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प्लास्टिक के कचरे से बनाए जा सकेंगे सजावटी सामान, असम की इस महिला ने शुरू की पर्यावरण संरक्षण की यह शानदार मुहिम

बात अगर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वालों कि हो, तो हम देख सकते हैं कि अधिकांश व्यक्ति इस क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं। इसी कड़ी में असम की एक महिला का नाम भी शामिल हो गया है।

इस महिला का नाम रूपज्योति सैकिया गोगोई (Rupjyoti Saikia Gogoi) है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ऐसा तरीका खोजा है, जिससे प्लास्टिक का निपटारा आसान से हो सकेगा एवं उससे सजावटी समान भी बनाए जा सकेंगे।

कई व्यक्तियों को मिला है रोजगार

रूपज्योति सैकिया गोगोई (Rupjyoti Saikia Gogoi) ने अब तक राज्य के 35 से अधिक गांवों के लोगों को रोजगार दिया है। वे सैकिया काजीरंगा (Kaziranga) राष्ट्रीय उद्यान के पास रहती हैं, जो एक विश्व धरोहर स्थल है। यहां अकसर लोग घूमने आया करते हैं, लेकिन लोगों का जमघट लग जाने से प्रदूषण का स्तर भी बढ़ते जा रहा है, इसलिए उन्होंने तय किया है कि इन कचरों से वे कुछ अलग करने की कोशिश करेंगी।

Rupjyoti Saikia Gogoi launches her venture 'Village Weaves' in Assam to upcycle plastic waste into traditional handloom items

शुरू किया विलेज वीव्स

पर्यावरण के प्रति उत्साही सैकिया ने साल 2004 में अपना ‘विलेज वीव्स’ (Village weaves) शुरू किया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करना शुरू किया और उससे उन्होंने डोरमैट, टेबल मैट, हैंडबैग और अन्य सजावटी टुकड़ों सहित पारंपरिक हथकरघा वस्तुओं में बदल दिया।

2000 महिलाओं को दिया प्रशिक्षण

सैकिया को इस प्रक्रिया का कोई प्रशिक्षण नहीं था लेकिन पर्यावरण को बचाने की उनकी चिंता ने उनकी सफलता की इबादत लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने राज्य के साथ-साथ देशभर की 2,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। उन्होंने बताया कि मैंने इसे साल 2004 में शुरू किया था और प्लास्टिक कचरे को बुनने की कोशिश की थी। शुरुआती सफलता के बाद उन्होंने आसपास के इलाकों से बेकार प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था, जिसमें अन्य महिलाएं भी शामिल हो गईं थीं।

कोशिश है डिजिटल प्लेटफार्म पर खड़े उतरने की

उन्होंने इस काम को लेकर कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया है। वे पर्यावरण को लेकर गंभीर हैं इसलिए उन्होंने ये कदम उठाया है। उन्होंने आगे साझा किया कि उनकी टीम हस्तनिर्मित उत्पादों में रंग जोड़ने के लिए सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर रही है। साल 2012 में उन्होंने अपने उत्पादों को बेचने के लिए काजीरंगा हाट भी शुरू किया था। अब सैकिया डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रही हैं ताकि विदेशी देशों में भी उपभोक्ताओं तक इन खूबसूरत उत्पादों को पहुंचाया जा सके।

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