों के माध्यम से भी बताया जा चुका है कि किसान यह जैविक खेती किस तरह से कर रहे हैं। इस कहानी में हम आपको लखबीर सिंह चाहल के बारे में बतायेंगे, जो मात्र 8 वर्ष की उम्र से खेती कर रहें हैं। आइये पढ़ते हैं लखबीर सिंह चाहल के बारे में-
लखबीर सिंह चाहल का परिचय
लखबीर सिंह चाहल (Lakhbir singh chahal) गांव बेगमपुर (Begampur) के निवासी हैं। यह एक किसान परिवार से संबंधित हैं। इन्होंने महज 8 वर्ष की आयु में ही खेती करनी शुरू कर दी थी। जब यह बाल्यावस्था में थे, तब सुबह उठ कर खेतों में पानी डालने के बाद ही स्कूल जाते थे। ये पढ़ाई के क्रम में कुछ पैसे इकठ्ठे करते रहें ताकि यह विदेशों में जाकर ऑर्गेनिक खेती करने का सलीका सीख सकें। ड्रिप सिस्टम की मदद से खेतों की सिंचाई करना, इन्हें बहुत पसंद आता था। इसलिए जब इनकी 10वीं की पढ़ाई पूरी हुई तो इन्होंने इजराइल और यूके में जाकर ड्रिप सिस्टम द्वारा खेती करने के तरीके को सीखा। जैविक खेती के साथ ड्रिप सिस्टम को बखूबी सीख कर अपने देश भारत लौट आयें। फिर इन्होंने साल 2006 में अपनी 5 एकड़ जमीन में जैविक खेती की शुरुआत की। इन्होंने अपने खेतों में फसल के रूप में सब्जी, फल और पशुओं के चारे उगाये। इनकी यह ड्रिप सिस्टम और जैविक खेती (Organic kheti) इनके मित्र किसानों को बहुत पसंद आई।
लगभग सैकड़ो किसानों को भी सिखाया इस खेती की विधि
लखबीर सिंह से प्रेरणा लेकर इनके मित्र किसानों ने भी इनसे सीखा कि यह जैविक खेती और ड्रिप सिस्टम के द्वारा खेती कैसे करनी है। इसकी जानकारी लखबीर सिंह ने सभी को दी। यह पशुओं के चारे के लिए घर के कचरे, गोबर से खाद बनाकर मिट्टी में मिलाते हैं जिससे पशुओं का चारा हरा और नरम होता है।
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जैविक खेती में सब्जियां, फल और औषधियों के पौधें उगाये
लखबीर सिंह ने अपने खेतों में फल, सब्जियों के साथ दवाइयों के पौधें भी लगाये हैं, जिससे लोगों को बहुत मदद मिल रही है। इन्होंने सब्जियों में मूली, मिर्च, खीरा, शिमला मिर्च और प्याज उगायें हैं। फ़ल और औषधियों में अमरूद, आम, कीनू, चकोतरा, जामुन, पुदीना, नीम पहाड़ी अजवायन और कड़ी पत्ता उगायें हैं।
मिलिट्री के ऑफिसर खरीदे है बासमती चावल
लखबीर सिंह 3 एकड़ भूमि में 1121 बासमती चावल की जैविक खेती करते हैं, जिसे मिलिट्री के ऑफिसर इस चावल को खाने के लिए खरीदते है। क्योंकि 1121 बासमती चावल की महक आफिसरों को बहुत लुभावनी लगती है। इस चावल को यह 80 रुपये किलोग्राम की दर से बेंचते हैं। बासमती चावल के अच्छी उपज के लिए लखबीर सिंह 16 किलोग्राम सरसों के छिलके , गोमूत्र, गुड़, सीरा और करी-पत्ते के उपयोग से उर्वरक बनाते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ ही समय बाद लगभग 2 हजार ग्राम दही का छिड़काव खेतों में किया जाता है ताकि फसल की उपज अच्छी हो। इसलिए 1 एकड़ में लगभग 12 क्विंटल चावल की उपज होती है। लखबीर को बासमती चावल से अत्यधिक मुनाफा होता है।
जैविक तरीको से गुड़ की खेती भी करते हैं
लखबीर सिंह अपने खेतों में प्रत्येक मौसम में गुड़ को भी निर्मित करते हैं। गुड़ को तैयार करने में भी यह जैविक विधि अपनाते हैं। इसलिए इनके गुड़ का निर्यात भारत से विदेशों में किया जाता है। इनके गुड़ का स्वाद काफी अच्छा है। इसलिए इनका गुड़ ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जपान, इटली, फ्रांस, इंग्लैंड, डेनमार्क और कनाडा में बिक्री के लिए जाता है।
लखबीर सिंह को मिल चुके हैं 4 पुरस्कार
लखबीर की काबिलियत और ऑर्गेनिक खेती में अन्य प्रकार के पौधें लगाने के लिए इन्हें 4 पुरस्कार मिलें हैं। साल 2009 में इन्हें डेयरी फार्म के लिए अवार्ड मिलें हैं। 2012 में कृषि विभाग के तरफ से सोयाबीन की खेती के लिए, 2013 में बेस्ट जैविक खेती और 2016 में अधिक पौधें लगाने के लिए फॉरेस्ट विभाग से मिले पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इतनी कम उम्र से खेती करने और उससे जुड़े रहने के लिए The Logically, Lakhbir singh chahal के कार्यों की खूब प्रशंसा करते हुए सलाम करता है।