च्यवनप्राश के सेवन का लाभ हमें बचपन से ही बताया गया है। इसमें मौजूद मल्टी गुण न केवल हमारी इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं बल्कि ठंड में शरीर को गर्म रखने में भी उपयोगी हैं। महामारी का दौर अभी थमा नहीं है और ठंड नई चुनौती बन कर सामने है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने की दोहरी जिम्मेदारी हम सब पर है।
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को रोजाना एक चम्मच च्यवनप्राश लेने की हिदायत दी जाती है। इस एक चम्मच में न जाने कितनी औषधियों के गुण हम ले लेते हैं जिनके बारे में हमें जानकारी भी नहीं होती है। तो आइए एक – एक कर के हम इनके गुण, लाभ और उत्पत्ति के बारे में जानते हैं।
च्यवनप्राश के मुख्य फायदे
ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाना, खून साफ करना, विषाक्त तत्वों को दूर करना, श्वसन तंत्र की सफाई, पाचन में सुधार, ब्लड प्रेशर को ठीक रखना, इम्युनिटी बढ़ाना, इंफेक्शन रोकने में यह कारगर है। इन सभी फायदों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार की आयुष मंत्रालय ने इम्युनिटी बढ़ाने के लिए इसका सेवन करने का निर्देश दिया है।
कैसे हुई च्यवनप्राश की उत्पत्ति ?
ऐसा माना जाता है कि ‘च्यवन’ उस ऋषि का नाम था, जिन्होंने इस आयुर्वेदिक फॉर्मूला का इस्तेमाल युवावस्था और जीवन शक्ति को बनाए रखने के लिए किया था। जबकि ‘प्राश’ का शाब्दिक अनुवाद है- “एक ऐसी दवा या खाद्य पदार्थ जो कंज्यूम करने के लिए उपयुक्त है”।
इसे भारत के हरियाणा में नारनौल क्षेत्र के पास ढोसी की पहाड़ियों में उनके धर्मशाला में तैयार किया गया था. च्यवनप्राश तैयार करने की सबसे पुरानी रेसिपी चरक संहिता में दर्ज है, जिसमें इसे बाकी सभी हर्बल कायाकल्प टॉनिक से बेहतर बताया गया है।
च्यवनप्राश में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख जड़ी-बूटियां –
अश्वगंधा – एंटी ऑक्सीडेंट, युवापन बनाए रखने के गुण
बाला – एंटी ऑक्सीडेंट, ताकत बढ़ाने वाले गुण
पिप्पली – श्वसन तंत्र को ठीक रखने, पाचन में सहायक
गोक्षुर – किडनी को स्वस्थ रखने के गुण, ताकत और स्टैमिना बढ़ाना
आंवला – एंटी एजिंग, इम्युनिटी बूस्टर, एंटी ऑक्सीडेंट
गुडुची – हेप्टोप्रोटेक्टिव
शतावरीव – आंखों के लिए फायदेमंद, दिमाग की तंदरुस्ती
ब्राह्मी – न्यूरोप्रोटेक्टिव
इस तरह समय के साथ च्यवनप्राश भी बदल गया
च्यवनप्राश के पुराने इनग्रेडिएंट्स में शामिल 8 जड़ी-बूटियां(अष्टवर्ग) अब नहीं मिलते हैं। ये मुख्य तौर पर आंवले की एंटीऑक्सीडेंट भूमिका को बढ़ाने का काम करते थे। इसलिए अब कॉमर्शियल फॉर्मूलेशन में इनकी जगह दूसरे हर्ब इस्तेमाल किए जाते हैं।
Chyawanprash from #Ayurveda is an age-old powerful formulation that aids the body in the production of haemoglobin and white blood cells.
— Ministry of AYUSH (@moayush) December 2, 2020
Its main component #Amla, is a fruit known for its antioxidant properties. pic.twitter.com/2WNyJ8b679
क्या है सेवन का सही तरीका?
सुबह खाली पेट 1 चम्मच दूध के साथ लेना सही माना जाता है. 12 से 28 ग्राम सेवन के लिए सही मात्रा मानी जाती है। इसे हल्के गुनगुने पानी के साथ भी लिया जा सकता है. डायबिटिक लोगों के लिए शुगर फ्री च्यवनप्राश भी बाज़ार में उपलब्ध हैं।
यूं तो च्यवनप्राश किसी भी तरह की बीमारी का इलाज नहीं है। इससे बीमारियों से बचाव में मदद मिल सकती है, लेकिन उन्हें पूरे तरीके से ठीक करने के लिए डॉक्टरी इलाज जरूरी है।