कुछ लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति अनपढ़ या कम पढ़ा लिखा है तो वह कोई अच्छा काम नहीं कर सकता। ना ही सफल इंसान बन सकता है। वह व्यक्ति सभी के सामने किसी बैठक में नहीं बैठ सकता। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अनपढ़ व्यक्ति एक बेहतर कल का और बेहतर समाज का निर्माण भी नहीं कर सकता। लेकिन इस आधुनिक युग मे हमारे देश के किसान जो कर रहें हैं वह अद्भुत है। आज की इस कहानी में हम आपको ऐसे किसान के बारे में बताएंगे जो 5वीं पास हैं लेकिन यह खेती में सब्जियां उगाकर लाखों की कमाई कर रहें हैं। यह किसान उन सभी के लिए प्रेरणा हैं जो कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद बोरी ढ़ोने का कार्य कर रहें हैं।
विश्वनाथ बोबडे
विश्वनाथ बोबडे (Vishvanath Bobde) महाराष्ट्र (Maharastra) के 5वीं पास किसान है। विश्वनाथ और उनके भाई उनकी जमीन पर खेती कर पम्परागत फसल उगाया करते थे। जब इनके पिता की मृत्य हो गई तब उन्होंने कुछ जमीन बेचकर घर बनवाया। अब उनके पास 4 एकड़ भूमि ही खेती करने के लिए बची। घर खर्च अधिक होने के कारण वह दूसरों के खेतों में काम कर घर का खर्च चलाया करते थे। कुछ वर्ष बाद सन 1992 में उनकी 2 एकड़ जमीन सड़क निर्माण में सरकार ने ले ली। ऐसे ही कुछ दिन बीत गयें तब उनका बंटवारा हुआ। अब दोनों भाईयों के हिस्से में 1-1 एकड़ जमीन बच गई। विश्वनाथ अपने इसी भूमि में मेहनत कर फसल लगाते लेकिन यह परम्परागत खेती करते जिस कारण यह सफल नही हुयें। असफलता हासिल होने के बाद यह खेती के लिए नये-नये प्रणाली को अपनाकर खेती करने लगे जिससे उन्हें अधिक लाभ मिलने लगा।
एक से अधिक लगाते थे फसल
खेती के बारे में विश्वनाथ को अच्छी समझ हो गईं थी। वह जानते थे कि किस मौसम में कौन-सी खेती करनी है। उन्हें यही भी बखूबी पता था कि सिर्फ 2 फसल खेतों में उगाने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने अपनी 1 एकड़ के जमीन को अच्छी तरह से तैयार कर घेरा डाल उसमें अन्य प्रकार की सब्जियां उगाई। साथ ही परम्परागत खेती को भी अपनाये रखा। उन्होंने सब्जियों के रूप में करेला और तरोइ को लगाया। विश्वनाथ इस तरिके से की गई खेती में सफल हुयें और उन्होंने आगे इस खेती में पत्तागोभी के साथ फूलगोभी भी उगाये। इस खेती से उन्हें लगभग 3 लाख का लाभ हुआ। खेती के लिए विश्वनाथ को सिंचाई के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था जो अब तक दूर नहीं हुआ था।
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सिंचाई के लिए खुदवाएं कुएं
विश्वनाथ को सिंचाई के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। उन्होंने गांव में बिन्दुसारा सरिता के निटक सिंचाई के लिए कुंआ खुदवाया और इसीसे खेती की सिंचाई कियें। जब सिंचाई की उचित व्यवस्था उपलब्ध हो गईं तो उन्होंने अपने खेत में तरबूजे और टमाटर भी लगायें। ऐसी सिंचाई की व्यवस्था के लिए उन्हें मोटि रकम लगी। लगभग 2 लाख रुपये ।
जैविक उर्वरक
इस खेती में विश्वनाथ की पत्नी शकुंतला भी उनका मदद करती। विश्वनाथ जैविक उर्वरक का उपयोग कर खेती किया करते थे। स्प्रे गन ओर HTP पंप की मदद से यह फसलों पर उर्वरक का छिड़काव किया करते। जिस किसान के पास 1 एकड़ जमनी थी वह भी विश्वनाथ से प्रेरणा लेकर उनकी तरह खेती करते थे।
आगे चलकर विश्वनाथ ने उच्च क्यारी और मल्चिंग प्रणाली को अपनाया
विश्वनाथ खेती में सफल हुयें। बहुत सारी नई तकनीक भी सीखी। उन्होंने उच्च क्यारी विधि के जरिये भी खेती किया। इस विधि में इन्होंने 6 फिट ऊंची क्यारी बनाकर उन्हें सभी तरफ से घेर दिया। इस तरीके से भी इन्हें अधिक मुनाफा हुआ। इस विधि से एक लाभ और भी है। कोई इतनी ऊंची क्यारी पर नहीं चल सकता जिससे मिट्टी का दबाव बनता है। पौधों की जड़े मजबूत होती है और फसल बर्बाद नही होता है।
इन्हीं क्यारियों पर मल्चिंग विधि अपनाई जाती है। इस मल्चिंग विधि में क्यारी पर कुछ ऐसा तत्व डाला जाता है जो जलवायु को कंट्रोल करने के लिए मदद करता है। जब यह क्यारी लगाते हैं तो इतनी दूरी रखते हैं कि उसमें कोई अन्य फसल लगा सकें। इन्ही खाली जगहों में विश्वनाथ फूलगोभी लगाते हैं। उन्हें इससे भी अधिक मात्रा में मुनाफा मिलता है। विश्वनाथ का मानना है कि 1 हज़ार पेटी टमाटर 1 एकड़ जमीन में लगाये जा सकते है। साथ ही तुरई और 30 टन तरबूज भी उगाया जा सकता है।
5वीं पास होने के बावजूद भी इन्होंने जो खेती की है वह वन्दनीय है। The Logically विश्वनाथ को सलाम करता है।