हमलोगों ने यह महसूस किया होगा कि आज के समय में बहुत कम हीं ऐसे शख्स मिलेंगे जो पढ़ाई-लिखाई करने की बजाए खेती-बाड़ी को चुनें। लेकिन आज की हमारी कहानी एक ऐसे शख्स की है, जिसने पढ़ाई-लिखाई में रुचि नहीं लगने के कारण आधुनिक खेती को चुना है।
तो आइए जानते हैं उस शख्स से जुड़ी सभी जानकारियां-
कौन है वह शख्स?
हम विकाश वर्मा (Vikash varma) की बात कर रहे हैं, जो हरियाणा (Haryana) के हिसार जिला के सलेमगढ़ गांव के रहने वाले हैं और इनकी उम्र 24 साल है। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, तथा उनके पिता अपने गांव के 5 एकड़ पैतृक जमीन पर परंपरागत खेती करते हैं।
पढ़ाई-लिखाई में नहीं थी रुचि
हरियाणा के हिसार जिले के किसान परिवार में पले-बढ़े विकाश वर्मा (Vikash varma) की शुरु से हीं पढ़ाई-लिखाई में रुचि नहीं थी। वह पढ़ने-लिखने की बजाय हमेशा हीं खेती के तरफ हीं ध्यान देते थे। 2016 में उन्होंने 12वीं की परीक्षा दी लेकिन वे फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने दोबारा कोशिश भी नहीं की और पढ़ाई छोड़ दी।
मशरुम की खेती का बनाया मन
12वीं में फेल होने के बाद विकाश वर्मा (Vikash varma) ने पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अपने प्री प्लानिंग के तहत खेती करने का मन बनाया, लेकिन पारम्परिक खेती करने पर हमेशा मौसम के मार के साथ हीं साथ उनके सामने काफी चुनौतियां थी। उन्होंने काफी विचार-विमर्श करने के बाद मशरुम की खेती करने का मन बनाया। मशरुम की खेती के लिए वे कईं जगहों से जानकारियाँ जुटाने में लग गए।
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ट्रेनिंग के बाद शुरु की खेती
विकाश वर्मा (Vikash varma) ने सोनीपत से मशरुम से जुड़ी ट्रेनिंग हासिल की, इसके बाद, उन्होंने पांच हजार की लागत से अपने घर में मशरूम की खेती शुरू कर दी। मशरुम के खेती के लिए वह खुद हीं कंपोस्ट भी बनाया करते हैं। इस खेती में कुछ आंतरिक खामिया होने के कारण उन्हें पहले साल ही करीब दो लाख रुपए का नुकसान हो गया। लेकिन इसके बाद भी वह हिम्मत नहीं हारे और इसके लिए उन्हें अपने परिवार से भरपुर सहयोग मिला।
नुकसान होने की बड़ी वजह यह थी कि वह सबसे पहले शुरुआत बटन मशरूम से किए थे। इसे उगाने के लिए 20-22 डिग्री तापमान चाहिए। इस लिहाज से इसकी खेती के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा है। बाद में इसे उगाना काफी मुश्किल है। इस तरह वे इसे मौसम के अनुकूल नहीं होने के बजाए भी उगाते रहें तथा साथ ही साथ वह कंपोस्ट बनाने में भी कई गलतियां किए थे, जिसके वजह से उन्हें नुक्सान का सामना करना पड़ा।
लाखों की करते हैं कमाई
अपनी सभी गलतियों को सुधारते हुए विकास वर्मा ने सही ढंग से मशरुम की खेती किया। मशरूम उगाने के लिए उनके पास 45×130 फीट के चार फर्म हैं। जिससे वह हर दिन कम से कम सात क्विंटल मशरूम का उत्पादन करते हैं। उनका उत्पाद स्थानीय बाजारों के अलावा देश के कई हिस्सों में भी निर्यात होता है। इस कारोबार से उनकी रोजाना की कमाई 40-50 हजार रुपए की है।
अब लगाएँ खुद का स्टार्टअप
मशरूम को ज्यादा समय तक नहीं रखा जा सकता है, इसलिए वे (Vikash varma) उत्पादों को बेच दिया करते थे, लेकिन कभी-कभी मशरुम नहीं बिक पाता था। इसलिए उनके दिमाग में मशरूम के प्रसंस्करण का भीं ख्याल आया। वे इस काम को शुरु करना चाहते थे, लेकिन उन्हें इस बारे में विशेष जानकारी नहीं थी। इसके बाद वह मशरूम प्रसंस्करण के गुण सीखने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय गए। वहाँ विश्वविद्यालय में स्थित एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर से उन्होंने मशरूम के बिस्कुट, बड़ी, पापड़, अचार और दूसरे उत्पाद बनाने का हुनर सिखा। इसके साथ हीं साथ वहाँ उन्हें ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग के गुण भी सीखाए गए। अब वह अपने यहां खुद का प्रोसेसिंग यूनिट खोल चुके हैं।
स्टार्टअप के जरिये लोगों को दे रहें रोजगार
इन्क्यूबेशन सेंटर से काफी मदद मिलने के बाद विकाश वर्मा (Vikash varma) नें खुद का प्रोसेसिंग यूनिट खोला तथा उन्होंने स्टार्टअप शुरू कर दिया। आज के समय में वह अपने उत्पादों की डिजिटल मार्केटिंग भी कर रहे हैं। वे आज के समय में मशरूम की खेती से अच्छी-खासी कमाई के साथ हीं साथ महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं।
लोगों के लिए बने प्रेरणा
अपने मेहनत और संघर्ष के बदौलत सफलता हासिल करने वाले विकाश वर्मा (Vikash varma) आज के समय में लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि खेती के क्षेत्र में भी कमाने के अनेको रास्ते हैं। इसके साथ हीं वे सैकड़ों महिलाओं को स्टार्टअप से जोड़कर रोजगार देने का काम किया है जो कि उनके कामयाबी का प्रतिक है।