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ठेठ गांव से आने के कारण लोगों ने खूब ताने मारे, आज अपनी मेहनत से भावना जाट ओलॉम्पिक के लिए चुनी जा चुकी हैं

भारतीय समाज में सदियों से बेटियों को कई प्राचीन कुप्रथाओ, रीति-रिवाजों, पुरूषप्रधान मानसिकता के कारण अनेको दुःख-पीड़ा सहना पड़ा। इसके बावजुद भी हमारी समाज की कुछ लड़कियां हम सब के लिए प्रेरणा बनी हुई है। आज हम बात करेंगे ओलंपिक के लिए चुने जाने वाली भावना जाट (Bhawna Jat) की , जिन्होंने अपनी मेहनत के बदौलत समाज और पूरे देश के लोगों के सामने अपने सफलता के जरिए एक अच्छा संदेश देने का काम किया है। आर्थिक तंगी तथा बहुत सारे बाधाओं को झेलते हुए वे खेल की दुनिया में एक अलग ही मुकाम हासिल की हुई है तथा समाज के अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है।

 Bhawna jat qualifies Olympic



‌कौन है वह होनहार लड़की :–

‌भावना जाट ( Bhawna Jat) राजस्थान (Rajasthan)के कावरा की रहने वाली है। उनका जन्म 1 मार्च वर्ष 1996 को राजस्थान के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता शंकर लाल जाट (Shankar Lal Jat) के पास खेती की दो एकड़ ज़मीन थी और माँ नरसो देवी (Narso Devi) एक गृहिणी थीं। शुरू से ही भावना जाट एथलेटिक्स में रूचि रखती थीं और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भी भाग लेना चाहती थीं।

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‌भावना जाट की उपलब्धियां :–

‌ भावना जाट (Bhawna Jat) ने 2016 में 10 किलोमीटर के इवेंट में जयपुर में आयोजित जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप (Junior National Championship) में रजत पदक जीता। उन्हें पहली बड़ी सफलता 2019 में मिली, जब वे अखिल भारतीय रेलवे प्रतियोगिता में 1 घंटा 36 मिनट 17 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीतीं। इस प्रदर्शन से उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ा। एक साल बाद, उन्होंने राँची में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 2020 में 1 घंटा 29 मिनट 54 सेकेंड के समय के साथ 20 किलोमीटर की पैदल चाल में स्वर्ण पदक के साथ अपने प्रदर्शन को और बेहतर किया। इस प्रकार उन्होंने एक नया राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया, और इससे उन्हें टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने का टिकट भी मिल गया क्योंकि ओलंपिक के लिए कट-ऑफ़ मार्क 1 घंटा 31 मिनट था। इस कार्यक्रम में उनके प्रदर्शन की सराहना राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने भी की।


‌ भारतीय महिलाओं के लिए “भावना जाट” की ओर से संदेश :–

‌ भावना जाट के अनुसार, भारतीय महिला एथलीटो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसर मिलना चाहिए । अपने आप के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया की बिना किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिए ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना अपने आप में छुपी प्रतिभा को दर्शाता है। भावना के अनुसार, महिलाओं को अपने अंदर छुपी प्रतिभा को बेहिचक सभी तरह के प्रतियोगिता में भाग लेकर समाज को सकारात्मक संदेश देना चाहिए।

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

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