अपनी पसंदीदा खाने को खाने की प्लेट में हम लोग जिस तरह से खाते हैं, इस पर कई बार अपनी मां को यह कहते सुना होगा कि खाने के साथ प्लेट भी खा लो। अगर मैं आज आपको बताऊं कि एक ऐसी प्लेट, कटोरी भी है जिसे आप खाने के बाद खा भी सकते हैं तो थोड़ा अटपटा सा नहीं लगता। जी हां, आज हमारे पास ऐसे एडिबल क्रोकरी है जिसे हम खाने के बाद खा सकते हैं और अगर ना खाना चाहे और इसे फेंक भी दें तो इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। इस अटपटे पर बेहतरीन आइडिया के पीछे जो शख्स हैं उनका नाम है पुनीत दत्ता।
पुनीत दत्ता (Puneet Dutta)का जन्म हरियाणा के फरीदाबाद में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। बचपन से ही यह व्यवसाय करना चाहते थे पर इनके परिवार में किसी को व्यवसाय का अनुभव नहीं था इसलिए इन्हें पढ़ाई के बाद 1999 में अखबार की एजेंसी ले ली पर यहां अनुभव की कमी के कारण वह इसमें असफल रहे। इसके बाद इन्होंने बीपीओ सेक्टर में काम किया। अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के पहले इन्होंने ग्लोबल रिक्रूटमेंट कंपनी में एक अच्छे पद और अच्छी तनख्वाह में काम किया।
साधु को खाते देख एडिबल क्राकरी बनाने का विचार आया
पुनीत दत्ता बताते हैं कि उनका शुरू से ही मन कुछ अपना करने का था। वह अपना कारोबार करना चाहते थे और उनके इसी सपने को तब पंख लगे जब वह 2013 में वृंदावन की यात्रा पर गए थे। हुआ कुछ यूं था कि जब वह यमुना नदी के ऊपर का पुल पार कर रहे थे तब नदी में इन्हें कुछ सफेद तैरता दिखा। दिखने में तो वह काफी सुंदर दिख रहा था पर जब नजदीक गए तब उन्होंने देखा कि यह एक थर्माकोल का शीट था। इसके बाद जब वह वृंदावन पहुंचे तो वहां देखा कि जहां-जहां भी भंडारे चल रहे थे वहां प्लास्टिक की प्लेटस के कचरे की ढेर लगी हुई थी। बहुत जगह इतने सारे लोग थे कि प्लेट्स की कमी हो गई थी। तभी उनकी नजर एक साधु के ऊपर पड़ी जो पूड़ी के ऊपर ही सब्जी लेकर खा रहे थे। यह देखकर ही पुनीत को अचानक से यह विचार आया कि क्यों ना ऐसे बर्तनों का निर्माण किया जाए जिसमे खाने के बाद हम प्लेट्स भी खा सकते हैं। यहां से आटावेयर ( Aataware) का सफर शुरू हुआ।
आटे से बर्तन बनाने की शुरुआत
पुनीत ने ऐसे बर्तनों को बनाने का तो सोच लिया था पर इसके लिए उन्हें काफी रिसर्च करनी पड़ीम रिसर्च करने पर उन्हें पता चला कि कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका हम इस्तेमाल लगातार कर सकते हैं। काफी गहन रिसर्च के बाद उन्होंने आटे से बर्तन बनाने का सोचा। सबसे पहले उन्होंने एक कटोरी बनाने की सोची। कटोरी बनाना तो आसान था पर उसे मजबूती कैसे दें इसमें उन्हें बहुत परेशानी आ रही थी और उन्होंने एक बार फिर से इसपर रिसर्च करना शुरू किया।
टूरिस्ट गाइड की बात सुन बर्तन को मजबूती देने का आईडिया आया
इसी तरह कुछ दिन बीत गया और एक दिन पुनीत कुतुब मीनार गए थे। वहां पर उन्होंने टूरिस्ट गाइड को किसी टूरिस्ट से यह कहते सुना कि भारत की कुछ पुरानी इमारतों के निर्माण में गुड़ का इस्तेमाल किया गया है। इससे इमारत को मजबूती मिलती है फिर क्या पुनीत को यहां से अपनी बर्तनों में मजबूती देने का आइडिया मिल गया।
पुनीत दत्ता कई सालों की मेहनत और रिसर्च के बाद आखिरकार आटे और गुड़ के बर्तन बनाने में सफल रहे। इसके बाद उन्होंने इसका पेटेंट फाइल किया और पेटेंट मिलने के बाद अगस्त 2019 में इन्होंने आटावेयर स्टार्टअप की शुरुआत की।
कई तरह के बर्तन बनाए जाते हैं
आटावेयर ( Aataware)स्टार्टअप के तहत आटे और गुड़ के कटोरी, अलग-अलग शेप और साइज के प्लेट्स, ग्लास, चम्मच जैसे बर्तन बनते हैं। एक किट में 63 प्रोडक्ट्स होते हैं। यह सभी जैविक, प्राकृतिक और खाने योग्य होते हैं । अगर इसमे खाने के बाद बर्तनों को आप खाना नहीं चाहते हैं तो यह 30 दिनों के अंदर डी-कंपोज हो जाता है। यह मिट्टी में मिल कर मिट्टी को पोषण प्रदान करता है। एडिबल क्रोकरी को लॉन्च करने से पहले कई लैब में इसका टेस्ट किया गया। इसे गुरुग्राम की एक लैब में ट्रायल के लिए दिया गया और इन सब जगह से इसकी पुष्टि होने के बाद ही इसे पुनीत ने लांच किया।
फंडिंग के लिए कोई तैयार नही था
पुनीत दत्ता ने जब स्टार्टअप की शुरुआत करने की सोची तो उ उन्हें यह समझ में आ गया कि उन्हें अपना किस तरह का कारोबार करना है। उसमें मुश्किल फंडिंग को लेकर आई। शुरू में लोगों को उनका यह विचार समझ में नहीं आया और कोई फंडिंग देने के लिए तैयार नहीं था । लेकिन कहते हैं ना कि जहां चाह वहां राह । इसी तरह पुनित ने भी किसी तरह अपने स्टार्टअप की शुरुआत कर ही ली।
भविष्य की योजना
पुनीत ने अभी तक लगभग 75000 प्रोडक्ट बेचे हैं। यह सारे प्रोडक्ट निजी ग्राहकों को ही बेचे गए हैं। पर पुनीत का कहना है कि वह हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, धार्मिक स्थल या मल्टीनेशनल कंपनियों में अपने प्रोडक्ट को बेचने की योजना बना रहे हैं। उनकी योजना 86 शहरों में अपने डिस्ट्रीब्यूटर तैयार करने की है। वह अपने स्टार्टअप का प्रचार और इसकी मार्केटिंग सोशल मीडिया के माध्यम से करते हैं।
किसानों और महिलाओ को रोजगार देने का विचार
इनके अलावा पुनीत की योजना छोटे किसान और महिलाओं को रोजगार प्रदान करने की भी है। उनकी कोशिश है कि वह छोटे किसान, जिनके पास कम से कम 2 हेक्टेयर तक की जमीन हो। उनसे उनकी फसल सही दामों पर खरीदे, जिससे उन्हें आटा और गुड़ बनाने के लिए गेंहू और गन्ना मिल सके। इससे किसानों को भी सही दाम मिल सकेगा।
विदेशो में जाते है इनके उत्पाद
आटावेयर स्टार्टअप की फैक्ट्री फरीदाबाद और बहादुरगढ़ में स्थापित है। अभी तक यह भारत के अलावा सऊदी ,कतर ,ऑस्ट्रेलिया ,श्रीलंका, दुबई, सिंगापुर जैसे देशों में भी अपने उत्पादों को भेज चुके हैं। इनके डिस्ट्रीब्यूटर आज यूके में भी हैं। पुनीत दत्ता ( Puneet Dutta) का जोर अपने प्रोडक्शन को बढ़ाने पर है ताकि बाजार के मांग के हिसाब से वह उतने उत्पाद तैयार कर सकें। अगर आप भी आटावेयर स्टार्टअप के बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो 9871014728 पर सम्पर्क कर सकते है।