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घास से बनाया गया यह पाइप, प्लास्टिक स्ट्रॉ का बेहतर विकल्प है:पर्यावरण संरक्षण

आने वाले दिनों में मनुष्य और पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती शायद प्लास्टिक ही है हमारे दैनिक कार्यो में इस्तेमाल किये जाने वाले प्लास्टिक अनेकों रोगों के कारक हैं। प्लास्टिक की अधिकता इतनी बढ़ चुकी है कि हम एक दिन भी इसके इस्तेमाल के बिना अपने दैनिक जीवन की कल्पना नहीं कर सकते।

हमारे कप, ग्लास ,प्लेट बोतल और लगभग सभी वस्तुएं प्लास्टिक से ही निर्मित होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को धीरे धीरे प्रभावित करते जाते हैं । एक आंकड़े के अनुसार भारत में मात्र 20% प्लास्टिक के कचरे को ही रीसायकल किया जाता है बाकी बचे 80% प्लास्टिक हमारे लिए चुनौती हैं।
एक छोटे से उदाहरण के साथ हम इसकी परिकल्पना कर सकते हैं, हर रोज पीने वाले कोल्ड ड्रिंक्स लस्सी और सॉफ्ट ड्रिंक के साथ हम लोग प्लास्टिक के पाइप का इस्तेमाल करते हैं जो हर रोज लाखों की संख्या में होता है। केरल जैसे शिक्षित राज्य में भी लगभग 30 लाख प्लास्टिक स्ट्रॉ हर दिन इस्तेमाल किए जाते हैं मुख्यतः यह नारियल का पानी और सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने में किया जाता है।

जिस प्लास्टिक बॉटल्स को हम इस्तेमाल करते हैं उसमें से प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण पानी में घुलकर हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं इसलिए पीने की बोतल को किसी मेटल या मिट्टी के बर्तन से स्थानांतरित किया जा सकता है।

इन छोटे-छोटे प्लास्टिक का सबसे अधिक प्रभाव समुद्री जीवो को पड़ता है जब वह इन्हें निकल जाते हैं और उनकी मृत्यु होती है।हम अक्सर समाचारों में पढ़ते रहते हैं कि मछलियों के मरने के उपरांत उनके पेट से किलो की मात्रा में प्लास्टिक निकले ।

हिंदी में कहावत है बूंद बूंद से घड़ा भरता है वैसे ही हर दिन इस्तेमाल किए जाने प्लास्टिक का अंबार धीरे धीरे हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में खड़ा हो रहा है।

बढ़ती प्लास्टिक स्ट्रॉ के इस्तेमाल को देखते हुए एक किसान ने अनोखे तरह का स्ट्रॉ तैयार किया है जो एक घास से बनता है और पूर्ण रूप से बायोडिग्रेडेबल है । हालांकि इस तरीके का प्रकृतिक स्ट्रॉ अभी भी बाजार में पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं है फिर भी हम इनकी उपलब्धता के बारे में सोच सकते हैं।

इस तरह के स्ट्रॉ के इस्तेमाल से हम बड़े स्तर पर पर्यावरण को बचाने में सफल रहेंगे और प्रकृति से अपनी दूरी कम कर पाएंगे। पर्यावरण संरक्षण के मामले में हमें ध्यान देना होगा कि हमारे द्वारा लिया गया हर छोटा पहल सामूहिक रूप से एक बहुत बड़ा प्रभाव ला सकता है, इसलिए हमें हर छोटे-छोटे प्रयासों को भी अपनी पूर्ण शक्ति के साथ करना चाहिए ।

Logically अपने पाठकों से अनुरोध करता है की प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करें और पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएं।

अंजली पटना की रहने वाली हैं जो UPSC की तैयारी कर रही हैं, इसके साथ ही अंजली समाजिक कार्यो से सरोकार रखती हैं। बहुत सारे किताबों को पढ़ने के साथ ही इन्हें प्रेरणादायी लोगों के सफर के बारे में लिखने का शौक है, जिसे वह अपनी कहानी के जरिये जीवंत करती हैं ।

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