आज भी भारत में लगभग 60% लोग खेती करके अपना जीवन व्यतीत करते हैं। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि विश्व में सबसे ज्यादा मवेशी भारत में ही हैं, इसलिए यहां के किसान मवेशियों के चारे के लिए खेती को एक बेहतर विकल्प मानते हैं। खेती करने के बावजूद भी कई बार किसान अपने मवेशियों का पालन-पोषण सही से नहीं कर पाते हैं, जिस कारण वे कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे में इनकी समस्याओं का समाधान TERI School of Advanced Studies के दो छात्रों ने निकाल लिया है।
‘हाइड्रोपोनिक फॉडर यूनिट’ सौर ऊर्जा से चलने वाली
TERI School of Advanced Studies के दो छात्रों सौर्यदीप बसक (Sauryadeep Basak) और लवकेश बालचंदानी (Lavkesh Balchandani) ने किसानों के लिए आसान समाधान ढूंढ निकाला है। दोनों छात्रों ने सौर ऊर्जा से चलने वाली हाइड्रोपोनिक फॉडर यूनिट (Hydroponic Fodder Unit) बनाई है, जिसके द्वारा कम पानी और बिना मिट्टी के मवेशियों के लिए हरा, पोषक तत्वों से भरपूर चारा उगाया जा सकता है। इतना ही नहीं इस ख़ास तकनीक के जरिए किसान फसल की पैदावार को 6 गुना तक बढ़ा सकते हैं।
आईडिया कैसे आया?
सौर्यदीप ने PwC India की जॉब छोड़ दी थी। वही लवकेश ने भी अपनी रिन्यूएबल एनर्जी की पढ़ाई के लिए मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ दी थी। पहले से ही दोनों छात्र जलवायु परिवर्तन को लेकर काफी चिंतित थे इसलिए उन्होंने फूड-वाटर-एनर्जी डोमैन में काम करते हुए हाइड्रोपोनिक बॉर्डर यूनिट बनाने का योजना बनाई।
उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स के बारे में जानकारी इकट्ठा करनी शुरू कर दी। इस आधुनिक तकनीक में खेती के लिए कम पानी का इस्तेमाल किया जाता है और मिट्टी भी कम लगते हैं। दोनों छात्रों ने धीरे-धीरे इस योजना को 3-stage समाधान का रुप दिया। फॉडर यूनीट भारत के लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसकी बजट कम है और वर्टिकल इंटीग्रेशन के कारण से लैंड-यूज एफिशिएंसी ज्यादा है।
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किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए की नई तकनीक की शुरुआत
सौर्यदीप और लवकेश का कहना है कि उन्होंने इस आधुनिक तकनीक को भारतीय किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बनाया है। वर्ष 2019 जो किसानों के लिए बुरे वक्त से कम नहीं था क्योंकि उनके काफी फसल बर्बाद हो गए थे, जिसके कारण लगभग 10,281 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। भारत में मवेशियों की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण उनके लिए भोजन जुटा पाना इतना आसान नहीं होता है। आज भी यहां 32% पशुओं को चारे की कमी है।
मवेशियों के चारे पहले भी उगाए जाते था, परंतु पहले के मुकाबले इस नई तकनीक में पानी की खपत 95% तक कम होती है। सीड से फीड बनने में लगभग आठ दिन लग जाते हैं। जैसे कि यह खेती बिना मिट्टी की होती है इसलिए इसमें कोई डाउनटाइम भी नहीं होता है। इस प्रॉजेक्ट में प्रत्येक महीने 0.5 यूनिट बिजली खपत होती है।
किसानों की समस्याएं दूर होगी
सौर्यदीप और लवकेश ने बताया कि इस नई तकनीक के जरिए वह किसानों की समस्याओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। एक माइक्रोकंट्रोलर के द्वारा ऑटोमैंशन होता है और जब पहले से निर्धारित टेंपरेचर से पारा ऊपर जाता है, तब एक स्मार्ट कूलिंग सिस्टम से स्प्रिंकलर्स और पंखे चालू हो जाते है। इतना ही नहीं इवापोरेशन कूलिंग, फैंस और स्प्रिंकलर्स कूलिंग सिस्टम के एलिमेंट्स हैं। Simulation और Passive सौर ऊर्जा के सहारे स्टैंडर्ड डिजाइन बनाया गया है, जो नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार देश के पांचो क्लाइमैटिक जोंस में काम करेगा। वे दोनों कहते हैं कि इस तकनीक से 7500 रूपये में लगभग 50 किलोग्राम चारा उगाया जा सकता है।- farming without using soil
3 स्टेज समाधान (Solution)
पहला स्टेज
सौर्यदीप और लवकेश बताते हैं कि इस से किसानों को 3 स्टेजड Solution मिलेगा। इसका पहला स्टेज फॉडर यूनिट है, जिससे आमदनी और पशुओं की भी उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसमें कोई ख़ास सप्लाई चेन की जरूरत नहीं पड़ेगी। पशुओं के चारे के डायरेक्ट सेल से पेबैक पीरियड घटकर 20 महीने हो जाएगा।- farming without using soil
दूसरा स्टेज
दूसरे स्टेज में चारा उगाने के बाद किसान मशरूम उगा सकते हैं।
तीसरा स्टेज
तीसरे स्टेज में किसान एक्जोटिक सब्जियां, फूल, औषधियां आदि उगा सकते है और इस स्टेज की सप्लाई के लिए चैन बनानी पर सकती है।- farming without using soil
मदद होगी गरीब किसानों की
गरीब परिवारों, जाति, धर्म, लिंग, दिव्यांगता के कारण जो लोग भेदभाव का शिकार हो रहे हैं, उनकी मदद लवकेश और सौर्यदीप करना चाहते हैं। फिलहाल दोनों लोकल एंटरप्रेन्योरशिप एंटरप्राइज़ बनाने के लिए प्रयासरत है। दोनों युवा विधवाओं, दिव्यांगों और अन्य शोषित लोगों के उन्नति के लिए कार्य करना चाहते हैं।- farming without using soil
नई खोज के लिए मिला पदक
लवकेश और सौर्यदीप ने बताया कि उन्हें अपने नई खोज के लिए Efficiency for Access Design Challenge के ग्रैंड फाइनल में कांस्य पदक मिला है। – two indian students develops method of farming without using soil
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