अगर मन में ये जुनून हो कि हम किसी भी परिस्थिति में आम इंसान से बेहतर बनेंगे तो उसे कोई नहीं रोक सकता। आज की हमारी यह कहानी एक ऐसे शख्स की है जो गांव में बेहतर कार्य कर अन्य युवाओं का मनोबल बढ़ा रहे हैं। उनके गांव में सब उन्हें “रैंचो” कहकर बुलाते हैं क्योंकि उनके द्वारा किए गए इनोवेशन से आज उनके गांव में बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
ये कोई 3 इडियट मूवी वाले रैंचो नहीं बल्कि रियल लाइफ “रैंचो” है। जिनका नाम अनिल प्रधान (Anil Pradhan) है और उनकी आयु 24 वर्ष है। वे एक ऐसा स्कूल चला रहे हैं जो थ्री इडियट्स मूवी में रैंचो के किरदार निभाने वाले आमिर खान ने खोली थी। आईए अब थोड़ा विस्तार से जानते हैं रैंचो यानी अनिल प्रधान की कहानी….
गांव के बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए करना चाहते थे कार्य
24 वर्षीय अनिल प्रधान (Anil Pradhan) उड़ीसा (Odisa) के बराल गांव से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की तामील हासिल की है। अपनी पढ़ाई संपन्न करने के उपरांत उनके सामने बहुत से इंटरनेशनल कंपनियों से जॉब के ऑफर आए परंतु उन्होंने इन सब को ठुकरा दिया। इसके पीछे एकमात्र उद्देश्य यह था कि वह स्वयं के लिए या फिर किसी अन्य कंपनी के लिए कार्य नहीं करना चाहते थे बल्कि उनकी चाहत गांव के बच्चों को आगे बढ़ाने की थी। -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
द्वीप पर किया स्कूल का शुभारंभ
इस कार्य के शुभारंभ के लिए उन्होंने कटक से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक द्वीप पर स्कूल को खोला। इस द्वीप पर छोटे-छोटे गांव का ग्रुप निवास करता है जिसे लोग “42 मोउजा” के नाम से जानते हैं। यहां के आसपास के कई क्षेत्रों में ना हीं बिजली, ना हीं पानी और ना हीं स्कूल की व्यवस्था है। अब हम सब ये अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां पर लोगों को गर्वमेंट से कितनी मदद मिल रही होगी। -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
स्कूल का नाम है “इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल फॉर रूलर इनोवेशन”
उन्होंने इस द्वीप पर स्कूल इसीलिए खोला ताकि यहां के बच्चों को दिक्कतों का सामना ना करते हुए शहरों की तरफ ना जाना पड़े। उन्होंने अपने इस स्कूल का नाम “इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल फॉर रूलर इनोवेशन” रखा है। यहां पर बच्चों को पारंपरिक तौर से शिक्षा नहीं दी जाती बल्कि उन्हें वैज्ञानिक तरीके से इनोवेशन करते हुए पढ़ाया जाता है। इस स्कूल में ठीक उसी तरह पढ़ाई होती है जैसे 3 ईडियट्स मूवी में रैंचो के स्कूल में हुआ करता था। यहां पर जो बच्चे पढ़ते हैं उसे सिर्फ याद नहीं करते बल्कि अपने दैनिक जीवन में उपयोग भी करते हैं। -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
मुश्किलों से मिली प्रेरणा
अनिल ने अपने जीवन में बहुत कुछ सीखा है। वह बताते हैं कि मैं पढ़ाई करने के लिए बहुत दूर जाया करता था, मेरा स्कूल गांव से लगभग 12 किलोमीटर दूर था जिसकी दूरी मैं साइकिल से तय करता था। अनिल के पिता का नाम एसके (S.K) है और वह सीआरपीएफ के जवान है। वह अपने बेटे को यह सिखाया करते हैं कि “विकास स्वयं से नहीं बल्कि हमारे देश के विकास से होता है।” -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
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दिया प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर
वह बताते हैं कि स्कूल खोलने के बारे में आइडिया मेरी मां ने मुझे दिया। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के साथ कॉलेज की रोबोटिक सोसाइटी में भी भाग लिया है जिससे रोबोटिक्स टेक काफी बढ़ी। उन्होंने यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट सैटेलाइट टीम के साथ हीराकुंड बांध को मॉनिटर करने के लिए एक सेटेलाइट का निर्माण किया। वह बताते हैं कि मैंने किताबों से अधिक प्रैक्टिकल पर फोकस किया है जिस कारण आज मेरे स्कूल में भी प्रैक्टिकल पर ही ज्यादा जोर है। वह बताते हैं कि उन्होंने अपने कॉलेज की मित्रों के साथ मिलकर यह एसी उपकरण का निर्माण किया जो कारखानों एवं घरों द्वारा बिजली की खपत को लगभग 60% तक कम कर सके।
-Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
मिला है नेशनल यूथ अवार्ड
अनिल को भारत सरकार की तरफ से वर्ष 2018 का नेशनल यूथ आईकॉन अवॉर्ड मिला है। वह बताते हैं कि भले ही मैंने शिक्षा हासिल करने के लिए अधिक दूरी तय की है और गांव से बाहर गया हूं परंतु मैं यह नहीं चाहता कि मेरे गांव के बच्चे सफलता हासिल करने के लिए शहरों की तरफ रुख मोड़ें। इसीलिए इस उद्देश्य से मैंने इस स्कूल की शुरुआत की है। इस स्कूल के निर्माण में उनकी मदद उनके पैरंट्स ने की और बाकी राशि उन्होंने कंपटीशन में जीते हुए पैसे लगाए। -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
गांव के लोग हैं अनिल का आभारी
स्कूल का निर्माण लगभग 3 एकड़ जमीन में हुआ और इसे वर्ष 2017 में शुरू किया गया। यह जमीन अनिल के परिवार की हीं थी। अनिल की मां शिक्षिका थी इसीलिए उन्हें प्रिंसिपल का पोस्ट सौंपा गया। वह बताते हैं कि हमने यह सोंचा कि बच्चों का ध्यान लैब पर ज्यादा केंद्रित किया जाए। यहां बच्चों को प्लास्टिक की बोतलों का गार्डेनिंग के लिए प्रयोग करने के विषय में सिखाया जाता है, आगे इसका निरीक्षण किस तरह किया जाए, पौधे का पोषण किस तरह किया जाए और फिर वह किस तरह विकसित हो यह सब प्रैक्टिकली दिखाया जाता है। उन्हें यह भी बताया जाता है कि आप किस तरह प्लास्टिक को डंप करने के अतिरिक्त इसका पुनः उपयोग कर सकते हैं इसके अतिरिक्त यहां के बच्चों को बायोलॉजी और देखभाल करने का हुनर भी सिखाया जाता है। -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
नासा में जाने के लिए किया जा रहा है बच्चों को तैयार
बच्चों को रानी सीढी के इस्तेमाल से पाई चार्ट, विभिन्न रंगों से विश्व का नक्शा किस तरह बनाएं यह सब सिखाया जाता है। इसके अतिरिक्त यहां स्कूल की सीढ़ियों पर यूनाइटेड नेशन के 17 स्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्य पेंट किए गए हैं। अब उनके स्कूल के बच्चे नासा के लिए तैयार किए जा रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने लगभग 30 जिलों के बच्चों को चयनित किया है एवं इनमें से 10 बच्चों को नासा ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा कि इन बच्चों में एक ऐसी लड़की है जो पहले वेल्डिंग का कार्य किया करती थी और एक ऐसा लड़का है जो पहले साइकिल में पंचर लगाने का कार्य किया करता था। आज उन्हें नासा के लिए निर्मित किया जा रहा है। -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village
मिलती है शिक्षा, भोजन और आवास निःशुल्क
अनिल यह बताते हैं कि शुरुआती दौर में जब मैंने यहां बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ किया तो कोई भी परिजन नहीं चाहता था कि उसका बच्चा पढ़ें क्योंकि वह सब अपने पिता की मदद घर परिवार चलाने में किया करते थे। परंतु उन्होंने किसी तरह उनके परिजनों को मनाया और उन्हें यह समझाया कि शिक्षा का महत्व क्या है। उन्होंने यहां बच्चों को निःशुल्क भोजन, निःशुल्क शिक्षा एवं रहने की सारी व्यवस्था दी जिस कारण आज उनके पास ढाई सौ बच्चे इस स्कूल में पढ़ रहे हैं और बेहतरीन कार्य के लिए तैयार किए जा रहे हैं। रात में बच्चों को सौर्यमंडल की पढ़ाई के लिए कक्षा होती है ताकि वे ग्रहों को अच्छी तरह से जान सके। -Anil Pradhan of Orissa who became a real life rancho for the children of the village