कभी दूसरों के खेत में मजदूरी करने के बाद भी दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती थी लेकिन आज अपनी मेहनत से 200 अन्य महिलाओं को रोजगार मुहैया कराकर इन्होंने एक मिसाल पेश की है। गुजरात (Gujarat) के कच्छ जिले की रहने वाली पाबिबेन रबारी (Pabiben Rabari) जब 5 साल की थीं, तब ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। जिस वजह से उन्हें चौथी क्लास के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार में कोई कमाने वाला नहीं था इसलिए उनकी मां दूसरों के घरों में चौका बर्तन करती थी तथा खेतों में मजदूरी करती थी। – Pabiben Rabari from Gujarat
पढ़ने की उम्र में करने लगी काम
ट्राइबल कम्यूनिटी से ताल्लुक रखने वालीं पाबिबेन अपनी तीन बहनों में सबसे बड़ी थी। वे पढ़ने की उम्र में ही मां के साथ काम पर जाने लगी थीं। वे कभी खेतों में कुदाल चलातीं तो कभी किसी के घर झाड़ू-पोंछा करती थी। घंटों तक कुएं से पानी भरने पर केवल एक रुपया मिलता था। हालत ऐसे थे कि पूरे दिन मेहनत करने के बावजूद भी दो वक़्त की रोटी मिल पाना मुश्किल था। – Pabiben Rabari from Gujarat
सालाना 30 लाख रुपए का है टर्नओवर
पाबिबेन रबारी ने (Pabiben Rabari) परिस्थिती से हार नहीं माना। उन्होंने ना केवल खुद को काबिल बनाया बल्कि उन्होंने अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी कामयाब बनाने की कोशिश की। आज पाबिबेन कला की डिमांड ना केवल भारत मे बल्कि दुनिया के 40 देशों में हो रही है। इस कार्य में उन्होंने हजारों महिलाओं को काम से जोड़ा है। 37 साल की पाबिबेन की कंपनी का सालाना टर्नओवर 30 लाख रुपए है। – Pabiben Rabari from Gujarat
बेहद ही कम उम्र में हुई शादी
पाबिबेन बताती हैं कि मैं पढ़ना चाहती थी, ताकि परिवार की आर्थिक मुसीबतों को दूर कर सकूं लेकिन आर्थिक स्थिती ऐसी नहीं थी। मां के साथ काम करने के अलावा घर में दो छोटी बहनें थीं उनका भी देखभाल करना पड़ता था। यही कारण रहा कि पाबिबेन की शादी बेहद कम उम्र में कर दी गई। जहां उनकी शादी हुई वहां के हालात भी कुछ ऐसे ही थे। उनके पति भेड़-बकरियां चराने का काम करते थे। – Pabiben Rabari from Gujarat
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गुजरात आकर ट्रेडिशनल कढ़ाई बुनाई का करने लगी काम
पाबिबेन की शादी छत्तीसगढ़ में हुई थी, लेकिन वहां उनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं था और वे वहां रहना भी नहीं चाहती थीं, इसलिए वे दोनों वापस गुजरात आ गए। यहां उन्होंने एक किराने की दुकान खोली और पाबिबेन वहां ट्रेडिशनल कढ़ाई बुनाई का काम करने लगी। वे बताती हैं कि यहां ससुराल जाने वाली लड़कियां अपने साथ कढ़ाई किया हुआ बैग और कपड़े ले जाती थीं। पाबिबेन रबारी (Pabiben Rabari) बड़े घर की लड़कियों के लिए यह काम करने लगीं, जिससे उन्हें आमदनी होने लगी। – Pabiben Rabari from Gujarat
पति ने दिया अपने नाम से मार्केटिंग करने का सुझाव
इसी तरह काम करते हुए पाबिबेन एक संस्था से जुड़ी और कढ़ाई-बुनाई का काम करने लगी। पाबिबेन कहती हैं कि हमें काम के लिए पैसे तो मिलते थे लेकिन क्रेडिट नहीं मिलता था। बड़ी कंपनियां उनसे सस्ते दाम पर खरीदकर उसे अपने नाम से महंगी कीमत पर बेचती थीं। उनके पति को जब यह पता चला तो उन्होंने सुझाव दिया कि हमें खुद के नाम से मार्केटिंग करनी चाहिए। आइडिया अच्छा था, लेकिन वह दोनों ना तो पढ़े-लिखे थे और ना ही उनके पास पैसे थे कि इसे लागू किया जाए। -Pabiben Rabari from Gujarat
नीलेश के मदद से शुरू की अपनी कंपनी
साल 2016 में पाबिबेन अपने एक परिचित नीलेश प्रियदर्शी (Nilesh Priyadarshi) से मिलीं। वह पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ इन सब चीजों में एक्सपर्ट भी थे। पाबिबेन ने उनसे अपना आइडिया शेयर किया। नीलेश ने उन्हें मार्केटिंग की जानकारी दी तथा संसाधन उपलब्ध कराए। कुछ महीने बाद पबिबेन डॉट कॉम नाम से खुद की कंपनी रजिस्टर कर मार्केटिंग शुरू किया। शुरूआत में पाबिबेन और उनकी टीम लोकल मार्केट में ही कारोबार करती थीं, परंतु बाद में उन्होंने अलग-अलग एग्जीबिशन में जाना शुरू कर दिया। – Pabiben Rabari from Gujarat
बनाती हैं 50 से ज्यादा वैराइटी के प्रोडक्ट्स
पाबिबेन कई शहरों में इसकी स्टॉल लगाकर मार्केटिंग की, जिससे उन्हें बढ़िया रिस्पॉन्स मिला। धीरे-धीरे उन्होंने अपने काम का भी दायरा बढ़ा दिया। गांव की स्थानीय महिलाओं को काम पर रख लिया, जिससे उन महिलाओं को रोजगार भी मिल गया। उसके बाद पाबिबेन रबारी (Pabiben Rabari) सोशल मीडिया के मदद से मार्केटिंग करने लगी। उन्होंने खुद की वेबसाइट बनवाई और देशभर में अपने प्रोडक्ट की डिलीवरी करने लगीं। अमेजन और फिल्पकार्ट पर भी उनके प्रोडक्ट उपलब्ध है। वे बैग, शॉल, मोबाइल कवर, पर्स सहित 50 से ज्यादा वैराइटी के प्रोडक्ट्स बनाती हैं। -Pabiben Rabari from Gujarat
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40 देशों में है प्रोडक्ट्स की डिमांड
भारत के अलावा अमेरिका, जापान सहित 40 देशों में उनके प्रोडक्ट्स की डिमांड है। देश के कई शहरों में उनके रिटेलर्स जुड़े है। उनके बनाए प्रोडक्ट को बॉलीवुड तथा हॉलीवुड फिल्मों में भी जगह मिली है। इसके अलावा पाबिबेन नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर भी सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं। वे केबीसी के मंच पर अमिताभ बच्चन के साथ भी देखी जा चुकी हैं। -Pabiben Rabari from Gujarat
नीलेश अन्य कलाकार को अपनी पहचान बनाने का दे रहे मौका
नीलेश बताते हैं कि हम लोग कारीगर क्लिनिक मॉडल पर काम कर रहे हैं, जिसमें हम स्थानीय कलाकारों को बढ़ावा देते हैं। इसके लिए सबसे पहले वह गांव-गांव जाकर कलाकारों से मिलते हैं, उनकी कला और काम को समझने की कोशिश करते हैं। उसके बाद वह लोग कलाकारों की प्रॉब्लम को समझते हैं कि आखिर दिक्कत कहां आ रही है। उसके बाद ऐसे कलाकारों को मौका देते है, ताकि वह खुद के नाम से अपना प्रोडक्ट तैयार कर
सकें। उन्होंने अब तक कई महिलाओं को मार्केटिंग के लिए प्लेटफॉर्म दे चुके हैं। – Pabiben Rabari from Gujarat is doing business of worth 30 lakh rupees annually