मोबाइल का आविष्कार होने से इन्सान का जीवन बहुत ही आसान हो गया है। पुराने जमाने में कोई खबर एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने के लिए लोग खत लिखते थे जिसे पहुंचने में अधिक समय लगता था। लेकिन वर्तमान में मनुष्य महज कुछ ही समय में बहुत ही सरलता से दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक सूचना का आदान-प्रदान कर सकता है।
मोबाइल का अविष्कार एक तरह से बहुत फायदेमंद हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ यह हानिकारक भी है। मौजूदा समय में चाहे वह बच्चे हो, बड़े हो या बुजुर्ग सभी को मोबाइल की ऐसी लत लगी है कि वे बिना किसी वजह के भी दिन-रात मोबाइल का इस्तेमाल करते रहते हैं। ऐसे में रात-दिन मोबाइल पर देखना हमारी आंखों के साथ-साथ दिमाग पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे देश भारत में एक ऐसा अनोखा गाँव है जहां मोबाइल की बुरी लत से छुटकारा पाने के लिए शाम के 7 बजे सायरन बजते ही मोबाइल और टीवी बन्द कर देते हैं। आप सोच रहे होंगे आखिर ऐसा क्यों होता है तो चलिए जानते हैं इसके बारें में पूरी जानकारी-
शाम होते ही बंद करना होता है मोबाइल और टीवी
हम बात कर रहे हैं वडगांव गांव (Vadgaon Village) की, जो महाराष्ट्र (Maharashtra) सांगली जिले (Sangli District) में स्थित है। भारत के अन्य मशहूर गांवों की तरह ये भी अपनी विशेषता के वजह से पूरे देशभर में काफी प्रसिद्ध है। जी हां, हमारे देश में कई गांव हैं जो अलग-अलग विशेषताओं के वजह से लोकप्रिय हो चुके हैं जैसे बेटी के जन्म पर पौधें लगाने के लिए धरहरा गाँव, दो देशों के साथ सीमा साझा करनेवाला लोंगवा गांव आदि। उसी प्रकार वडगांव भी इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि यहां शाम 7 बजे सायरन बजते ही पूरे ग्रामवासी अपना-अपना मोबाइल और टीवी बन्द कर देते हैं।
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बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी को लग गई थी मोबाइल की लत
हर चीज के होने के पीछे एक कारण होता है और इस गांव में ऐसा करने के पीछे भी एक ठोस वजह है। दरअसल, Covid-19 के दौरान जब देशव्यापी लॉकडाउन लगा था उस समय सभी स्कूल-कॉलेज, ऑफिस ने ऑनलाइन स्टडी और वर्क पर फोकस किया था। ऐसी स्थिति में बच्चे पढ़ाई के लिए तो बड़े ऑफिस वर्क के लिए मोबाइल के अत्यधिक नजदीक चले गए और अपना अधिक समय मोबाइल पर गुजारने लगे।
उसके बाद कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन हटा और स्कूल-कॉलेज, ऑफिस आदि सब खुल गए और बच्चे स्कूल जाने लगे। इसके बावजूद भी उन्हें मोबाइल की ऐसी लत लगी थी कि वे स्कूल के बाद भी अपना समय मोबाइल को देने लगे और अगर मोबाइल से मन ऊबा तो टीवी देखने में समय व्यतीत करते थे। ऐसे में वे परिवार से धीरे-धीरे दूर होने लगे और परिवार के सदस्यों से बातचीत भी कम हो गई।
मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए लागू हुआ नियम
इस बारें में गांव की वंदना नामक महिला ने बताया कि, ऐसी स्थिति में बच्चों को सम्भालना बहुत बड़ी चुनौती थी। वे अपने दोस्त और परिवार से अधिक मोबाइल और टीवी के पास समय गुजारने लगे थे जिससे रिश्तों में आपसी दूरी बढ़ रही थी। देखते-देखते पूरे गांव के लिए यह एक समस्या बन गई थी जिसका हल निकालना बहुत जरुरी था। ऐसे में गांव के प्रधाने ने एक नियम बनाया कि शाम के सायरन बजते ही सभी ग्रामवासी अपना-अपना मोबाइल और टीवी बन्द कर देंगे।
हालांकि, इस नियम को पूरे गांव (Vadgaon Village) पर लागू करना इतना आसान नहीं था। प्रधान ने अप्नेस नियम के बारें में जब अन्य ग्रामवासियों को बताया तो कईयों ने उनका मजाक उड़ाया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और गांव में एक पंचायत बुलाई गई जिसमें महिलाओं को भी शामिल किया गया। पंचायत में महिलाओं ने इस बात पर अपनी मंजूरी दी कि पूरे गांव में रोजाना एक घंटे के लिए मोबाइल और टीवी बन्द रहने चाहिए।
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पंचायत के बैठक के बाद इय नियम को पूरे गांव पर लागू किया गया। प्रधान के नियम के अनुसार शाम के 7 बजे एक सायरन बजते ही लोगों को अपना मोबाइल और टीवी बंद करना होता है और फिर 8.30 बजे एक सायरन बजने के बाद वे मोबाइल और टीवी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस नियम को बनाए रखने के लिए गांव के मंदिर पर सायरन लगाया गया है जो प्रतिदिन शाम के 7 बजे और फिर 8.30 में बजता है।
नियम के लागू होने के बाद बच्चों में आया है सुधार
पंचायत द्वारा हामी भरे गए इस नियम को आरम्भ में कई ग्रामवासियों द्वारा फॉलो नहीं किया जा रहा था। ऐसे में ग्राम पंचायत के सदस्य गांव में घूम-घूम कर लोगों को इसके बारें में बताते थे और इससे होनेवाले फायदें के बारें में भी जागरुक करते थे। गांव की महिला वन्दना ने बताया कि इस नियम के लागू होने से बच्चों में मोबाइल की लगी लत में काफी बदलाव देखने को मिला है।
वैसे तो वडगांव (Vadgaon Village) में यह एक छोटी-सी पहल है लेकीन इससे लोगों को बहुत बड़ी सीख मिलती है। गांव के इस पहल ना सिर्फ लोगों को मोबाइल की लत कम होगी बल्कि उनके आपसी रिश्ते में भी मजबूती आएगी और सभी एक-दूसरे की अहमियत समझेंगे। The Logically वडगाँव के इस पहल की प्रशंशा करता है।