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महज 12 वर्ष की उम्र से ही बाल विवाह कुप्रथा के खिलाफ उठा रही है आवाज, चेंजमेकर अवार्ड से सम्मानित हुई

बाल विवाह (Child Marriage) एक ऐसी कुप्रथा है, जिसमें बच्चों को बहुत कम उम्र में ही शादी के बंधन में बांध दिया जाता है। ऐसे में उन्हें न तो शादी का मतलब पता होता और न ही वे पूरी तरह से इसे समझने के काबिल होते हैं। समाज की यह धकियानूसी परंपरा हमारे भारत देश में सदियों से चली आ रही है, जिससे बदलते समय में भी आज कई हिस्सों में कम उम्र में ही लड़कियों के हाथ में विवाह जैसे पवित्र रिश्ते की डोर थमा दी जाती है।

हालांकि, हमारे देश में वर्ष 1929 में बाल विवाह को गैर कानूनी घोषित करने के बाद वर्ष 1978 मे विवाह करने की उम्र में बढ़ोतरी कर दी गई, जिसके अनुसार लड़कों के शादी की उम्र 21 वर्ष और लड़कियों की 18 वर्ष कर दी गई। लेकिन अब हाल ही में सरकार ने इस बारें में एक और अहम कानून बनाया, जिसके अनुसार अब लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी गई है।

इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए देश और राज्य सरकारों द्वारा अनेकों तरह के प्रयास किए जा रहें हैं, साथ ही समाजसेवा से जुड़े लोग भी अपनी तरफ से कोशिशें जारी रखे हैं। इसी कड़ी में समाजसेवी पायल जांगिड़ (Payal Jangid) भी लंबे वक्त से बाल विवाह जैसी कुरीति से लड़ते आ रही हैं।

अभी तक बचा चुकी हैं कई लड़कियों की जिंदगी

राजस्थान (Rajasthan) अलवर जिले की रहनेवाली पायल जांगिड़ ने महज 12 वर्ष की उम्र से ही इस कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़नी शुरु कर दिया था। उनके द्वारा किए गए इस प्रयासों के कारण ही आज अलवर जिले की कई लड़कियों को कम उम्र में शादी करने से बचाने में सफलता हासिल हुई है।

कैसे आया इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाने का ख्याल?

पायल द्वारा इस पहल की शुरुआत उस समय हुई जब वह महज 5 वीं कक्षा की छात्रा थीं। चूंकि, देश में ऐसे कई NGO कार्यरत हैं जो बाल विवाह के खिलाफ और उनके अधिकारों के लिए कठोर कार्यवाही करते हैं। ऐसे में उस दौरान पायल ने एक ऐसे ही NGO से इसके बारें में जानकारी जुटाई। उस समय NGO के कार्यकर्ताओं ने बाल-विवाह जैसी कुरीति के खिलाफ पंचायतो को इसके बारें में समझाने के साथ सुझाव भी दिया गया था। इसके अलावा अलवर में एक बाल पंचायत की स्थापना भी की गई थी, ताकि बच्चों को इस कुप्रथा से बचाया जा सके।

Story of Indian children's rights activist payal jangid

शुरु किया लोगो के बीच शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने का काम

इस बाल पंचायत के मुखिया के तौर पर वर्ष 2013 में पायल का चयन किया गया। हालांकि, यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारें में लोगों को जागरूक कराना बहुत जरुरी है और इसके लिए जरुरी है कि, वे शिक्षा का मह्त्व समझें और बच्चों को इसके लिए आगे करें। पायल ने इस बात को संजीदगी से समझते हुए लोगों के बीच बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने का काम शुरु कर दिया। वाकई, यदि बच्चें शिक्षा से जुडेंगे तभी उन्हें सही-गलत की पहचान हो पाएगी और वे इसके खिलाफ आवाज उठा सकेंगे।

उसी दौरान पायल (Indian Children’s Rights Activist Payal Jangid) की मुलाकात नोबल पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी से हुई। उस समय कैलाश सत्यार्थी द्वारा एक आंदोलन चलाया गया था जिसका नाम “बचपन बचाओ” आंदोलन है। पायल ने इस आंदोलन का हिस्सा बनकर उस दिशा में काम किया। एक रिपोर्ट के अनुसार वह कहती हैं कि, उन्होंने अपने आसपास के इलाकों में बाल पंचायत के 11 सदस्यों के साथ मिलकर बाल विवाह (Child Marriage) और बाल श्रम (Child Labor) के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी शुरु कर दिया था।

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12 वर्ष की उम्र में लड़ी थी खुद के अधिकारों के लिए लड़ाई

हालांकि, पायल के लिए इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठानी और लड़ने की राह आसान नहीं थी। समाज के हित में कुछ करने के लिए सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों से लड़ाई लड़नी पड़ती है। पायल को भी अपने अधिकारों के लिए परिवार वालों के खिलाफ जाना पड़ा। दरअसल, अन्य लोगों की तरह ही पायल का परिवार भी पायल और उनकी बहन की शादी जल्दी करना चाहते थे। उस समय पायल की उम्र मात्र 12 वर्ष थी। परिवार वालों के इस फैसले के खिलाफ पायल ने 12 वर्ष की उम्र में ही भूख हड़ताल शुरु कर दिया। उस दौरान समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी द्वारा चलाया जा रहा “चिल्ड्रेन फाउंडेशन” (Children Foundation) अभियान ने पायल के परिवार को समझाने में उनकी मदद की थी।

घर-घर जाकर जागरुकता फैलाने का लिया निर्णय

पायल (Children’s Right Activist Payal Jangid) द्वारा खुद के लिए किया गया वह प्रयास सफल रहा, उनके परिवार वालों ने इस बारें में समझा और कम उम्र में शादी करने के विचार को त्याग दिया। उसके बाद से ही पायल ने सोचा कि कई लड़कियों के साथ ऐसा होता होगा, ऐसे में क्यों न उन्हें और उनके सगे-संबंधियों को भी समझाया जाए। इस नेक सोच के साथ उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को इसके खिलाफ जागरुकता फैलाने का काम करने का फैसला किया।

राज्य सरकार ने बनाया “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं” का ब्राण्ड एम्बेसडर

पायल के इस सकारात्मक पहल के बदौलत आज अलवर जिले के सभी बच्चे स्कूल जा रहे हैं तथा साथ ही वहां कम उम्र में शादी करने के मामलों में काफी गिरावट भी दर्ज की गई है। बता दें कि, वहां की राज्य सरकार ने पायल को “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति भी पायल से मिल चुके हैं

साल 2019 में पायल को बाल-विवाह कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए न्यूयॉर्क में बिल गेट्स फाउंडेशन द्वारा “चेंजमेकर सम्मान” (Changemaker Award) से सम्मानित किया गया था। इतना ही नहीं जब वर्ष 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी भारत के दौरे पर आए थे, तब उन्होंने पायल जांगिड़ से भी मुलाकात की थी।

पायल जांगिड़ द्वारा इस दिशा में किया जा रहा यह प्रयास बेहद प्रशंसनीय है। The Logically इस काम के लिए उनकी तारिफ करता है।

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