Wednesday, December 13, 2023

भूख से बैचन बुजुर्ग को देखा मल मूत्र खाते, अब करोड़ों की नौकरी छोड़ कर रहे भूखों की सेवा

आज के समय में जहां लोग अपने स्वार्थ के लिए अपनों को भी छोड़ देते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपना पूरा जीवन दूसरों को खुशियां देने के लिए न्योछावर कर देते है। कुछ ऐसे ही लोगों में से एक हैं, नारायण कृषणन। वह पिछले 15 वर्षों से करोड़ों बेघर, अनाथ और भूखे लोगों के लिए एक मसीहा बनकर उनकी मदद कर रहे हैं।

34 वर्षीय नारायण कृष्णन (Narayan Krishnan) ने अपना पूरा जीवन गरीब बेसहारा लोगों के नाम कर दिया है। वह लगभग 15 वर्षों से भूखे लोगों को भोजन कराते हैं।

Narayan Krishnan is running Akshay for feeding old age people in Madure

‘नारायण कृष्णन’ (Narayan Krishnan) ने अपने कैरियर की शुरुआत ताज होटल में बतौर शेफ के रूप में की थी। उसके बाद उन्हें स्विजरलैंड में एक फाइव स्टार (5 star Hotel) होटल में काम करने का बुलावा आया। इसी बीच वर्ष 2002 में हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। युरोप (Europe) जाने से पहले वह अपने माता-पिता से मिलने के लिए मदुरै गए, तभी वहां उन्होंने देखा कि भूख से बेचैन एक बुजुर्ग व्यक्ति अपना ही मल मूत्र खा रहा था। इस बात को सुनकर ही हम समझ सकते हैं कि यह समय उनके लिए कितना मुश्किल भरा होगा।

Narayan Krishnan is running Akshay for feeding old age people in Madure

इस हादसे ने उन्हें (Narayan Krishnan) झकझोर कर रख दिया। इस बारे में उन्होंने बताया कि हादसे ने वाकई बहुत दुख पहुंचाया। मैं सचमुच हैरान रह गया कि क्या किसी इंसान के जीवन में इतना बुरा समय भी आ सकता है? फिर मैंने उस व्यक्ति को खाना खिलाया। इस हादसे के बाद मैंने यह फैसला लिया कि मैं अपना पूरा जीवन जरूरतमंदों की सेवा के लिए न्योछावर कर दूंगा।

नारायण (Narayan Krishnan) ने इसी सोच के साथ अपने विदेश जाने के फैसले को कैंसिल कर दिया। इसके बाद उन्होंने अक्षय नाम से एक सामाजिक संगठन की शुरुआत की। इस संगठन का एकमात्र उद्देश्य यही था कि कोई भी गरीब व्यक्ति भूखा न सोए।

Narayan Krishnan is running Akshay for feeding old age people in Madure

नारायण कृष्णन (Narayan Krishnan) अपने हाथों से उनके लिए खाना बनाते हैं। इसके लिए वह सुबह 4:00 बजे उठते है। उनकी एक टीम है, जिसके साथ वह गाड़ी में सवार होकर मदुरै के सड़कों पर करीब 200 किलोमीटर का चक्कर लगाते हैं। जहां कहीं भी उन्हें सड़क किनारे भूखे, गरीब, नंगे, पागल, बीमार, अपंग और बेसहारा लोग दिखते हैं, वहां वह अपनी गाड़ी को रोक उन्हें खाना खिलाते हैं। हर रोज़ उनकी टीम दिन में दो बार पूरा घूमती है और करीब 400 लोगों को खाना खिलाती हैं। इसके साथ ही साथ भिखारियों के बाल काटकर उन्हें नहलाने का भी काम करते हैं।

इस काम के लिए नारायण कृष्णन (Narayan Krishnan) को रोजाना ₹20000 का खर्च उठाना पड़ता है। डोनेशन से मिलने वाले पैसे लगभग 22 दिन तक चल पाता है। इसके बाद बाकी दिनों का खर्च वह स्वयं ही उठाते हैं। खुद ट्रस्ट के किचन में अपने कर्मचारियों के साथ ही सोते हैं।

नारायण कृष्णन (Narayan Krishnan) ने मदुरै में अब तक एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों को सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना खिला चुके हैं। उनकी निस्वार्थ भाव से सामाजिक सेवा देखकर हम सबको भी गरीब बेसहारा लोगों की मदद करने के लिए प्रेरणा मिलती है।