आज के इस भागदौड़ भरे जीवन में हम अपनी सुख सुविधा के लिए सब कुछ करते हैं, परंतु हमारे साथ रहने वाले जीवों के बारे में हम बिल्कुल भी नहीं सोचते। आज हम एक ऐसी महिला की बात करेंगे, जो अब तक अनगिनत जीवों और पक्षियों की रक्षा कर चुकी हैं।
निशा चला रही हैं एक NGO
32 साल की निशा सुब्रमण्यम कुंजू (Nisha Subramaniam Kunju) मुंबई (Mumbai) के भांडुप इलाके की रहने वाली हैं। वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर ‘प्लांट्स एंड वेलफेयर’ सोसायटी (Plants and Welfare Society) नामक एक NGO चला रही हैं। उनके NGO से जुड़े लोग घायल जीवों का इलाज करते हैं। साथ ही वह आवासीय इलाकों में पहुंचे वन्यजीवों को रेस्क्यू भी करते हैं। NGO के लोग उन जीवों को उनके प्राकृतिक आवास तक पहुंचाने का भी काम करते हैं।
निशा राष्ट्रपति भवन में हो चुकी हैं सम्मानित
निशा को साल 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा पशु कल्याण श्रेणी में ‘100 वीमेन ऑफ इंडिया अवार्ड’ के लिए चयनित किया गया था। इसके लिए निशा को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित भी किया गया था। उसके बाद से निशा सुब्रमण्यम कुंजू (Nisha Subramaniam Kunju) को संस्था के खर्च के लिए आर्थिक मदद भी मिल रही है। इस NGO के जरिए कई सेलिब्रिटी भी उनके साथ जुरे हुए हैं, परंतु निशा केवल उनके सहायता के भरोसे नहीं है। वह अपना खर्च निकालने के लिए ट्यूशन पढ़ाती हैं।
निशा को मानद एनिमल वेलफेयर अफसर के तौर पर नियुक्त किया गया
अब तक निशा कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं। इसके साथ ही निशा केंद्र सरकार के एनिमल वेलफेयर बोर्ड से भी जुड़ी हुई है। इसके अलावा निशा को मुंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में प्राणी कल्याण से जुड़े कानून की देखरेख के लिए मानद एनिमल वेलफेयर अफसर के तौर पर भी नियुक्त किया था। निशा अपने आठवीं कक्षा की एक घटना बताते हुए कहती है कि एक दिन मैंने स्कूल से लौटते हुए एक तोते पर कौवों को हमला करते हुए देखा था। उसके बाद उन्होंने तोते को बचाया और इलाज के बाद उसे छोड़ दिया। उसके बाद से ही निशा का लगाव पक्षियों और वन्यजीवों की ओर बढ़ता गया। इस घटना के बाद निशा अपनी पाकेटमनी उन जानवरों की देखभाल पर खर्च करने लगी।
इस तरह हुई NGO की शुरूआत
निशा पहले मेनका गांधी के संगठन पीपल फार एनिमल से जुड़ीं हुई थी। उसके बाद निशा ने मुंबई में रहने वाले दोस्तों के साथ मिलकर एक NGO की शुरूआत की। अब इस NGO से करीब डेढ़ सौ लोग जुड़े हुए हैं। NGO ने सोशल नेटवर्किंग साइट की मदद से लोगों से घायल पक्षियों और जानवरों के बारे में जानकारी लेते हैं। निशा सुब्रमण्यम कुंजू (Nisha Subramaniam Kunju) ने NGO की तरफ से एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। इस हेल्पलाईन नंबर के जरिए कोई भी घायल पक्षियों और जानवरों की सूचना उन्हें दे सकता है। निशा कहती हैं कि शुरूआत में लोग इसके तरफ ध्यान नहीं देते थे परंतु अब रोज़ दो से तीन फोन ऐसे आते हैं।