Wednesday, December 13, 2023

गुजरात के इस स्कूल ने अपनाया जल संरक्षण का एक बेहतर तरीका, अब तक एक लाख लीटर पानी बचाये: तरीका जानें

धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बेहद आवश्यक है, क्योंकि जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।

स्वच्छ और पेयजल को व्यर्थ बर्बाद न करते हुए साथ ही वर्षा जल का संरक्षण कैसे करें, यह गुजरात के स्कूलों से सभी को सिखना चाहिए।

परेश प्रजापति (Paresh Prajapati) मेहसाणा के तक्षशिला विद्यालय के अध्यापक हैं। तक्षशिला विद्यालय में एक लाख लीटर क्षमता के चार वाटर टैंक लगाएं गए हैं, जहां बारिश के पानी को संरक्षित किया जाता है।

जल संकट को ध्यान में रखते हुए उठाया यह सकारात्मक कदम

वह कहते हैं कि हम धरती माता से कुछ-न-कुछ हमेशा लेते ही रहते हैं, जिसके वजह से आज के समय में प्राकृतिक असंतुलन देखने को मिल रहा है। उदाहरण के लिए देखा जाए तो जलस्तर काफी नीचे चला गया है। जल संकट दिन-प्रतिदिन एक भयावह रूप ले रहा है। इन्हीं सब विचारों के साथ उन्होंने तय किया कि वर्षा जल का संग्रह किया जाए, जिसका इस्तेमाल स्कूल में पेयजल के रूप में किया जाएगा। – Rain water harvesting

Paresh Prajapati is doing rain water harvesting in Takshashila School Gujarat

मटके के निर्माण में नहीं हुआ लोहे का इस्तेमाल

प्रजापति (Paresh Prajapati) आगे बताते हैं कि हमने विद्यालय के खेल मैदान में मटके के साइज के 25 हजार लीटर के चार मटके बनाएं हैं, जो जमीन के अंदर बना है। इसकी विशेषता यह है कि इसके निर्माण में लोहे के सरिया का इस्तेमाल नहीं हुआ है। साथ ही आरसीसी के तहत भी नहीं बनाया गया है। इस मटके को सिर्फ ईंट से बनाया गया है और इसके अंदर-बाहर प्लास्टर करके इसे मिट्टी से ढक दिया गया है।

समुद्री कचड़े को रोकने का एक अनोखा तरकीब, ऑस्ट्रेलिया इस तरह लाखों टन कचड़ा समुन्द्र में जाने से रोकता है

कैसे किया जाता है वर्शा जल को संग्रहीत?

वर्षा जल का संग्रह करने के लिए स्कूल के छत से पाइप को चेंबर से लाया गया है। उस चेंबर से पाइप को मटके से जोड़ दिया गया है। चेंबर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि जब बरसात के पानी की आवश्यकता होती है, तभी वह मटके में जाता है अन्यथा वह बाहर चला जाता है।

बरसात का पानी मटके में साफ जाए इसके लिए एक फ़िल्टर लगा हुआ है, जिससे पानी छनकर ही जाता है। जब बरसात होती है, तो शुरु के 15 मिनट तक पानी स्टोर नहीं किया जाता है। उसके बाद जब छत से गंदगी साफ हो जाती है, उसके बाद फर्श को साफ कर दिया जाता है और तब वर्षा जल मटके में जाता है। – Rain water harvesting

Paresh Prajapati is doing rain water harvesting in Takshashila School Gujarat

वर्षा का जल का उपयोग कैसे होता है?

संग्रहीत वर्षाजल (Stored Rain Water) को इस्तेमाल में लाने के लिए मटके में एकत्रित पानी को मोटर के जरिए छत पर लगे टैंक में ले जाया जाता है फ़िर नलों के माध्यम से उसका उपयोग किया जाता है। – Rain water harvesting

10 से 11 महीने तक किया जा सकता है उपयोग

परेश प्रजापति का कहना है कि मटके में 1 लाख लीटर पानी जमा हो सकता है, जिसका इस्तेमाल 10 से 11 महीनों तक किया जा सकता है। वह प्रसन्नता से कहते हैं कि पहले उन्हें प्रतिमाह पानी के 4 टैंकर मंगवाने पड़ते थे, जिसका खर्च 15 से 16 सौ रुपए आता था‌ लेकिन अब वह नहीं आयेगा और न ही पानी मंगवाना पड़ेगा। उनका कहना है कि जिस पानी का इस्तेमाल अब करते थे उस जल का इस्तेमाल अब दूसरे करेंगे। – Rain water harvesting

जिस प्रकार से इस स्कूल ने जल संकट से उबरने के लिए साकारात्मक कदम उठाया है, वैसे ही दूसरें विद्यालयों को भी उठाने की आवश्यकता है। – Rain water harvesting by Paresh Prajapati from Takshashila School Gujarat

The Logically परेश प्रजापति और उनके विद्यालय को इस काम के लिए अपनी खुशी जाहिर करता है। ऐसा करके उन्होंने सभी को जल संरक्षण की दिशा में एक नई प्रेरणा दी है।