घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग बाबा भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद के समीप दौलताबाद में स्थित है। कुछ लोग इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से पुकारते हैं।
घृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था। घृष्णेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना की जाती है। घृष्णेश्वर मंदिर के ठीक समीप एलोरा की प्रसिद्ध गुफा है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर देखने में बहुत खूबसूरत है। इस मंदिर में 24 खंभे हैं और हर खंभे में बहुत सुंदर कलाकारी की गई है। घृष्णेश्वर मंदिर शिल्पकलाओं के लिए प्रसिद्ध माना जाता है। इसमें की गई नक्काशियों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
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घृष्णेश्वर मंदिर में भगवान शिव का पिंड पूर्व दिशा में है। यहां भगवान शिव जी के दर्शन के लिए बहुत सारे नियम भी हैं। घृष्णेश्वर मंदिर के दीवारों पर देवी- देवताओं का अद्भुत चित्र बना हुआ है। इस मंदिर में तीन द्वार है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के नजदीक एक सरोवर भी है। जिसे लोग शिवालय के नाम से जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सरोवर के दर्शन करता है, उसे सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
घृष्णेश्वर धाम में भगवान शिव जी के दर्शन करने के लिए देश- विदेश से श्रद्धालु हजारों की भीड़ में आते हैं। और श्रावण मास में ये भीड़ और भी दुगुनी हो जाती है। घृष्णेश्वर धाम में महाशिवरात्रि और सोमवार को विशेष मेला लगता है। जिसमे भगवान शिव को महाभिषेक किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के दर्शन करने के लिए काफी भीड़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पालकी पर से तीर्थ कुंड तक ले जाया जाता है।घृष्णेश्वर मंदिर में 21 गणेश पीठों में एक पीठ लक्षविनायक नाम से प्रसिद्ध है।
एक तो भगवान शिव का धाम होने से आस्था का केंद्र घृष्णेश्वर मंदिर है हीं साथ में खूबसूरत कलाओं का वहां की दीवारों पर नक्काशीकरण भी लोगों के यहां आगमन का एक प्रमुख उद्देश्य है।