भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के किसान खेती के लिए अन्य प्रकार के कंपोस्ट तैयार कर बीजों को उपजाते हैं। खेती में किसान हर संभव प्रयास करते हैं कि वह ज़्यादा मात्रा में उपज कर सकें। लेकिन कभी प्राकृतिक आपदा के कारण फसलें बर्बाद हो जाती हैं और उनका मेहनत भी जाया चला जाता है। जिस तरह आबादी बढ़ रही हैं, किसानों को खेती के लिए जमीन की कमी भी हो रही है। इस दौरान हमारे देश की महिला किसान जिन्हे ‘हरियाली दीदी’ के नाम से जाना जाता है। वह किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 6 वर्षो से अपने छत पर खेती कर रही हैं। जो सभी किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है। आईये जानते हैं, कौन है “हरियाली दीदी…”
पुष्पा साहू (Pushpa Sahu)
“हरियाली दीदी” के नाम से मशहूर इस महिला किसान का वास्तविक नाम है, पुष्पा साहू (Pushpa Sahu)। जो छत्तीसगढ़ (Chhattigarh) की रहने वाली हैं। इन्होंने ग्लोबल वार्मिंग को ध्यान में रखते हुए अपने घर की छत पर सब्जियों, औषधियों और फलों के साथ फूलों का भी बगीचा लगाया है। इनका मकसद खेती के लिए सब को जागरूक करना है। पुष्पा का मनना है कि सभी व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ गये हैं और खेती के साथ पर्यावरण को भी भूल गयें हैं। इसलिए वह बेरोजगार युवकों और घरेलू महिलाओं को घर पर खेती करने की सलाह दे रही है। साथ ही वह उन लोगों को रोजगार भी दे रही है। उनका मानना है कि अगर स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना है तो जैविक खेती और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने से ही यह संभव हो सकता है।
जैविक खेती से होने वाले लाभ
शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर फल और सब्जियों में अधिक मात्रा में हानिकारक रसायन उपलब्ध होते हैं जिससे शरीर अस्वस्थ होता है। इसीलिए ज़रूरी है कि इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए हम अपने छत पर फलों, सब्जियों और औषधियों की खेती करें। इस जैविक खेती से हमे अन्य प्रकार के भी लाभ हो सकते हैं। साथ ही सही तरीके से सही मात्रा में हमें उन सब्जियों, फलों और औषधियों के सेवन से शरीर भी सुरक्षित रहेगा। खास बात तो यह है कि इस महंगाई के समय में पैसे की बचत होगी।
वातावरण को स्वच्छ रखें
हम यह अच्छे से जानते हैं कि कार्बनिक कचरों से हमारे आसपास का वातावरण दूषित होता है और वहां पर रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य में भी परेशानियां होती हैं। इसीलिए इस हर क्षेत्र में स्वच्छता अभियान के नियमों का भी पालन करना जरूरी है।
छत पर बना किचन गार्डन
खेती करने के दौरान छत के फर्श पर पौलिथिन बिछाकर मिट्टी फैलाकर पौधों को उसमे रोपा जाता है। समय-समय पर उस मिट्टी के साथ पौधों का निरीक्षण कर उनमें उर्वरक का छिड़काव भी करना ज़रूरी होता है वरना पौधों में कीटाणु लग जाते हैं और वह फसल बर्बाद हो जाती है। आज के युग के लिए किचन गार्डन बहुत ज़रूरी है। खुद से उपजाई गई सब्जियों और फलों से प्रोटीन और अन्य पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में मिलेंगे जो शरीर के लिए लाभदायक होगा। शहरी क्षेत्रों में जमीन की कमी के कारण यह खेती अपने छत पर अपनी रोजमर्रा की आम ज़रूरतों को पूरा करने के लिए करना बहुत ज़रूरी है। इस खेती में उर्वरक के लिए आप अपने घर के कार्बनिक कचरा और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर सकते हैं। जिससेे पार्यवरण के संतुलन के साथ जीवन-यापन भी सही तरिके से होगा।
पुष्पा छत पर अन्य प्रकार की खेती करती हैं
Pushpa Sahu अपने किचन गार्डन में सब्जियों के तौर पर पुदीना, आदि, गोभी, बैगन,टमाटर, लौकी, कुंदरू, कांदा, मिर्ची, पालक, धनिया और मुली आदि उगाती हैं। साथ ही फूलों और फलों में , गेंदा, गुलाब, मोंगरा, पपीता, मुनगा, सेब, अमरूद, नींबू, चीकू, आम और पपीता जैसे अन्य फलों को भी उगाती हैं। यह सभी उपज वह “जैविक खेती” के जरिये कर रही हैं, जो प्रशंसनीय है।
पुष्पा का कहना है कि अगर हम कुछ ही रुपये खर्च कर खुद अपने हाथों से पूर्ण रूपेण केमिकल युक्त फल और सब्जियां खा सकते हैं तो इससे अच्छा कुछ नहीं हैं। Pushpa द्वारा की गई खेती जो पार्यवरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किया गया है, वह अद्भुत है। इन कार्यों के लिए The Logically उन्हें नमन करता है।
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