Home Environment

घर मे जगह नही था तो स्कूल, बस स्टैंड, अस्पताल जैसी जगहों में लगा दिए 15000 पौधे: राजस्थान की प्रेरक महिला

भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है और इस संस्कृति में पेड़ पौधों को विशेष महत्व देते हुए भगवान का दर्जा दिया गया है। इसी लिये पेड़ पौधों की पूजा भी भारतीयों द्वारा की जाती है। पौधों को जीवन रक्षक समझा जाता है क्योंकि ये ऑक्सीजन प्रदान करते हैं व कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को सोखते हैं। युवा पीढ़ी को भी पेड़ पौधों के साथ लगाव रखना चाहिए और अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने के लिए समाज को जागरूक करना चाहिए। केवल पौधे लगाने से काम नहीं चलता बल्कि उनके रखरखाव की तरफ भी ध्यान दिया जाना समय की मांग है। आज हम बात करेंगे, जयपुर की रहने वाली ट्रीवुमन के नाम से मसहूर एक औरत की, जो पेड़ पौधों को लगाने को लेकर विशेष चर्चा में रहती हैं।

Plant

कौन है मसहूर ट्री वुमन?

ट्री वुमन से मशहूर राजस्थान (Rajasthan) की रहने वाली महिला का नाम अनुपमा तिवारी (Anupama Tiwari) है। उनके पिता का नाम विजय कुमार तिवाड़ी है। उनके पिता राजस्थान में दौसा जिले के बांदीकुई कस्बे में रेलवे में एक मेलगार्ड थे। अनुपमा तिवारी पेड़ पौधे लगाने को लेकर विशेष चर्चा में रहती हैं। वे पिछले 12 साल से पौधे लगा रही हैं। अब तक उन्होंने 15000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हैं। उनके जीवन का लक्ष्य एक लाख पेड़-पौधे लगाना है। अनुपमा सब्जियों से लेकर फल तथा जंगली पौधों को लगाने में बेहद दिलचस्पी रखती है। वे पेड़ पौधों का पालन पोषण एकदम बच्चों की तरह करती हैं। पेड़ों में पानी डालना, उनके बारे में तमाम जानकारियां जुटाना, ये सब उन्हें हमेशा से ही बहुत पसंद है।

शहर हरा-भरा बनाने को लेकर मन में ठानी

अनुपमा शुरू से ही पेड़ पौधों की बहुत शौकीन है तथा वह पेड़ लगाने में बहुत दिलचस्पी रखती हैं। फिलहाल वो पिछले 12 सालों से अपने पति कमल शर्मा के साथ जयपुर में रहती है। 12 साल पहले ही उनके पति ने जयपुर में एक नया मकान बनवाया जहां पर वे दोनों रहते हैं। वह शुरू से ही पेड़-पौधों तथा गार्डन की बहुत शौकीन थी। इसीलिए उन्होंने अपने घरों में आम अनार, नींबू, लीची तथा चीकू के पेड़ लगाए हुए हैं। इसके अलावा वे अपने छत पर गार्डन भी बनाई हैं। अनुपमा राजस्थान की जानी-मानी कवयित्री भी है। अनुपमा सरकारी स्कूलों में, शिक्षकों को हिंदी की ट्रेनिंग देती हैं। उन्होंने अपनी पोस्टिंग के दौरान, राजस्थान के टोंक तथा निवाई में भी कुछ समय काम किया है। वह जहां भी जाती हैं, पौधारोपण जरूर करती हैं। एक बार, गर्मियों की छुट्टियों में वह कुन्दनपुर गई थीं। अनुपमा वहां गाँव में, बच्चों के लिए कुछ किताबें ले गईं। साथ ही, उनके साथ मिलकर उन्होंने स्कूलों में पौधारोपण भी किया। अनुपमा ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले अपने मोहल्ले की गली में 30 पौधे लगाए तथा उसका विशेष तरीके से देखभाल किया, लेकिन इसके बावजूद भी एक बकरी चराने वाले ने अपने बकरी को खुला छोड़ दिया जिससे बकरी सभी 30 पौधों को खा गई। इसके बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं माना तथा फिर उन्होंने 17 पौधे लगाए जिसमें से 4 पौधे बचे जो कि फिलहाल पेड़ बन चुके हैं। इसके बाद उन्होंने संघर्ष जारी रखा। अब तक उन्होंने कई जगहों जैसे- स्टेडियम, बस स्टैंड, पुलिस चौकी, सड़क के किनारे, तालाब के किनारे, ऑफिस, सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेज, अस्पताल, लोगों के घरों में कुल 15,230 पेड़-पौधे लगा चुकी हैं। अनुपमा ने बरगद, पीपल, गूलर, नीम, सुरेल, अर्जुन, गुलमोहर, मेहंदी, सदाबहार, चाँदनी, गुड़हल, बेलपत्र, सीताफल, अनार, अमरुद, आँवला, जामुन और कचनार जैसे पौधे लगाए हैं। उनके द्वारा लगाए गए पेड़ो में से अभी तक लगभग 3600 पेड़ बिल्कुल सही है तथा उसमें से कुछ पेड़ में फल भी लगने लगे हैं। अभी तक अनुपमा जहां भी पेड़ पौधे लगाती है वहां के लोगों को वह पेड़ पौधों के प्रति जागरूक करती है तथा वह पेड़ पौधों से संबंधित सारी जानकारियां उन्हें समझाती है और उन्हें भी पेड़ पौधे लगाने को लेकर के उत्सुक करती हैं।

यह भी पढ़ें :- पेड़ों की सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार ने चलाई मुहिम, जिसमे कोई भी इंसान ‘पेड़’ गोद ले सकता है: Adopt a Tree

अनुपमा का लक्ष्य है, चुनौतियों से भरा

आज के समय में पेड़-पौधा लगा देना बड़ी बात नहीं है, बल्कि उसका रक्षा करना तथा उसे बड़े होने तक पशुओं और पेड़ पौधों में होने वाली बीमारियों से बचाना बहुत बड़ी चुनौती है। अनुपमा का कहना है कि वह हमेशा सावधानी स्थलों पर पेड़ पौधे लगाने का काम करती है तथा कुछ दिन बाद जब वह वहां पर देखने जाती हैं तो वहां पर पौधा नहीं रहता है। इसका समाधान करते हुए अनुपमा जहां कहीं भी पौधा लगाती है वहां पर पोस्टर बैनर में वे सलाह लिखी हुई बाते भी लगवाती हैं। पेड़-पौधों से जुड़ी हुई समस्याओं को बताते हुए अनुपमा बताती हैं कि “पौधों से कई तरह की लाभकारी जड़ी बूटियां बनाई जाती है तथा पेड़-पौधे गर्मी में बहुत राहत करती हैं और ज्यादा पेड़ पौधे रहने की वजह से लोगों को घरों में ए°सी° लगाने की जरूरत कम पड़ेगी। ऐसी बातों से वे आसपास के लोगों को पेड़ पौधों को लेकर बहुत जागरुक करती हैं।

सेवा को धर्म मानती हैं, अनुपमा

पेड़-पौधों को लगाने की वजह से ट्री वुमन के नाम से मशहूर अनुपमा तिवारी (Anupama Tiwari) का कहना है कि, वे पेड़ पौधों को लगाना प्रकृति के हित में मानती है। इसीलिए वे इसे अपना धर्म मानती है तथा उन्होंने यह ठाना है कि वे इस सेवा को अपना लक्ष्य बना कर इसे ही अपना धर्म मानेंगी। वहीं अनुपमा और उनके पति कमल शर्मा ने 2010 में, जयपुर के ‘सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज’ में शरीर दान के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। वो इसलिए कि, वे दोनों मरणोपरांत भी किसी के काम आ सकें। वहीं, इस दंपति ने ‘आई बैंक’ में नेत्र दान के लिए भी रजिस्ट्रेशन किया है। अनुपमा का कहना है कि, वे अभी तक 10 बार रक्तदान भी कर चुकी हैं। अनुपमा बताती है कि, पेड़-पौधे लगाने में उनके पति कमल शर्मा बहुत मदद करते हैं तथा वे मानसिक रूप से भी उन्हें बहुत प्रेरित करते हैं। अनुपमा प्रकृति और मानवता को अपना धर्म मानती है तथा उन्होंने बताया कि, वह अभी तक बाल जेल तथा वृद्धाश्रम में हजारों पुस्तक दान कर चुकी हैं। अनुपमा अभी तक का यह सब नेक काम खुद के पैसों से करती हैं। उनका लक्ष्य एक लाख पेड़ पौधे लगाने का है, जो कि ऊंची सकारात्मक सोच को प्रदर्शित करता है।

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

Exit mobile version