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पीपल बाबा: जिन्होंने 2 करोड़ से भी अधिक पेड़ लगाए और भविष्य के लिए जंगल तैयार कर रहे हैं

हमें जीवित रहने के लिए भोजन और पानी से भी ज़रूरी हवा यानी ऑक्सीजन की आवश्यकता है। यह ऑक्सीजन हमें पेड़ से प्राप्त होता है। जनसंख्या वृद्धि के कारण जंगल काटे जा रहे हैं। जंगलों की जगह लोग घर, अस्पताल, इंडस्ट्री स्थापित कर रहे हैं। पेड़ पौधों के काटने से हमें अत्यधिक मात्रा में हानि पहुंच रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में हमें अपना-अपना ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर चलना होगा। पृथ्वी पर जीवन बहुत दुर्लभ हो जाएगा। अगर हमें पर्यावरण और ख़ुद को सुरक्षित रखना है तो इसके लिए हमें पेड़-पौधे लगाने की ज़रूरत है। आज की कहानी पर्यावरण के संरक्षण के लिए कदम उठाने वाले व्यक्ति की है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण के संरक्षण में लगा दिया है। ये अब तक 2 करोड़ 10 लाख से भी अधिक पेड़ लगा चुके हैं। इनका नाम Swami Prem Parivartan है। इन्हें पीपल बाबा भी कहा जाता है।

पेड़ लगाओ अभियान

जिस तरह कोरोना का कहर बढ़ते जा रहा है, इसने कई चीजों को रोक दिया है। लेकिन इस दौरान पीपल बाबा नहीं रुके हैं। वह अपने पेड़ लगाओ अभियान का तेजी से विकास कर रहें हैं। इन्होंने वर्ष 1997 से पेड़ लगाओ अभियान प्रारंभ किया। सप्ताह के 2 दिन शनिवार और रविवार को इनकी टीम पेड़ो की देखरेख के लिए निरीक्षण करने आती है। जो भी जरूरत इन पेड़ों को होती, उसकी पूर्ति उनकी टीम करती है। इनके टीम मेम्बर के कुछ सदस्य बहुत लम्बी अवधि से “पेड़ लगाओ” अभियान के साथ जुड़े हैं। इन सदस्यों के नाम है अजित चौहान, अजीत गुप्ता, राजेश पासवान, अक्षत, हारिथा कुमार, नैय्यर आलम, शाहिद, ज्योति और असगर।

2 करोड़ 10 लाख से अधिक पौधे लगा चुकें हैं

पीपल बाबा का पेड़ लगाओ अभियान कई वर्षो से जारी है। इनकी अगुवाई में 18 राज्यों, 202 ज़िलों में पेड़ लगाया गया है। वह भी 2 करोड़ 10 लाख से अधिक संख्या में। पर्यावरण के प्रति इनका लगाव देख अधिकारी इनकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। इन्होंने बहुत से शहरों में पेड़ लगाकर वहां हरीयाली लाई है।

कैसे लगायें पेड़

पीपल बाबा पेड़ लगाने के लिए पहले छोटे-छोटे गड्ढे और तालाब पहाड़ी ढलानों या जिन जगह पर पेड़ लगाना है वहां इसका निर्माण करते हैं। साथ ही इन तालाबो में 10% भाग में जलकुंभी भी लगाया जाता है ताकि मिट्टी बाहर ना निकलें। हालांकि समय-समय पर इस जलकुम्भी की आफै भी की जाती है। कुछ ऐसे पेड़ और घास भी तालाब के किनारे लगाये जाते हैं जिनसे मिट्टी तालाब में जमें ताकि पानी वेस्ट ना हो। इस तालाबों शुद्धिकरण के लिए एक खास घास लगाया जाता है ताकि ये तालाब शुद्ध रहें। इस घास को “अम्ब्रेला पोप” नाम से जाना जाता है।

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वर्षा के जल को कैसे संग्रहित कर करें उपयोग

शुरुआती दौर में पीपल बाबा को थोड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह टैंकर और चापाकलों की मदद से पौधों में पानी की सिंचाई करते थे। कुछ समय बाद टैंकर जंगल में नहीं जा पाते, जिस कारण थोड़ी दिक्कत होने लगी। तब इन्होंने वर्षा के जल को संग्रहित कर तलाब बनाना शुरू किया। हरियाली क्रांति के तहत इन्होंने पेड़ लगाया और उनकी देखभाल की और उनकी देखभाल की। उत्तर प्रदेश के वनों में लगभग इन्होंने 30 से अधिक तालाब बनाए हैं।


रणनीतिककार बद्री नाथ फिर कर रहें हैं मद

हरियाली क्रांति को पूरे देश भर के लोगों तक पहुंचाने के लिए बाबा के साथ राजनीतिक चुनौती अभियानों के विशेषज्ञ और रणनीतिकार बद्रीनाथ भी उनका साथ दे रहे हैं। वह लोगों को जागरूक करने में उनकी मदद कर रहें हैं। बद्री 4 वर्षों से चुनाव अभियानों में अहम की भूमिका निभा रहें हैं। बद्रीनाथ ने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई नई दिल्ली में स्थित “इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन” से किया है। साथ ही वह IIMC में पब्लिक रिलेशन एवं यूनिसेफ के द्वारा हेल्थ जर्नलिज्म की पढ़ाई भी सम्पन्न कियें हैं।
  
निःस्वार्थ भाव से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने के लिए The Logically पीपल बाबा को नमन करता है।

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