आजकल चाय का स्टार्टअप काफी जोर पकड़ रहा है। आए दिन अलग-अलग चाय के स्टार्टअप के बारें में आपको जानने-सुनने को मिल रहा है जिसे पढ़े-लिखे युवाओं द्वारा शुरु किया जा रहा है। अभी तक आपने बेवफा चाय वाला, ग्रेजुएट चाय वाली, MBA चाय वाला तो वहीं आत्मनिर्भर चाय वाली के बारें में जाना है लेकिन आज हम आपको MA चायवाली के बारें में बताने जा रहे जिसे शुरु करने के पीछे एक संघर्ष छुपा हुआ है। तो चलिए जानते हैं MA चायवाली के संघर्ष के बारें में-
उत्तराखंड की MA पास चायवाली
हम बात कर रहे हैं 31 वर्षीय अंजना रावत (Anjana Rawat) की जो उत्तराखंड (Uttarakhand) के श्रीनगर (Shrinagar) की रहनेवाली हैं और लगभग 12 वर्ष से चाय बेच रही हैं। महज 17 वर्ष की उम्र से ही चाय बेचने वाली अंजना आजकल सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोर रही हैं। (Story of MA Pass Chaiwali Anjana From Shrinagar, Uttarakhand)
क्या है MA पास चायवाली की कहानी?
आजकल आमतौर पर युवा पढ़ाई-लिखाई करके चाय का स्टॉल खोल रहे हैं लेकिन अंजना रावत की चाय बेचने की कहानी कुछ अलग है। दरअसल, पहलव उनके पिता गणेश चाय की दुकान चलाते थे लेकिन दुर्भाग्यवस उन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया। कैंसर जैसी घातक बिमारी होने के बाद उनका दुकान जाना बंद हो गया साथ ही स्थिति बिगड़ने की वजह से वे अस्पताल में भर्ती हो गए।
पिता को हॉस्पिटल में भर्ती कराने के बाद अंजना ही अपने पिता की दुकान की जिम्मेदारी लेते हुए उसे सम्भालने लगी। अब अंजना को क्या मालूम की महज 17 वर्ष में ली गई जिम्मेदारी जीवन भर के लिए उनके सिर पर आ गिरेगी। अत्यधिक खराब स्वास्थ्य होने के कारण कुछ समय बाद ही उनके पिता ने इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। पिता के स्वर्गवासी होने के बाद अब सभी जिम्मेदारी उनके कंधें पर आ गई।
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लोगों ने दिया ताना लेकिन नहीं मानी हार
अंजना बताती हैं कि, बहुत कम उम्र में ही सभी जिम्मेदारी अपने सिर पर आने के बाद उनके पास समय की कमी होने लगी जिसके कारण वह अपनी पढ़ाई अपनी चाय की दुकान पर ही करती थीं। हमारे समाज में अभी भी लड़के और लड़कियों में भेदभाव किया जाता है और उन्हें लड़कों से कम आंका जाता है। अंजना को भी समाज की इस का सामना करना पड़ा।
वह बताती हैं कि, जब उन्होंने अपनी चाय की दुकान पर बैठना शुरु किया तो आते-जाते लोग और जान-पहचान वाले सभी उनका मजाक उड़ाते थे। इतना ही नहीं कुछ लोग यह भी कहते थे कि, इतना बुरा समय नहीं आया कि अब लड़की की दुकान पर चाय पीना पड़े। यह काम लड़कों का है न की लड़कियों का। MA Pass Chaiwali Anjana Rawat, Shrinagar, Uttarakhand.
कोई भी काम छोटा-बड़ा या जेंडर स्पेसिफिक नहीं होता है
समाज द्वारा दिए जा रहे तानों ने अंजना के हिम्मत को टूटने नहीं दिया। वे लोगों की बकवास बातों को अनसुना करके अपना काम करती रहीं। क्योंकि वह मानती हैं कि समाज के ठेकेदारों ने हर काम को पुरुष और महिला के बीच बांट कर रख दिया है जबकी कोई भी काम छोटा- बड़ा या जेंडर स्पेसिफिक नहीं होता है। हर काम हर कोई कर सकता है फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष। अंजना अपनी इसी सोच के साथ आगे बढ़ती रहीं।
अब लोग करते हैं तारिफ
हालांकि, बदलते समय के साथ-साथ अब लोगों की सोच भी बदल रही है। MA पास चायवाली अंजना (MA Pass Chaiwali Anjana) कहती हैं, जो लोग पहले उनके चाय बेचने पर ताना मारते थे आज वहीं लोग उनकी दुकान पर आकर चाय का लुत्फ उठाते हैं और उनकी प्रशंशा भी करते हैं।
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चाय बेचकर पहले बहन की शादी कराई साथ ही MA की पढ़ाई भी की
अंजना और उनके परिवार के लिए भरण-पोषण का एक मात्र साधन उनकी चाय का दुकान है। अपनी चाय की दुकान से मेहनत करके कमाए गए पैसों से उन्होंने अपनी बहन की शादी कराई है और खुद भी MA तक की शिक्षा हासिल किया है। इसके अलावा उन्होंने घर बनवाने के लिए भी लोन लिया है। इतना ही नहीं घर के सभी चीजों का खर्चा-पानी दुकान के जरिये ही चलता है।
12 वर्षों से बेच रही हैं चाय
आपको जानकर हैरानी होगी कि अंजना बीते 12 वर्षों से चाय बेच रही हैं। हालांकि, इससे उनकी स्थिति कुछ खास बेहतर नहीं है इसके बावजूद भी वे हिम्मत से काम लेती हैं। उनका सपना है कि वह और अधिक मेहनत करके आगे की पढ़ाई पूरी करें ताकि उन्हें एक अच्छी नौकरी मिल सके।
कुछ बनना चाहती हैं अंजना
आंखों में आंसू और होठों पर खिली मुस्कान के साथ MA पास चायवाली अंजना (MA Pass Chaiwali Anjana Rawat, Shrinagar, Uttarakhand) कहती हैं, सफर संघर्षपूर्ण है तो क्या हुआ उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी है। उनका यह संघर्ष जारी रहेगा क्योंकि वह अपने लक्ष्य को पाना चाहती हैं। जिंदगी में कुछ बनने का सपना है जिससे मां एक बेहतर जीवन जी सकें।
The Logically अंजना रावत के हौसले और लगन को सलाम करता है साथ ही उन्हें आगे बढ़ने के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता है।