पुराने समय से ही अगरबत्ती (Incense Stick) का प्रयोग हर सामाजिक व धार्मिक कार्य में होता रहा है। अगरबत्ती के विषय में यह कहना गलत न होगा कि यह एक ऐसी पूजन सामग्री है जिस पर किसी धर्म विशेष का एकाधिकार नही है। सभी धर्म, जाति व समुदाय के लोग अगरबत्ती का उपयोग ज़रुर करते हैं। त्योहारों के समय तो इसकी डिमांड आसमान छू रही होती है।
बाज़ारों में पूरे साल अगरबत्ती की मांग इतनी रहती है कि इसपर किसी मौसम का असर भी नही होता। यहां तक कि बाहरी देशों में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों में भी तरह-तरह की खुशबू वाली अगरबत्ती खरीदने का खासा क्रेज दिखाई देता है।
पूरे घर को सुगंधित व पवित्र करने वाली और कीटनाशक गुणों से भरपूर अगरबत्ती के विषय में यदि यह कहा जाये कि एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए अगरबत्ती ही किसी मंहगे रुम फ्रेशनर का एक बेहतरीन विकल्प है तो इसमे हंसियेगा मत, क्योंकि यह सच है। अगरबत्ती के बारे में इन सभी बातों को जानकर अगर आपके दिमाग में यह विचार आने लगा है कि क्यों न अगरबत्ती उत्पादन को एक घरेलू व लघु व्यवसाय के रुप में अपनाया जाये ? तो उससे संबंधित सभी जानकारी जैसे- सामग्री, निवेश व आवश्यक मशीनों के बारे में आप इस लेख के माध्यम से जान सकते हैं।
अधिक मुनाफे के लिए मशीन निर्मित अगरबत्तियां है बेहतर
अगर आप हाथों से अगरबत्तियां बनाकर केवल घरेलू स्तर पर अपना व्यवसाय शुरु करना चाहते हैं तो इसकी आरंभिक लागत 13000 रुपये के करीब आयेगी। लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू यह है कि हस्तनिर्मित अगरबत्तियों में मैन पॉवर और टाइम तो ज़्यादा लगता ही है, मुनाफा भी कोई खास नही होता, ऐसे में मशीनों से अगरबत्तियां बनाकर अपने विचार को एक बड़ा व्यवसायिक रुप दे सकते हैं।
अगरबत्ती व्यवसाय शुरु करने के लिए लगने वाली लागत
अगरबत्ती बिजनेस को एक व्यापक रुप देने के लिए अगर आपने मशीनों से अगरबत्तियां बनाने पर विचार कर लिया है तो इसे शुरु करने के लिए लगभग 5 लाख रुपये की लागत लग सकती है। जिसमें मैन्यूअल मशीन का रेट 14 हज़ार रुपये, सेमी ऑटोमेटिक 90 हज़ार रुपये और हाई स्पीड मशीन का रेट तकरीबन 1.15 लाख रुपये तक होगा। इसके अलावा कारीगरों को प्रशिक्षण देने संबंधी व्यय भी।
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अगरबत्ती निर्माण के लिए किन मशीनों का चुनाव रहेगा बेहतर
अपना अगरबत्ती व्यवसाय आप चाहे जिस स्तर पर करने की सोच रहे हों उसके लिए तीन प्रकार की मशीनों का इस्तेमाल अनिवार्य रुप से किया ही जाता है। जैसे – अगरबत्ती बनाने के लिए मशीन (मैनुअल, ऑटोमेटिक मशीन और हाई स्पीड ऑटोमेटिक मशीन) कच्चा माल सुखाने के लिए मशीन इसके उसका पाउडर मिलाने के लिए अलग मशीन चाहिए होती हैं। आइये हर मशीन की उपयोगिता के बारे में जानते हैं –
मैनुअल मशीन(Manual Machine) – कम कीमत, बेहतर क्वालिटी और बेहतरीन उत्पादन क्षमता वाली मैनुअल मशीन को ऑपरेट करना बेहद सरल है। क्योंकि यह डबल और सिंगल पैडल दोनों ही प्रकार की होती हैं।
ऑटोमेटिक मतलब स्वचालित मशीन(Automatic Machine) – अधिक उत्पादन के उद्देशय से ऑटोमेटिक मशीन का चयन एकदम उपयुक्त है। अच्छे पैटर्न, डिज़ायन और सही आकारों में आसानी से बाज़ारों में मिलने वाली इन ऑटोमेटिक मशीनों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि केवल 1 मिनट में यह 150 से 180 अगरबत्तियों का निर्माण करने की क्षमता रखती है। इतना ही नही इस मशीन में आप सीधी, गोल और चौकोर प्रकार की स्टीक का उपयोग अगरबत्ती बनाने के लिए कर सकते हैं।
हाई स्पीड मशीन (High speed Machine) – पूरी तरह से ऑटोमेटिड इस मशीन को ऑपरेट करने के लिए आपको बेहद कम कर्मचारियों की ज़रुरत पड़ेगी। कम मज़दूरी में ज़्यादा उत्पादन देने की क्षमता लिये यह मशीन एक मिनट में 300 से 450 अगरबत्तियां बनाकर आपको दे सकती है। इस मशीन के ज़रिये आप अपनी अगरबत्तियों की लंबाई 8 से 12 इंच तक रख सकते हैं।
अगरबत्तियां सुखाने वाली मशीन(Incense Stick Dryer Machine)
कई प्रकार के मॉडल में उपलब्ध अगरबत्ती ड्रायर मशीन 25 हज़ार रुपये के भीतर आसानी से आ जायेगी। जिसमें 8 घंटों के भीतर 160 किलोग्राम से भी ज़्यादा अगरबत्तियां सुखाने की क्षमता होती है। जिससे बेशक ही कम समय में उत्पादन भी बढ़ेगा। ध्यान रखें कि कभी भी अगरबत्तियों को धूप में न सुखाएं और हर अगरबत्ती को अलग-अलग करके रखें वरना ये आपस में चिपक सकती हैं।
अगरबत्ती मिक्सचर मिलाने वाली मशीन (Incense Stick Powder Mixer Machine)
कई तरह के आकारों व उत्पादन क्षमता में आने वाली इस मशीन की लागत 32 हज़ार रुपये तक हो सकती है। इसके ज़रिये आप अगरबत्ती के सूखे व गीले दोनों प्रकार के मिश्रण को आसानी से मिला सकते हैं।
अगरबत्ती खुशबूदार हों तो बात ही अलग है
सुगंधित अगरबत्तियां बनाने के लिए आपको इन्हे सुखाने के बाद एक विशेष तरह की खुशबूदार सामग्री में डुबोना होगा। जिसके लिए बाजार में डाईथ्य्ल फ्थालाटे(Diethyl Phthalate-DEP) जिसे डीइपी भी कहा जाता है और सुंगधित परफ्यूम को 4:1 के अनुपात(Ratio) में मिलाकर व अगरबत्तियों को इसमें डुबोकर सुखाने के बाद इसकी पैकिंग करनी होगी।
अगरबत्ती की पैकेजिंग (Packaging of Incense sticks)
अगर आपका निर्मित प्रोडेक्ट क्वालिटी के सभी पैमानों पर बेहतरीन है किंतु उसकी पैकेजिंग ही अच्छी नही तो ये आपके लिये एक घाटे का सौदा हो सकता है। ऐसे में बेहद ज़रुरी है कि आप अपनी अगरबत्तियों की पैकेजिंग को लेकर भी पूरी तरह सजग रहें। एक आकर्षक पैकेंजिंग के साथ आप कही भी अपनी प्रोडेक्ट की मार्कटिंग बेहतरीन ढ़ग से कर सकते हैं। अगर ये काम हाथों से किया जा रहा है तो पहले एक निश्चित मात्रा में गिनकर अगरबत्ती को प्लास्टिक के पैकेट में डालकर, कंपनी का लोगो या नाम लिखी कलरफुल डिब्बी में डाल सकते हैं। लेकिन मशीन के माध्यम से करने पर इनकी पैकिंग पूरी तरह से ऑटोमैटिक रुप से होती है, जिसमें इनकी काउंटिंग भी शामिल है।
कहां से मिलेगी अगरबत्ती बनाने संबंधी कच्ची सामग्री
अब आपके मन में दूसरा विचार यह आया होगा कि इसके लिए कच्ची सामग्री कहां से मिल सकेगी। तो, हम आपको बताते हैं कि इसके लिए देशभर में कहीं से भी आसानी से कच्ची सामग्री मिल सकती है जैसे कि- अहमदाबाद स्थित एम के पांचाल इंडस्ट्रीज़, अमूल अगरबत्ती वर्क्स, शांति एंटरप्राजेज, कोलकात्ता में कृष्णा ग्रुप, लोकनाथ अगरबत्ती आदि। अपने शहर के मुताबिक ही आप विभिन्न वेबसाइट पर ऐसी कई कंपनियां ढ़ूढ सकते हैं जो आपको आसानी से किसी भी शहर में रहते हुए कच्चा माल उपलब्ध करा सकती हैं।
अगरबत्ती बनाने संबंधी कच्ची सामग्री
अगरबत्ती बनाने के लिए जिस कच्ची सामग्री की आवश्यकता होगी उसमें गम पाउडर, चारकोल पाउडर, नर्गिस पाउडर, सुगंधित तेल, पानी, सेंट, फूलों की पंखुडियां, चंदन की लकड़ी, जेलेटिन पेपर, शॉ-डस्ट, पैकिंग मैटेरियल की आवश्यकता खासतौर पर होती है।
एक नज़र मुनाफे पर भी
बेशक ही किसी भी व्यवसाय की शरुआत उसमें निहित मुनाफे को देखकर ही की जाती है। ऐसे में अगर अगरबत्ती उत्पादन को व्यवसाय के तौर पर चुनते हैं तो भविष्य में 30 लाख रुपये सालाना का बिजनेस कर सकते हैं। जिसमें से मजदूरी कच्चे माल की खरदीदारी, मशीनों की देख-रेख आदि पर होने वाले व्यय को निकाल कर 10% फायदे के साथ 3 से 4 लाख रुपये तक कमा सकते हैं यानी आपको 25 से 30 हज़ार रुपये महीने की कमाई हो सकती है।
अपने अगरबत्ती व्यवसाय का रजिस्ट्रेशन करवाना कभी न भूलें
अपने विचार को एक बड़ा औधोगिक रुप देने के लिए सबसे पहले आप अपनी कंपनी के आकार के अनुरुप आरओसी और एसएसआई यूनिट(ROC and SSI Unit) में अपने व्यवसाय को रजिस्टर ज़रुर करवायें। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि आपको लाइसेंस तो मिलेगा ही साथ ही, निवेशकों व खरीददारों का आपकी कंपनी पर विश्वास बढ़ेगा।