Wednesday, December 13, 2023

मटका विधि: छोटी जगह और कम पानी में भी सब्जियां उगाने की यह शानदार प्रक्रिया है, कहीं भी कर सकते हैं खेती

ज़्यादातर लोगों का कृषि की तरफ रुझान बढ गया है। कई अलग-अलग विधियों से लोग खेती कर रहे हैं। फिर अपनी उपज से दूसरों की मदद भी कर रहें हैं। जो कृषि कर रहें हैं उनको उसके बहुत फायदे भी है। उनको अपनी रोजी-रोटी के लिए बाहर नौकरी करनें की ज़रुरत नहीं पड़ती है। वे आत्मनिर्भर होते हैं। बहुत सारे लोगों खेती की तरफ रुख अख्तियार किए है तो कुछ लोग अब भी जमीन कम होने की वजह से खेती नहीं कर पाते हैं। कम जमीन में भी खेती किया जा सकता है, केवल उसके बारें में कोई बताने वाला होना चाहिए।

राजस्थान के एक शख्स रासायन फ्री खेती कर रहें हैं। साथ ही कम जमीन में उत्पादन बढ़ाने के नुस्खे भी देते हैं। आईये जानतें हैं कि कम जमीन में अधिक से अधिक उत्पादन कैसे करे वो भी बाजार के किसी भी केमिकल रासायनिक का बिना उपयोग किये।

राजू राम राठौड़ (Raju Ram Rathaud) राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर जिला के बिलाड़ा (Bilaada) गांव के रहनें वाले हैं। राठौड़ अपनी जमीन पर अलग-अलग प्रयोग करतें हैं और लोगों को इसके बारें में बताते हैं। उन्होनें कम जमीन वाले किसानों को मटका विधि से खेती करने का उपाय बताया हैं।

मटका विधि से खेती कैसे करे?

राठौड़ ने बताया कि मटका विधि के लिए सबसे पहले एक गोल मटका लें। उसके मुंह से थोड़ा नीचे चार अलग-अलग दिशाओं में चार छेद करना है। उसके बाद मटके को जमीन में ऐसे गाड़ना है कि मटके के अन्दर मिट्टी नहीं जाए। इसके बाद मटके के चारों छेदो पर पत्थर रखकर चारों तरफ से मिट्टी से ढक दे। अब इसमें पोषकतत्वों से युक्त पानी से भर दे। चारों छेदो से धीरे-धीरे पानी रिसते हुए जमीन के चारों ओर जायेगा जिससे जमीन गीली हो जायेगी। अब गीली जमीन में अपने पसंद की बीज बो सकतें है।
राठौड़ का कहना हैं कि “कुछ वक्त बाद बीज अंकुरित होने लगेंगे और बेल बढ़ने लगेगी। जब बेल दो फीट बढ़ जाये तो मटके के तले में छेद करना है। ऐसा करने से बेलों की जड़ों को बिना किसी रुकावट के सीधे पानी और पोषक मिलेगा। ध्यान देने योग्य बात यह है कि मटका जैसे खाली हो उसमें पानी भर देना है। ऐसा करने से बेल एकदम हरी-भरी रहेगी। इस प्रयोग से जड़ों को हमेशा पानी मिलेगा और ज़्यादा पानी वेस्ट भी नहीं होगा। राजू राठौड़ यह भी बताते हैं कि बेलों के 1 फीट बढ़ने पर इसमें 2जी और 3जी कटिंग भी किया जा सकता है। ऐसा करने से उत्पादन में वृधि होगी।

राठौड़ ने आगे बताया कि अगर कोई किसान किसी और भी चीज का बोना चाहता है तो बो सकता है। उन्होनें बताया कि मटके के अन्दर भी खेती हो सकती है। इसके लिए उन्होनें बताया कि पहले मटके के ऊपर एक दुसरे मटके में चारो तरफ छेद कर के और एक छेद तली में कर के रख देना है। तली की छेद पर नारियल की छाल या उपला का टुकड़ा रख के उसमें मिट्टी भर कर मटके के ऊपर के छेदो में बैगन जैसी सब्जियां बोया जा सकता है। कुछ वक्त बाद, बीज अंकुरित होंगे और छेदो के बाहर पौधें आने लगेंगे। दुसरे मटके के ऊपर एक और मटका में छेद कर के रखा जा सकता है। इसमे किसान चाहे तो टमाटर और मिर्च का पेड़ लगा सकता है। ऊपर वाले मटके में जो पानी डालायेगा वहीं पानी रीस कर बाकी के निचले मटके में भी जायेगा, या फिर मटका उठा के भी पानी डाला जा सकता है।

यह भी पढ़े :-

मटका ठिम्बक पद्धति, पौधरोपण की सबसे पुरानी पद्धति जिससे सैकड़ों साल तक पौधे को स्वतः पानी मिलते रहता है

Source-ThebetterIndia

राजू राम राठौड़ लोगों को दीवार पर खेती करने की भी सलाह देते हैं। उन्होनें बताया कि इसके लिए प्लास्टिक की बड़ी बोतलों के तल को काट कर इन्हें दीवार पर उल्टा लटका देना है। इसमे मिट्टी, खाद डालकर पत्तेदार सब्जियां उगाया जा सकता है। जैसे- टमाटर, प्याज, लहसुन आदि। इस प्रकार से किसान भाई कम जमीन में अलग-अलग बेल लगाकर फसलें उगा सकतें हैं। राठौड़, “गेहूं, बाजरे के साथ साथ मौसमी सब्जियों और मसालों (हल्दी, जीरा, मिर्च) की खेती भी करते हैं। इनकी अधिकतर उत्पादन ग्राहकों तक पहुंचती हैं।”

राजू राम राठौड़ 11 वर्षों से 5 एकड़ जमीन पर केमिकल फ्री खेती कर रहें हैं। वह 7-8 वर्षों से गाय के गोबर और वेस्ट डीकम्पोजर पर आधारित खेती कर रहें हैं। उनके साथ उनके आसपास के बहुत से किसान जुड़े हुयें हैं। वह किसानों को खाद से लेकर जैविक कीट प्रतिरोधक भी बनाना सिखाते हैं।

कम जमीन में ज़्यादा से ज़्यादा उत्पादन करने की विधि और लोगों को बिना केमिकल के कृषि करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राजू राम राठौड़ को The Logically सलाम करता है।