Monday, December 11, 2023

40 साल पहले इस पौधे में डाला गया था पानी, बंद बोतल में आज भी है हरा भरा है यह पौधा: लॉजिक जान लीजिए

किसी बंद शीशे में बिना पानी दिए कई सालों तक क्या कोई पौधा जीवित रह सकता है ? मुझे नहीं पता आज से कई वर्षों पहले इंग्लैंड में रहने वाले रिटायर्ड इलेक्ट्रिकल इंजीनियर डेविड लैतिमर (David Latimer) के मन में ये ख्याल कैसे आया होगा जो उन्होंने ऐसा करने की बखूबी कोशिश की और सफल भी हुए। लेकिन इसमें आपको ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं।

इसके पीछे थोड़ी साइंस है जिसे आप समझ लेंगे तो ये एक्सपेरिमेंट आप घर पर भी कर सकते हैं। क्या पता लैतिमर की तरह आप भी सफल हो जाए।

Micro ecosystem in sealed bottle created by David Latimer

अब जरा तस्वीर पर नजर डालिए सर्कुलर सील्ड ग्लास (Circular sealed glass) में जो अपको ये हरे भरे पौधे दिख रहे हैं उनमें आखरी बार 1972 में पानी डाला गया था। उसके बाद शायद ही इस बॉटल को खोला गया हो।

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लेकिन ऐसी हरियाली को देखकर हर कोई आश्चर्य रह जाता है। इसके पीछे के लॉजिक को समझने से पहले हम ये जान लेते है की डेविड लैतिमर ने इस सेट अप को तैयार कैसे किया!

Micro ecosystem in sealed bottle

1960 में 80 लीटर के बंद बॉटल में उगा पौधा, आज भी हरा भरा

1960 में ईस्टर संडे (Easter Sunday)के दिन डेविड ने इस 80 लीटर के बॉटल में कम्पोस्ट डालने के बाद तार की मदद से स्पाइडरवर्ट्स बीज को अंदर डाला। पानी डालकर अच्छे से मिक्स करने के बाद एक ऐसी जगह पर रख दिया जहां सीधे तौर पर धूप की किरणे बॉटल पर पड़ रही थी। यहां से शुरू हुई फोटोसिंथेसिस (Photosynthesis) की प्रक्रिया।

धूप के कारण बीज से पौधे पनप आए। इस प्रकार बॉटल के अंदर ऑक्सीजन और नमी भी बनने लगी। आसपास नमी होने के कारण पानी भी मिलता रहा। साथ ही सूखे पत्ते जो गिरकर सड़ जाते थे उनसे कार्बन डाई ऑक्साइड बनता रहा जिससे पौधों को जरूरी न्यूट्रीशन मिलने लगा। कुल मिलाकर सील्ड बॉटल में एक ईको सिस्टम (Ecosystem) बन गया। जिसकी वजह से ये पौधे बिना बाहरी हस्तक्षेप के हरे भरे हैं।

Micro ecosystem in sealed bottle

एक प्रकार से डेविड ने पृथ्वी का एक माइक्रो वर्जन इस सील्ड बॉटल में बना दिया है। वह खुद अब 80 साल के हो गए है। उन्होंने फैसला लिया है कि उनके जाने के बाद इस एक्सपेरिमेंट को वो अपने बच्चों को सौंप देंगे।