ओडिशा के पुरी जिले में एस्टारंगा समुद्र तट बेहद ही खूबसूरत जगह है। तट की लहरें जब वहां की सफ़ेद रेत को छूती है, मन को मोह लेती हैं परंतु लोगों द्वारा फैलाए गए गंदगी की वजह से पुरी के समुद्र तट की सफेद रेत को छूने वाली चमकदार लहरें गंदी हो गई थी। उसके किनारे पर अनेकों तरह के कूड़े जमा हो गए थे। जैसे प्लास्टिक की थैलियां, मछलियां, टूटी कांच की बोतलें इत्यादि। यंत्रीकृत मछली पकड़ने ने भी लहरों को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।।
समुंद्र तट पर रेत को छूने वाली पानी की लहरों का यह दृश्य बहुत हीं मनमोहक होता है लेकिन कचरे की वजह से प्राकृतिक सौंदर्य विलुप्त होते जा रहा था। मौसम के दौरान लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं के घोंसलो के लिए भी यह खतरा पैदा कर रहा था।
कच्छाप कल्याणम की हुई शुरूआत
इस समस्या का समाधान तब हुआ जब छह स्थानीय युवकों ने मिल कर समुद्र तट और उससे सटे दैवीय मुहाने की सफाई का बीड़ा अपने कंधे पर उठाया। 27 सितंबर, 2020 को, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण अभियान (Paryavaran Sanrakshan Abhiyan) के बैनर तले ‘देवी कच्छाप कल्याणम’ (Kachhap Kalyanam) नामक एक पहल की शुरूआत की।
छह युवाओं ने मिलकर 18 किमी की सफाई की
इन छह युवाओं के समूह ने मात्र एक महीने में समुद्र तट पर 18 किमी तक फैले 5,000 किलो से अधिक कचरे को साफ किया है। इन लोगों ने किनारे के पास मैंग्रोव जंगलों में एक अस्थायी शिविर स्थापित किया और एक दिन में आठ घण्टे तक कड़ी मेहनत करते। यह सिलसिला लगभग एक महीने तक ऐसे ही चला तब समुंद्र तट की सफाई हुई।
रंजन बिस्वाल (Ranjan Biswal)
इन छह लोगों के ग्रुप के लीडर सौम्या रंजन बिस्वाल बताते हैं कि ओडिशा के तीन ओलिव रिडले नेस्टिंग साइटों में से, बढ़ते प्रदूषण, मैंग्रोव वनों की कटाई और अवैध मैकेनाइज्ड फिशिंग के कारण देवी की कम से कम रक्षा की गई थी। रंजन कहते हैं कि मछली पकड़ने के काम को रोकना हमारे बस का नहीं हैं। इसलिए इन लोगों ने सिर्फ़ समुद्र तट की सफाई की ताकि घोंसलों और संकटग्रस्त कछुओं की आवाजाही में किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो।
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जिला प्रशासन तथा एक स्थानीय कंपनी ने की उनकी मदद
इन छह युवाओं के समूह में सौम्या रंजन के अलावा, संतोष बेहरा (Santosh Behera) , सुमन प्रधान (Suman Pradhan) , सुशांत परिदा (Sushant Parida) , प्रभाकर बिस्वाल (Prabhakar Biswal) , और दिलीप कुमार बिस्वाल (Dilip Kumar Biswal) शामिल हैं। इन सभी ने भी सफाई अभियान में भाग लिया। युवा इको-क्रूसेडरों को वन्यजीव संरक्षणवादी बिचित्रानंद बिस्वाल से मेंटरशिप मिली। जब इन लोगो ने कचरा इकट्ठा कर लिया तो जिला प्रशासन और एक स्थानीय कंपनी दोनों ने वैज्ञानिक रूप से कचरे के निपटारे में मदद की। भविष्य में मैंग्रोव वनों के संरक्षण की आवश्यकता पर एस्टारंगा और सखिगोपाल के निवासियों के बीच सामुदायिक जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रही है।
The Logically इन छह लोगों के ग्रुप के कार्य की तारीफ करता है।