आजकल लोग अपना रूझान खेतों की तरफ खूब कर रहे हैं। कई ऐसे लोग हैं जो नौकरी छोड़ कर या फिर नौकरी पूरी हो जाने के बाद अपनी खेतों में जैविक तरीकों से खेती कर रहे हैं। यहां के युवा वर्ग के लोग भी शहर छोड़ कर गांव में आकर जैविक खेती को अपना रहे हैं। और इसे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारी पहचान खेतों से ही की जाती है। आज हम आपको एक ऐसे वकील की कहानी बताएंगे जिन्होंने वकालत पूरी कर लेने के बाद जैविक तरीकों से खेती करना शुरू कर दिया।
नीतीश ठाकुर (Nitish Thakur) बिहार (Bihar) के सीतामढ़ी (Sitamarhi) जिले के रहने वाले हैं। इनका पूरा परिवार नोएडा (Noida) में रहते थे। जिसकी वजह से इनकी संपूर्ण शिक्षा नोएडा और दिल्ली में संपन्न हुई। नीतीश ठाकुर ने आई पी यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की थी। जब हमारे देश में कोरोना की वजह से पूरे देश भर में लॉकडाउन लगा था तब नीतीश ठाकुर ने इस कोरोना काल में अपने समय का काफी अच्छा सदुपयोग किया। यह अपने आसपास के किसानों को देखते और सोचते कि वहीं अपने नए तरीकों से कुछ ऐसा किया जाए जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके।
इसके बाद इन्होंने अपने एक दोस्त से मिलकर खेती करने के बारे में बात किया। नीतीश ठाकुर (Nitish Thakur) बताते हैं कि हमारे दिमाग में जैविक खेती करने के बारे में एक आइडिया आया फिर हमने लगभग 1 सालों तक रिसर्च किया फिर पता चला कि हम जो खाना खा रहे हैं वह केमिकल युक्त तरीकों से उगाया हुआ सब्जी है। उसी समय हमने अपने मन में बैठा लिया की हमारे पूर्वज जो जैविक खेती करके सब्जी उपजाते थे और शुद्ध भोजन करते थे वही अनाज हम खेतों में जैविक तरीकों से उपजा कर खुद भी खाएंगे और यहां के लोगों को भी खिलाएंगे।
नीतीश ठाकुर (Nitish Thakur) बिहार के रहने वाले थे। परंतु इनका पूरा परिवार नोएडा में रहता था। नोएडा में इनके पास खेती करने के लिए जमीन नहीं थी। तब इन्होंने जैविक तरीकों से खेती करने के लिए नोएडा में किराए पर 25 बीघा जमीन लिया। और इस किराए की जमीन पर इन्होंने जैविक तरीकों से सब्जियों की खेती करने लगे। नीतीश ठाकुर कहते हैं कि हम यहां सीजन के हिसाब से खेती करते हैं फिलहाल हमने सब्जियों की खेती कर रहा हूं। और हमने इस जमीन पर 5 एचपी का सोलर पैनल और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया है। यह बताते हैं कि हम प्राकृतिक संसाधनों से जैविक खेती कर रहे हैं और खेतों में जीवामृत का प्रयोग कर रहे हैं।
नीतीश ठाकुर (Nitish Thakur) बताते हैं कि हम अपने खेतों में ही जीवामृत बनाने के लिए 12000 लीटर एक होदी बनाई है। इस होदी में हम गोमूत्र नेम गुड़ डालकर जीवामृत बनाते हैं। यह बताते हैं कि फ्लड इरिगेशन सिस्टम में पानी की बर्बादी अधिक होती है। जिसकी वजह से हमने यहां ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। जिससे पानी की बर्बादी नहीं होती और उपज काफी अच्छी होती है। नीतीश ठाकुर अपने खेतों में करेला, टमाटर, मिर्ची और तौरी उपजाते है। इसके अलावा नीतीश ठाकुर अपने खेतों में गोभी भी उपजाते हैं। नीतीश ठाकुर बिना किसी प्रशिक्षण के अपने खेतों में जैविक तरीके से खेती करते हैं। इन्होंने अपने खेतों में वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने की यूनिट भी स्थापित की हुई है जिसमें जैविक खाद बनाए जाते हैं। वे बताते हैं कि इस पूरी तकनीक में इन्होंने सरकार से कोई मदद नहीं लिए इस जैविक खेती को करने के लिए इन्होंने खुद अपना पैसा लगाया है।
नीतीश ठाकुर (Nitish Thakur) कहते हैं कि हमें किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण के बारे में पता नहीं था परंतु जैसे ही हमने खेती करना शुरू किया। तो हमारी मुलाकात कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ अरविंद कुमार से हुआ। डॉ. अरविंद कुमार ने हमें जैविक तरीके से खेती करने के बारे में कीट प्रबंधन के बारे में काफी कुछ बताया। आज नीतीश ठाकुर जैविक खेती करने के लिए युवाओं को काफी प्रेरित करते हैं।