महज 18 साल की उम्र में अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप (Under – 20 World Athletics Championship) 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल और महिला – पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हिमा दास (Sprinter Hima Das) उर्फ “ढिंग एक्सप्रेस” ने एक और कामयाबी हासिल कर ली है। बीते शुक्रवार को उन्हें असम पुलिस में उप अधीक्षक (डीएसपी) का कार्यभार सौंपा गया है।
असम मुख्यमंत्री ने सौंपा नियुक्ति पत्र
स्टार फर्राटा धाविका हिमा दास को खुद मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने नियुक्ति पत्र सौंपा। इस मौके पर पुलिस महानिदेशक समेत शीर्ष पुलिस अधिकारी और प्रदेश सरकार के अधिकारी भी मौजूद थे।
गुड़िया खिलौने नहीं बंदूक दिलाती थीं मां
इस खास मौके पर हिमा ने कहा कि वह बचपन से पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखती आई हैं। उन्होंने कहा, ‘यहां लोगों को पता है। मैं कुछ अलग नहीं कहने जा रही। स्कूली दिनों से ही मैं पुलिस अधिकारी बनना चाहती थी और यह मेरी मां का भी सपना था।’ ‘वह (हिमा की मां) दुर्गापूजा के दौरान मुझे खिलौने में बंदूक दिलाती थीं। मां कहती थी कि मैं असम पुलिस की सेवा करूं और अच्छी इंसान बनूं।’
असम को हरियाणा की तरह बनाना है
हिमा ने कहा, ‘मुझे सब कुछ खेलों की वजह से मिला है। मैं प्रदेश में खेल की बेहतरी के लिए काम करूंगी और असम को हरियाणा की तरह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बनाने की कोशिश करूंगी। असम पुलिस के लिए काम करते हुए अपना कैरियर भी जारी रखूंगी।
दो बीघा जमीन से 6 लोगों की जिंदगी जुड़ी थी
हिमा का जन्म असम के नौगांव जिले के एक छोटे से गांव कांदुलिमारी के किसान परिवार में हुआ। पिता रंजीत दास के पास महज दो बीघा जमीन है जबकि मां जुनाली घरेलू महिला हैं। जमीन का यह छोटा-सा टुकड़ा ही दास परिवार के छह सदस्यों की रोजी-रोटी का जरिया था।
बचपन से दबंग मिजाज़ रहा
परिवार में 6 बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थीं। सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100 और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड जीता तो कोच निपुन दास भी हैरान रह गए। वह हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले आए, जहां उन्हें इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के स्पाइक्स पहनने को मिले। इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिमा हमेशा से ही दबंग मिजाज़ की रही हैं। एनबीटी की रिपोर्ट अनुसार हिमा के गांव में शराब की दुकानें थीं, जिन्हें उन्होंने खुद लोगों के साथ मिलकर ध्वस्त करवाया था।