देश में जिस प्रकार बेरोजगारी बढ़ रही है वह आगे चलकर एक बड़ी समस्या का रूप ले सकता है। यह मानव संसाधन की बर्बादी के अलावा और कुछ भी नहीं है। यही वजह है कि चोरी, पिक-पॉकेटिंग, डकैती और यहां तक कि हत्या जैसी कई सामाजिक बुराइयां बढ़ती जा रही होती हैं। साथ ही यह एक गंभीर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समस्या है, जिसमें हजारों से अधिक युवा रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस तरह का प्रवास भारत के आर्थिक विकास को भी प्रभावित कर रही है। – Success story of farmer Sabhapati Shukla from Uttar Pradesh.
किसान अपनी काबिलियत से सफलता पा रहे
कुछ लोग अपने गांवों को शीर्ष श्रेणी बनाने के लिए असाधारण कदम उठा रहे हैं। यह प्रयास उन लोगों को वापस ला रहे हैं, जिन्हें शहरी जंगलों में जाना पड़ा था। वर्तमान में कई किसान अपनी मेहनत और सही रणनीति से करोड़पति बन रहे हैं। वह किसान न केवल अपनी किस्मत बदल रहे हैं बल्कि अपने गांवों के रोजगार परिदृश्य को भी बदल रहे हैं। ऐसे व्यक्तियों में से एक सभापति शुक्ला (Sabhapati Shukla), जो राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर प्रदेश 28 से 55 किमी दूर स्थित एक छोटे से गांव केशवपुर के रहने वाले हैं। वह गन्ना बागान में एक लाभदायक व्यवसाय प्राप्त किए है।
ग्रामीण बैंक से कर्ज लेकर लगाए गन्ना बागान
साल 2001 में शुक्ला ने अपने परिवार से अलग और अकेले रहने का फैसला किया। वह अपनी पुश्तैनी जमीन पर एक छोटी सी झोपड़ी बनाई और नए सिरे से जीवन की शुरुआत की। उन्होंने रोजगार के लिए शहरों में जाने के बजाए अपने गांव में रहकर कुछ बड़ा करने का किए फैसला। इसके लिए शुक्ला ने ग्रामीण बैंक से कर्ज लिया और अपना गन्ना बागान शुरू किया। दो साल से सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन साल 2003 के बाद गन्ने के कारोबार में हुई भारी नुकसान। एक रात उन्होंने अपनी पत्नी को अपने गन्ने के बागान में आग लगाने के लिए कहा, जो उस समय उनके लिए एक भारी बोझ था।
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बड़े पैमाने पर शुरू किए सिरका बनाना
शुक्ला बताते है कि मेरी पत्नी ने मुझसे कहा था कि गन्ने को जलाने के बजाय इसके रस से सिरका तैयार करके ग्रामीणों में बांटना एक बेहतर विकल्प है। गांव वालों को उनके सिरके का स्वाद बहुत पसंद आया वह शुक्ल से ज्यादा मांग करने लगे। उन्होंने गन्ने के रस से सिरका बनाने में व्यापार के महान अवसर को जल्दी ही समझ लिया और अवसर का लाभ भी उठाया। इसके लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया और बड़े पैमाने पर सिरका बनाना शुरू किया। – Success story of farmer Sabhapati Shukla from Uttar Pradesh.
पास की दुकान से शुरू हुआ सिरका का कारोबार
बड़ी उम्मीद से शुक्ला ने अपने एक पुराने ग्राहक को एक लीटर सिरका बेचकर सिरका व्यवसाय शुरू किए। उसके बाद उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार किया और छोटी पास की दुकानों में सिरका की आपूर्ति शुरू कर दी। उनके उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता उनकी सफलता की कुंजी बनी। उनके उत्पाद की मांग में वृद्धि ने उन्हें अपने व्यवसाय का विस्तार करने में मदद की, जिसका नतीजा है कि आज शुक्ला उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और देश के अन्य राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में लाखों लीटर सिरके की भेजते है।
शुक्ला ने ग्रामीणों को रोजगार दिया
शुक्ला बताते हैं कि 200 लीटर सिरका उन्हें लगभग 2,000 रुपये का लाभ देता है। सिरका में सफलता मिलने के बाद अब उनकी कंपनी अलग-अलग तरह का अचार भी बनाना शुरू किया। वह अपने गांव के सभी बेरोजगार युवाओं को अपने व्यवसाय के माध्यम से रोजगार प्रदान किया है। वह ग्रामीण जो कभी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते थे, अब आसानी से अपना जीवन जी रहे हैं। शुक्ला अब राष्ट्रीय राजमार्ग 28 के बगल में 10,000 वर्ग फुट भूमि पर अपना कारखाना चलाते हैं और कारखाने के पीछे की जमीन का एक टुकड़ा खेती के लिए इस्तेमाल करते हैं। शुक्ला कारखाना के अलावा आधा दर्जन गायों के साथ एक छोटी डेयरी भी चलाते है। अब उनका लक्ष्य राजमार्ग पर एक रेस्तरां खोलने का है। शुक्ल की सफलता यह बताती है कि हमारे पास विकल्पों कि कोई कमी नहीं है। – Success story of farmer Sabhapati Shukla from Uttar Pradesh.
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