समय के हिसाब से लोगों की सोंच बदल रही है, जिसका नतीजा है कि बहुत से क्षेत्र में महिलाओं को पुरुष के बराबर समझा जा रहा है। हालांकि आज भी देश में महिलाओं की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जितनी की उम्मीद हम करते है। हमारे समाज में आज भी कुछ परिवारों में लड़कियों को बोझ समझा जाता है और उनके थोड़े से ही परिपक्व होने पर उनकी शादी कर दी जाती है। – The legal age of marriage for women was raised from 18 to 21 years.
18 साल में लड़कियां मानसिक रूप से मजबूत नहीं होती
भारतीय कानून के अनुसार लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल है, लेकिन इसे भी कच्ची उम्र ही कहा जाएगा क्योंकि बेशक लड़कियां इस उम्र में शारीरिक रूप से परिपक्व होने लगती हैं, लेकिन वह मानसिक रूप से उतनी मजबूत नहीं होती हैं। इसके अलावा उस उम्र तक लड़कियों की पढ़ाई भी पूरी नहीं हो पाती है। ऐसे में अगर उसकी शादी हो जाए तो उसका मानसिक विकास भी थम जाता है।
महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र को 18 से 21 वर्ष कर दी गई है
लड़कियो की भलाई के हित में सोचते हुए केंद्र सरकार ने कैबिनेट के आगे महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र को 18 से 21 वर्ष करने की अपील की थी। कैबिनेट ने 15 दिसंबर 2021 को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, परंतु अभी भी इस प्रस्ताव को मूर्त रूप देने के लिए कानून में लाने और बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में शामिल करने में समय लगेगा। – The legal age of marriage for women was raised from 18 to 21 years.
कमलेश जैन के अनुसार लड़कियो की शादी की सही उम्र 21 वर्ष है
सुप्रीम कोर्ट की सीनियर लॉयर कमलेश जैन (Kamlesh Jain) कहती है कि यह एक अच्छा प्रस्ताव है, क्योंकि 18 वर्ष उम्र शादी के लिहाज से बहुत ज्यादा कम है और 21 वर्ष की उम्र तक पहुंचने पर लड़कियां मानसिक और शारीरिक रूप से काफी हद तक परिपक्व हो जाती हैं। शादी हर किसी के लिए जीवन का एक बड़ा अवसर होता है और उसके साथ ही बहुत सारी जिम्मेदारियां भी उठानी पड़ती हैं तथा बहुत सारे नए रिश्तों को भी निभाना पड़ता है, जिसके लिए समझदारी की बहुत जरूरत होती है, जो 18 वर्ष की उम्र की लड़कियों में नहीं होता।
इस प्रस्ताव का उल्लेख पहली बार नरेंद्र मोदी अपने स्पीच में किए थे
2020 में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने स्पीच में इस बात का उल्लेख किए थे। उसके बाद जून में एक टास्क फोर्स तैयार की गई, जिसकी अध्यक्षता जया जेटली कर रही थीं और टास्क फोर्स में सदस्य के तौर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला तथा बाल विकास, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता मिशन और न्याय तथा कानून मंत्रालय के विधेयक विभाग के सचिव थे। उन सभी लोगों का मानना है कि महिलाओं की शादी अगर देर से की जाए तो उनकी भलाई के साथ-साथ समाज कल्याण, आर्थिक रूप से और सेहत से जुड़ी चुनौतियों को कम करने के लिए अच्छा होगा।
महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव करने के फायदे
कमलेश महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव करने से फायदों के बारे में बताती हैं
- कमलेश के अनुसार यह फैसला महिलाओं की सेहत के लिहाज से अच्छा माना जा सकता है, क्योंकि शादी के बाद बच्चा करने के लिए 21 वर्ष या उसके बाद का समय हीं सही रहता है। 18 वर्ष की लड़की को शादी और संबंधों को निभाने की पूरी तरह समझ नहीं हो पाती और ऐसी परिस्थिति में मां बनने पर उसकी दशा खराब हो जाती है।
- अगर महिलाओं की शादी की उम्र 21 वर्ष हो जाती है, तो इससे वह अपनी पढ़ाई भी पूरी कर सकती हैं क्योंकि 18 वर्ष की उम्र तक लड़कियां ग्रेजुएशन तक ही पहुंच पाती हैं। अगर 21 वर्ष या उसके बाद शादी होती है तो महिलाओं को पढाई के साथ जॉब का भी एक्सपीरियंस हो जाता है।
- सेहत के लिहाज से भी महिलाओं के लिए 21 वर्ष की उम्र या उसके बाद शादी करना सही रहता है क्योंकि 21 वर्ष की उम्र तक महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हो जाती हैं। – The legal age of marriage for women was raised from 18 to 21 years.