11 वर्ष की आयु में हमें यह भी नहीं पता होता कि क्या सही हुई, और गलत क्या है। लेकिन झारखंड (Jharkhand) के खूंटी के चंदपारा गांव के रहने वाली 11 वर्ष की एक आदिवासी लड़की दीपिका मिंज (Deepika Minj) ने ना केवल यह समझा बल्कि इस दिशा में कार्य करना भी शुरू कर दिया। वह अपने कनिष्ठों को पढ़ाने के लिए मुफ्त कक्षाएं मुहैया करा रही हैं, ताकि वे अपने स्कूलों में पहले से पढ़े हुए अध्यायों को न भूले। -Deepika Minj from Jharkhand
महामारी के बीच सीखने की प्रक्रिया को रखा जारी
दीपिका कक्षा 7 की छात्रा हैं। वह अपने गांव के निजी स्कूल में पढ़ती हैं। महामारी के बीच सीखने की प्रक्रिया ना रुके इसलिए दीपिका कक्षाएं मुहैया करवा रही हैं। दीपिका ग्राम सभा को वरिष्ठ छात्रों के लिए भी इसी तरह की कक्षाओं की व्यवस्था करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। यहां कक्षाओं में उम्र के अनुसार बैच तैयार की जाती है। वर्तमान में यहां 100 से अधिक छात्र नामांकित हैं।
अपने आंगन से की पढ़ाने की शुरूआत
ग्राम स्वयं सेवकों द्वारा दी गई कक्षा में भाग लेने से पहले दीपिका अंग्रेजी और गणित पढ़ाती हैं। दीपिका कहती हैं कि मैं हमेशा सोचती थी कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को कैसे जारी रखा जाए? उन्हें लगता था कि लॉकडाउन के दौरान बच्चे स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठों को भूल जाएंगे। यही सोचकर दीपिका मिंज (Deepika Minj) ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने पड़ोस के दो बच्चों को आंगन में पाठ पढ़ाकर किया।
छोटे बच्चों से पूछती थीं सवाल
दीपिका बच्चों को खेलते देख यह सोचती थी कि अगर मैं अपने स्कूल में सीखी गई बातों को भूल जाती हूं, तो यह तो छोटे बच्चे हैं। उनके लिए याद रख पाना तो और मुश्किल है। दीपिका उनसे सवाल पूछती तो वह सही जवाब नहीं दे पाते थे। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर दीपिका ने अपने आंगन से पढ़ाना शुरु किया और आज स्कूल तक पहुंच चुकी हैं। उनके बारे में जब अन्य बच्चों को यह पता चला, तो वे भी कक्षाओं में आने लगे।
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दीपिका भविष्य में आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं
दीपिका के अनुसार बच्चों की कुल संख्या अब 20 से अधिक है। बच्चों की संख्या बढ़ने के लिए उनकी एक दोस्त ने भी उनका साथ दिया है। दीपिका लोगों की सेवा करने के लिए भविष्य में आईएएस (IAS) ऑफिसर बनना चाहती हैं। बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने के लिए उनके प्रयासों को देखते हुए गांव की ग्राम सभा ने एक बैठक बुलाई और उच्च कक्षाओं के छात्रों के लिए सीखने की प्रक्रिया को पढ़ाने के लिए इसी तरह की व्यवस्था करने का फैसला किया गया। – Tribal girl Deepika Minz from Jharkhand is giving free classes during pandemic
ग्राम सभा ने की छात्रों को पढ़ाने की व्यवस्था
ग्राम सभा ने तय किया कि अगर दीपिका मिंज (Deepika Minj) अपने जूनियर्स को पढ़ा रही हैं, तो दीपिका को कौन पढ़ाएगा? इसलिए दीपिका और उनकी उम्र के अन्य छात्रों के लिए इसी तरह की व्यवस्था करने का फैसला किया। ग्राम सभा सचिव अमित किस्पोट्टा (Amit Kispotta) ने कहा कि मधु मिंज (Madhu Minj), कक्षा 12वीं की छात्रा हैं और लिली स्नेहा लकड़ा अंग्रेजी (ऑनर्स) के साथ स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं। ये सभी छात्र बच्चों को पढ़ाने के लिए भी राजी हो गए हैं। – Tribal girl Deepika Minz from Jharkhand is giving free classes during pandemic
पुराने स्कूल की इमारत में पढ़ाती हैं
अमित किस्पोट्टा कहते हैं कि हम उन्हें अध्ययन सामग्री देते हैं, और वह छात्रों को उनकी सुविधा के अनुसार मुफ्त में पढ़ाते हैं। दीपिका अपने जूनियर्स को सुबह एक पुराने स्कूल की इमारत में पढ़ाती हैं फिर बाद में अन्य स्वयं सेवकों द्वारा संचालित अपनी कक्षाओं में भाग लेती हैं। स्वयं सेवकों में से एक स्नेहा लकड़ा कहती हैं कि कक्षाएं 3 जून को ग्राम सभा के निर्देश पर शुरू की गई थीं। आशा है कि वर्तमान में 100 से अधिक छात्र इस मिशन से जुड़ेंगे। – Tribal girl Deepika Minz from Jharkhand is giving free classes during pandemic
झारखंड सरकार ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराएगी
दीपिका के पिता आलोक मिंज (Alok Minj) का मानना है कि उनकी बेटी ने कोविड संकट के दौरान आशा की किरण बनकर उभरी हैं। उन्हें शुरूआत में लगा कि दीपिका बच्चों के साथ खेल रही है, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वह उन्हें पढ़ा रही है। दीपिका पिछड़े इलाके में रहती हैं इसलिए यहां ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा उपलब्ध नहीं है। दीपिका मिंज (Deepika Minj) की पहल से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया जारी है। झारखंड सरकार वर्तमान में 6500 सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करेगी।- Tribal girl Deepika Minz from Jharkhand is giving free classes during pandemic