प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को हैदराबाद में स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी (Statue of Equality)का उद्घाटन किया.समानता की इस मूर्ति का अनावरण 17वीं सदी के महान संत रामानुजाचार्य (Ramanujacharya) के 1000वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया. ये एक ऐसे महान संत रहे जिन्होंने समानता (Equality) और सामाजिक न्याय (Social Justice) पर जोर दिया. इन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक समानता (Social Equality) और बंधुत्व के लिए समर्पित कर दिया.
क्या है इस मूर्ति की खासियत? Speciality of statue of equality
बैठी हुई मुद्रा में स्टैचू ऑफ़ इक्वालिटी दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है. थाईलैंड में स्थित बैठी हुई बुद्ध की मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है. यह मूर्ति पंच लोहा से निर्मित है. पंच लोहा का मतलब होता है पाँच अलग-अलग प्रकार के धातुओं से तैयार होने वाली मूर्ति. इन धातुओं में लोहा,सोना,चांदी,तांबा,काँसा और जिंक शामिल है. इसकी ऊंचाई 216 फुट है और करीब 45 एकड़ में इसका फैलाव है. इस परिसर में रामानुजाचार्य से संबंधित चीजें विशेषकर उनके कार्य से जुड़ी चीजें जैसे-लिखित दस्तावेज,प्राचीन दस्तावेज रखने के साथ-साथ यहाँ वैदिक डिजिटल लाइब्रेरी (Vaidic Digital Library) और रिसर्च सेंटर (Research Centre) भी स्थित हैं. इस मूर्ति के साथ-साथ इस परिसर में 108 दिव्य देश भी बनाए गए हैं. 108 दिव्य देश होने के पीछे की मान्यता यह है कि भगवान विष्णु के 108 अवतार हुए हैं उसी के प्रतीक चिन्ह के रूप में इन दिव्य देशों का निर्माण किया गया है. यह प्रोजेक्ट डोनेशन के पैसों से पूरा हुआ. इसके लिए जमीन का अनुदान My Home Group के Jupally Rameswar Rao ने दिया था. इसे बनाने का सारा काम चीन में हुआ और फिर इसे करीब 1600 टुकड़ों में भारत लाया गया। भारत में इस स्टैच्यू को असेंबल किया गया। इसका इंस्टॉलेशन (Installation) 2017-18 के बीच किया गया, जिसमें करीब 15 महीनों का समय लगा। वैसे तो इस स्टैच्यू को बनाने के लिए भारतीय कंपनी ने भी टेंडर भरा था, लेकिन 2015 में इसका कॉन्ट्रैक्ट चीन की Aerosun corporation कंपनी को दिया गया था. यह स्टैच्यू मेड इन चाइना (Statue of Equality made in china) है.
कौन हैं रामानुजाचार्य(Ramanujacharya) ?
रामानुजाचार्य (Ramanujacharya) का जन्म 1017 ईस्वी में तमिलनाडु (Tamilnadu) के श्रीपेरंबदूर (Sriperumbudur) में हुआ था.ये एक वैदिक दार्शनिक (Philosopher) और समाज सुधारक(Social Reformer) के रूप में विख्यात हैं. हिन्दू भक्ति परंपरा से आने वाले संत रामानुजाचार्य ने देशभर में घूम- घूमकर समानता और सामाजिक न्याय (Social Justice) के लिए अपनी आवाज को बुलंद किया. रामानुज ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया. संत रामानुजाचार्य ने जीवन के विभिन्न पहलुओं भक्ति,जाति और पंथ में समानता के विचार को बढ़ावा दिया था. उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को भी प्रेरित किया. इसके साथ-साथ उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा भी माना जाता है।
रामानुज सभी प्रकार वर्ग-विभेद से परे सामाजिक समानता (Social Equality) के हिमायती थे. उन्होंने ऊंच-नीच का भेद को हटाते हुए समाज की सभी जातियों के लिए मंदिर के दरवाजे खोलने को के लिए विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यों (Social Work) को प्रोत्साहन दिया. आपको बता दें कि ये वो समय था जब कई जाति के लोगों का मंदिर प्रवेश वर्जित था. शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने शिक्षा को उन लोगों तक पहुंचाया जो इससे वंचित थे. ये वरदराज स्वामी के भक्त थे और इनका मानना था कि भगवान के सामने सभी समान (Equal)हैं और हर जाति के लोगों का उनका नाम लेने का अधिकार है.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री (Prime Minister) का संदेश
रामानुजन सहस्त्र शताब्दी के 12 दिवसीय कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है. रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैदिक मंत्रों के बीच विधिवत तरीके से इस मूर्ति का अनावरण किया.
Had the honour of inaugurating the Statue of Equality in Hyderabad. pic.twitter.com/IuyEjwhRE8
— Narendra Modi (@narendramodi) February 5, 2022
The Logically, भारत की इस महान विभूति संत रामानुजाचार्य को शत-शत प्रणाम करता है एवम् इस महान आत्मा के नाम पर इस अमूल्य धरोहर को प्राप्त कर अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहा है. इस अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र को बधाई देता है. हम सब भारतवासी इस महान संत के रास्ते पर चले और दुनिया में अपना वजूद बुलंद रखें यही कामना करता है.