Monday, December 11, 2023

Myntra ने अपना LOGO बदला, तो लोगों ने इन सभी ब्रांड्स में अश्लीलता ढूंढ ली: इनपर भी एक नज़र डालिये

हाल ही में ऑनलाइन शॉपिंग साइट Myntra का मामला तो आपको पता ही होगा। अगर नहीं मालूम तो बता दें कि Myntra जहां 2007 से हम शॉपिंग करते चले अा रहें है उस पर अहम आरोप लगाया गया है। ताज्जुब होता है कि इतने सालों से किसी ने भी कंपनी के LOGO को लेकर कोई आपत्ती नहीं जताई लेकिन एकाएक ऐसा हुआ कि अब Myntra ने अपना LOGO ही बदल दिया है।

जानिए पूरा मामला क्या है?

दरअसल, Avesta Foundation नाम के NGO चलाने वाली नाज पटेल ने Myntra पर आरोप लगाया था कि कंपनी का LOGO औरतों के लिए अपमानजनक है। इसलिए उन्होंने मुंबई में कंपनी के खिलाफ FIR भी दर्ज करवा दी, जिसके बाद कंपनी ने अपना LOGO बदल दिया। नाज पटेल का कहना था कि “कंपनी का पुराना LOGO, किसी औरत को नग्न रूप में प्रदर्शित करने जैसा लगता है।”

लेकिन सवाल ये भी है कि क्या Myntra पर लगे आरोप सही हैं? उससे भी बड़ा प्रश्न है कि Myntra ने विवाद से बचने के लिए, LOGO बदलने का जो कदम उठाया वह कितना सही है!

Myntra changed its logo

जैसी जाकी सोच, वैसी दिखेगी दुनिया!

नाज़ पटेल से पहले किसी को भी इस LOGO से कोई शिकायत नहीं थी। सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर कई लोगों ने अपनी अपनी राय भी दी। मेरे साथ ज्यादातर लोगों का कहना है कि पहले कभी भी LOGO को लेकर न हमने कभी ऐसा सोचा न ही इस प्रकार से कोई कल्पना की। इससे ये तो स्पष्ट हो जाता है कि जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।

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द्विअर्थी शब्द और सोच का परिणाम

“कमी कपड़ों में नहीं कमी हमारी सोच में है” ये वाक्य हमें अक्सर समझाया सुनाया जाता है। लेकिन Myntra
विवाद के मामले में किसी ने इस सोच को तरजीह क्यों नहीं दी। जरा सोचिए इस तरह अगर हम कल्पनाओं के सागर में गोते लगाकर चीजों को अपने नजरिए से बदलने लगेंगे तो न जाने कितने ही LOGO, बॉलीवुड गाने, एड टैगलाइन और आसपास की सामान्य चीजों पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

Naaz Patel

ज़रा इन फेमस एड टैगलाइन पर गौर फरमाइए

“बजाते रहो” – रेड FM, “जस्ट डु इट” – nike, “धन धना धन”- जिओ,“पहले इस्तेमाल करें,फिर विश्वास करें” – घड़ी,“करो ज्यादा का, इरादा” – मैक्स लाइफ इंश्योरेंस, “रात भर ढिशुम ढिशुम” – पेप्सूडेन्ट

इन सभी टैगलाइन का हम दो अर्थ निकाल सकते हैं। हो सकता है इसे बनाते समय कॉपीराइटर ने कुछ और सोचा हो और अन्य लोग इसे अलग तरीके से लें। कुल मिलाकर बात यही है कि हमारी दृष्टि कई हद तक सोच पर निर्भर करती है।

आवाज़ उठाने के लिए मुद्दों की कमी नहीं

महिलाओं के प्रति समाजिक अपराध, रेप, मोलेस्टेशन, छेड़खानी जैसे कई मुद्दे है जिन पर आवाज़ उठाना ज्यादा जरूरी है बजाय बेफिजूल की इन बातों के। किसी भी ब्रैंड को Top of recall बनाने में सालों का समय लगता है। ऐसा मुमकिन हो सकता है Myntra ने Brand value को बचाने के लिए LOGO बदलने का फैसला लिया हो लेकिन ऐसे मुद्दों को लेकर कॉरपोरेट को और भी मजबूत होना चाहिए।