अगर कोई व्यक्ति सैनिक स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहा है तो यह जरूरी है कि वह फौज के लिए तैयार हो रहा है और आगे चलकर वह देश की सेवा करेगा। लेकिन आज हम आपको जिसके बारे में बताने जा रहे हैं उन्होंने सैनिक स्कूल में पढ़ाई तो की लेकिन सेवा के लिए उन्होंने मिट्टी को चुना। उन्होंने खेती को अपना करियर बनाया।
रोहित (Rohit) बिहार (Bihar) के हाजीपुर (Hajipur) से संबंध रखते हैं। इन्होंने अपनी शिक्षा सैनिक स्कूल से ग्रहण की है। लेकिन उन्होंने फौज में जाने के बजाय खेती की शुरुआत की। आज वह 150 एकड़ में खेती करने के साथ-साथ 200 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
100 टन खरबूज का उत्पादन
रोहित खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने उन किसानों की सोंच को बदला जो पारंपरिक खेती को अपना सहारा मान कर खेती किया करते थे। उन्होंने जो कार्य किया वह पूरी इमानदारी और मेहनत से किया इसीलिए आज वह प्रत्येक सीजन में लगभग 100 टन से भी अधिक तरबूजे बेचकर उससे 40 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं।
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ड्रिप सिंचाई का करते हैं उपयोग
रोहित ने अपने खेतों में खरबूज ही नहीं बल्कि खीरे और केले भी उगाए हैं। वह सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का उपयोग करते हैं ताकि जल का संरक्षण हो सके। वह अब अपने फसलों की देखभाल लगभग 8-10 घंटे करते हैं। उनका मानना है कि खेती करने से कुछ नहीं होगा इसके लिए हमें उसकी मार्केटिंग भी आवश्यक है। वह अपने खेतों के साथ-साथ उसकी मार्केटिंग पर भी ज्यादा ध्यान देते हैं इसी कारण उनके खेतों में उगा खरबूज सिर्फ बिहार हीं नहीं बल्कि बांग्लादेश तक भी बिक रहे हैं। वह अपने खरबूज झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य शहरों में उत्पादित करते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तो इन्होंने अपने खेती की शुरुआत हीं की है आगे उन्हें अपनी जिंदगी में बहुत कुछ करना है।
वृद्धाश्रम खोलने की थी योजना
उनके पिता की ख्वाहिश थी कि रोहित एक ऑफिसर बने। उन्होंने अपनी 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई संपन्न करके वृद्ध आश्रम की स्थापना की योजना भी बना ली थी। लेकिन जब यह कुछ बेरोजगार युवाओं से हाजीपुर में मिले तब उन्होंने निश्चय किया कि वह उन युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था करेंगे। जब उन्होंने खेती का शुभारंभ किया तो उनके पिता उनसे बहुत नाराज हुए क्योंकि वह ट्रेडिशनल खेती किया करते थे और उन्हें भी वही अच्छा लगता। लेकिन रोहित ने आधुनिक तकनीकों को अपनाकर खेती की और वहां के सभी किसानों की सोंच को बदल दिया साथ ही अन्य व्यक्तियों को रोजगार भी दिया।
दूसरों को कर रहे प्रेरित
वह खेती सिर्फ खुद हीं नहीं करते बल्कि युवाओं को इसके लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। उन्होंने हाजीपुर समेत सारण और मुजफ्फरपुर में भी कैंप लगाकर युवाओं को खेती करने की सलाह देते हैं। उन्होंने एग्री क्लिनिक की स्थापना भी की है। उस क्लीनिक में वह सारी मदद की जाएगी जो किसानों को अपनी खेती में होती है। हमारे बिहार सरकार से भी रोहित को सहायता मिलने का आश्वासन प्रदान हुआ है।
अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सफल खेती करने और लोंगो को रोजगार देने के लिए The Logically रोहित जी की सराहना करता है।