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Bintix waste research private Limited एक कचड़ा प्रबंधन कम्पनी है जो कचड़े को खरीदार उसका रिसायकल करते हैं ।

कचरा…. लोगों का मानना है कि कचरा को घर से बाहर फेंकने से ही उससे निज़ाद पाया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसा करते वक़्त हमें याद रखना होगा कि पूरी पृथ्वी ही हमारा घर है। इसे सुंदर व स्वच्छ बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। आज इस मॉर्डन जेनरेशन में हमारे युवा, किसान, महिलाएं, मित्र और कम उम्र के लड़के कचरों से खाद, डेस्क बोर्ड और अन्य सामग्रियों को बना रहें हैं, यह कार्य सबके लिए बेहद लाभदायक है।

आज हम ऐसे मित्रों के बारे में बात करेंगे जो लोगों के घरों में जाकर रीसायकल हुए सूखे कचरों को जमा करते हैं और इसके बदले उन्हें पैसे भी देते हैं।

तीन मित्रों का स्टार्टअप

वर्ष 2018 में रौशन मिरांडा (Raushan Miranda) जयनारायण कुलथिनगल (Jayanarayan kulthingal) और उदित पाटीदार (Udit Patidar) तीन मित्रों ने मिलकर हैदराबद (Hyderabad) में “बिंटिक्स वेस्ट रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड” (Bintix’s) नामक स्टार्टअप कियें। इन मित्रों ने कचरे के कीमत को महसूस करने के लिए इस पहल की शुरुआत की। ये लगभग 250 मीट्रिक टन कचरा रिसाइकिल कर उसे अन्य जगहों पर भेज देते हैं। अब तक लभगभ इन्होंने 80 हज़ार व्यक्तियों के घरों से कचरे को जमा कर चुके हैं।

स्मार्टफोन से होता है कार्य

अगर किसी व्यक्ति को सर्विस चाहिए तो पहले मोबाइल ऐप को डाऊनलोड कर इसके सर्विस को सब्सक्राइब करना पड़ता है। इनका यह सब्सक्रिप्शन कस्टमर को निःशुल्क मिलता है। इसमें आपको एक बैग मिलेगा जिसमे कचरे को डालना है। 1 सप्ताह बाद आपके यहां से कचरा को जमा किया जायेगा। आपको जो बैग मिला है, उसमें QR कोड दिया जाता है जिससे आप यह पता लगा सकते है कि यह कचरा कहां तक जा चुका है। जब आपका यह कचरा फैक्ट्री जायेगा वहां इसका वजन होगा और इसके अनुसार उस व्यक्ति को E-Volet से उसकी राशि को सेंड कर दी जाती है। इतना ही नहीं एक QR कोड उस ग्राहक के दरवाजे पर लगाया जाता है ताकि बिंटिक्स यह जान सकें कि अगला कचरा कब लेना है। कचरों को लभगभ 30 भागों में बंटा जाता है जैसे कागज अलग, प्लास्टिक अलग…..। इस कचरे का कीमत 2 रुपये से 8 रुपये किलोग्राम तक होता है।

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कैसे हुई इस सफर की शुरूआत

उदित अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई सम्पन्न किये और आगे स्टॉकहोम के KTH रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलीजि से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से मास्टर्स की उपाधि प्राप्त किये। इसके बाद कम्प्यूटर विज्ञान से PHD कियें। उसी समय उदित रौशन से मिलें। रौशन अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी कर आगे की पढ़ाई कर रहें थे। जयनारायण अपनी PHD की पढ़ाई यही से सम्पन्न कर मिनेसोटा के मयो क्लीनिक चले गए। वहां इंडिया आकर वह 2010 में पुणे के एक इंडस्ट्री में विकास विंग और अनुसंधान में कार्य किये।

मित्र Udit भी इंडिया इसी वर्ष आये और Intel में कार्यरत हुये। साल 2012 में यह बोस्टन के एक ग्रुप से जुड़े और जीवविज्ञान से अपनी कंसल्टेंसी सर्विसेज दियें। आगे इन्हें लगा कि यह सस्टेनेबेलिटी में रुचि रखते हैं तो एक सोशल एंटरप्राइजेज “वेस्ट वेंचर्स इंडिया” का शुभारंभ कियें। उनकी यह कम्पनी बड़े लेवल के लोगों का कचरा इकट्ठा करने का काम करती थी। थोड़े टाइम इन्हें महसूस हुआ कि क्यों न आम लोंगो के खातिर भी मैं कुछ करूँ। तब इन्होंने बिंटिक्स को प्रारंभ किया और दोनों दोस्तों को भी इसमें ऐड करलियें।

7 हज़ार सब्सक्राइबर हैं और पत्येक माह 16 टन कचरा जमा करते है।

बिंटिक्स को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो कचरा को बिना अलग कियें देते हैं। बहुत बार इन्हें अपने पास के पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। बहुत सारी समस्याओं को पार करते हुए इसके 7 हज़ार सब्सक्राइबर हैं और प्रत्येक माह 16 टन कचरा जमा करते हैं। इनका अब आगे का उद्देश्य है कि यह 40 शहरों तक अपने सर्विसेज को फैलाएं। इनका उद्देश्य बस एक ही है कि हमारे घर का कचरा कहीं भी खाली जगह पर न जाये।

कचरे के प्रबंधन के लिए इतना अच्छा कार्य करने के लिए The Logically इन तीनो मित्रों को शत-शत नमन करता है। साथ ही अपने पाठकों से अपील करता है कि वह कचरा इधर-उधर ना फैलाएं और पर्यावरण का ध्यान रखें।

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