Home Inspiring Women

पति के एक्सीडेंट के बाद खुद संभाली घर की कमान, कार में ढाबा चलाकर खींच रहीं परिवार की डोर

जब परिवार पर मुसीबत पड़ती है, तो उसे दूर करने के लिए एक महिला कुछ भी कर सकती है। इस बात की उदाहरण हैं, मनिंदर कौर (Maninder Kaur). जब उनके परिवार पर मुसीबत आई तब वह उससे डरी नहीं बल्कि उसका डट कर सामना किया। एक सड़क दुर्घटना में मनिंदर के पति कुलविंदर सिंह (Kulwinder Singh) का पैर बुरी तरह से चोटिल हो गया था, जिस वजह से वह तीन साल तक बेड पर ही रहे। इस दौरान पति के इलाज के साथ-साथ घर की पूरी जिम्मदारी उनके ऊपर आ गई।

मनिंदर कार में चलाती हैं ढाबा

मनिंदर कौर (Maninder Kaur) कार में ही ढाबा चलाती हैं। उनके ढाबे के खाने का स्वाद पूरे शहर में अपनी पहचान बना चुका है। साथ ही इससे उनके परिवार का गुजारा भी हो रहा है। मनिंदर होशियारपुर (Hoshiarpur) के गांव डविडा अहराणा की रहने वाली हैं। मात्र 19 साल की उम्र में मनिंदर की शादी हो गई और वह शहर आ गईं। उसके कुछ ही महीने बाद पारिवारिक समस्या के कारण वह सूर्या एंक्लेव में किराए के घर में रहने लगे।

Maninder Kaur food business through car dhaba

शुरू किया टिफिन बनाने का काम

चोट लगने के कारण मनिंदर के पति भी कुछ नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में गुजारा करना बहुत मुश्किल हो गया था। उनके घर के आसपास ही कुछ स्पोर्ट्स के लड़के रहते थे, जिन्होंने मनिंदर को कहा कि हमारा खाना बना दिया करो। उसके बाद से मनिंदर कौर (Maninder Kaur) ने टिफिन सर्विस शुरू की। अब उनके हाथों का स्वाद हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करने लगा है। वह हर रोज़ 50 से अधिक टिफिन बनाकर देने लगीं।

यह भी पढ़ें :- पति के शराबी होने के कारण रौशन को संभालनी पड़ी घर की जिम्मेदारी, अब अन्य महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणास्रोत

कोरोना के दौरान हुई समस्या

जब मनिंदर का यह काम अच्छा चलने लगा, तब उन्होंने अपना मकान खरीद लिया। कोरोना के दौरान वहां के आसपास के जितने भी लोग थे, वह अपने-अपने घर चले गए जिसके वजह से उनका टिफिन का काम बंद हो गया। उसके बाद मनिंदर अपना घर चलाने के लिए खाना बनाकर कार में बेचने लगीं। फोकल प्वाइंट में वह रोज सुबह वह 11 से शाम चार बजे तक खाना बेचती हैं। वह राजमा, कढ़ी, चावल, रोटी, सलाद और साथ में एक सूखी सब्जी घर से ही साफ-सुथरे तरीके से बनाकर लाती हैं।

किसी रिश्तेदार ने नहीं की मदद

इतने मुश्किल हालातों में भी उनके किसी रिश्तेदार ने मदद नहीं की। मनिंदर के इस मुसीबत में उनके दोनों बेटे गगनप्रीत सिंह और रमनप्रीत सिंह भी उनका पूरा सहयोग दे रहे हैं। अपने घर की हालत को देखते हुए उन्होंने अब तक किसी महंगी चीज की डिमांड नहीं की है। वह दोनों रोज पैदल ही कॉलेज जाते हैं। मनिंदर का बड़ा बेटा लायलपुर खालसा कालेज में अंग्रेजी मीडियम में पढ़ रहा है। गगनप्रीत को अंग्रेजी में बहुत रुचि थी। उनकी लगन को देखते हुए कॉलेज वालों ने खास उनके लिए अंग्रेजी के प्रोफेसर को रखा है।

मनिंदर बिना लोगों की परवाह किए अपना काम करती हैं

मनिंदर कौर (Maninder Kaur) बताती हैं कि जब मैं यहां पर खड़ी होकर लोगों को खाना देती हूं तो कुछ लोग कहते हैं कि एक महिला मर्दों के बीच खड़ी होकर खाना बेच रही है। मनिंदर ने कभी लोगों की परवाह नहीं की। वह मेहनत करके अपना घर चला रही हैं। उनके इस सफर में उनका परिवार भी उनके साथ खड़ा है। वह बताती हैं कि हमने कभी इतनी गरीबी नहीं देखी थी, परंतु आज के हालात ऐसे हो गए हैं कि कई बार तो घर में दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती, भूखे ही रहना पड़ता है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

1 COMMENT

Comments are closed.

Exit mobile version