पिछले कुछ सालों के रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक वेस्ट हमारे वातावरण के लिए बहुत हानिकारक बन गया है। यह अब इतना बढ़ चुका है कि एक खतरनाक समस्या के रूप में दुनिया के सामने खङा है। रिपोर्ट की मानें तो केवल भारत से हर साल 150 लाख टन प्लास्टिक वेस्ट निकलता है, जिसका ज्यादातर हिस्सा समुद्र में बहा दिया जाता है। बाकी चीजों की तुलना में बहुत कम स्केल पर ही प्लास्टिक को डिकम्पोज या रिसाइकिल किया जाता है। – A team of three friends are making bricks from plastic waste.
प्लास्टिक वेस्ट से बनाते है ईंट
इस समस्या को समझते हुए कुछ सालों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर जागरूकता बढ़ी है, जिसका नतीजा है कि कुछ नए स्टार्टअप्स इसको लेकर काम शुरू कर चुके हैं। ठीक उसी तरह असम के रहने वाले तीन दोस्तों ने एक मुहिम शुरू की। दरअसल वह लोग प्लास्टिक वेस्ट से ईंट तैयार कर रहे हैं। आपको बता दें कि यह ईंट नॉर्मल ईंट से बेहतर और सस्ती भी है। इस मुहिम के जरिए तीनों दोस्तो ने साथ मिल कर एक कंपनी की शुरूआत की, जिसका टर्नओवर 2 करोड़ रुपए रहा था।
यह तीनों दोस्त सिविल इंजीनियर हैं
उन तीनों 26 साल के दोस्तों का नाम मौसम, रूपम और डेविड है और वह तीनों सिविल इंजीनियर हैं। मौसम कहते है कि इंजनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें स्टार्टअप का आईडीया आया था। उन्हें लास्ट ईयर में एक प्रोजेक्ट वर्क के तौर पर एन्वायर्नमेंट फ्रेंडली मटेरियल तैयार करने का टास्क मिला, जिस दौरान रिसर्च करने पर यह पता चला कि प्लास्टिक वेस्ट की मदद से ईंट तैयार की जा सकती है। उसके बाद रूपम और डेविड से अपना आइडिया शेयर किया है।
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प्रोसेसिंग में आई मुश्किल
मौसम बताते हैं कि हमने बहुत ही जल्द यह तय कर लिया कि प्लास्टिक वेस्ट से ईंट बनाएंगे, लेकिन उसका प्रोसेस क्या होगा या तय करना मुश्किल हुआ। सबसे पहले उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट को मेल्ट करके ईंट तैयार करने का फैसला किया, लेकिन इस प्रोसेस में काफी मात्रा में कार्बन रिलीज होता था जो एन्वायर्नमेंट के लिए हानिकारक है इसलिए उन्होंने इस प्रोसेस को छोड़ दिया। उसके बाद उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट का पाउडर बनाकर ईंट तैयार करने का फैसला किया, लेकिन अब पाउडर तैयार करने के लिए एक मशीन की जरूरत थी।
ईंट बनाने में मिली कामयाबी
बहुत से रिसर्च के बाद मौसम और उनके दोस्तों ने एक मशीन तैयार किया। उस मशीन के जरिए प्लास्टिक वेस्ट को पाउडर में कन्वर्ट किया जा सकता था। अब यह चुनौती थी कि प्लास्टिक वेस्ट पाउडर के साथ और कौन से प्रोडक्ट मिक्स होंगे और उनकी क्वांटिटी क्या होगी? उसके बाद उन्होंने एक फॉर्मूला तैयार किया, जिसमें प्लास्टिक वेस्ट पाउडर, थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाले वेस्ट, सीमेंट और कुछ केमिकल मिलाए। इस फॉर्मूले से ईंट बनाने में कामयाबी मिल गई। पढ़ाई पूरी कर तीनों दोस्तो ने बेेसिक लेवल पर काम शुरू किया। – A team of three friends are making bricks from plastic waste.
2 लाख रुपये की बजट से शुरू किए कंपनी
मौसम बताते हैं कि साल 2018 में जिरंड नाम से उन्होंने अपनी कंपनी रजिस्टर कराई। शुरुआती दिनों में पैसे के लिए थोड़ी दिक्कत हुई क्योंकि उनकी खुद की लागत केवल 2 लाख रुपए ही थी, लेकिन जल्द ही असम के कुछ इनवेस्टर्स मिल गए, जिसकी मदद से उन्होंने अपनी फैक्ट्री तैयार की। उसके बाद उन्हें सरकार की तरफ से भी ग्रांट मिल गई, जिससे उन्हें IIM के इन्क्यूबेशन से भी काफी सपोर्ट मिला। एक बार ईंट तैयार होने के बाद उन्होंने इसकी मार्केटिंग पर फोकस किया और ब्रांड टू ब्रांड यानी B2B और डायरेक्ट टू कस्टमर D2C दोनों ही लेवल पर काम किया।
हर दिन करते है 10 हजार से ज्यादा ईंट तैयार
धीरे-धीरे लोगों को उनके प्रोडक्ट के बारे में पता चलने लगा, जिससे उनकी कमाई का दायरा और बढ़ गया। मौसम बताते है कि कई बड़े बिल्डर्स के लिए भी हमने काम किया, जिससे पहले साल में ही बहुत लाभ हुआ। अब मौसम और उनकी टीम हर दिन 10 हजार से ज्यादा ईंट तैयार कर रही है। ना केवल नॉर्थ ईस्ट बल्कि देश के दूसरे हिस्से में भी उनके प्रोडक्ट की लोग डिमांड करते है। अपना सेल बढ़ाने के लिए उन्होंने ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी मार्केटिंग का काम शुरू किया।
वेस्ट से ईंट तैयार करने का है एक फॉर्मूला
तीन दोस्तों के द्वारा शुरू किए गए इस स्टार्टअप में अब तक 100 लोगों को रोजगार मिला है। वेस्ट मटेरियल के लिए उन्होंने कई NGO और थर्मल पावर प्लांट से टाइअप किया है, जिससे उन्हें आसानी से वेस्ट मिलता है। मौसम बताते हैं कि हमने वेस्ट से ईंट तैयार करने के लिए अपना एक फॉर्मूला बनाया है, जिसका अब पेटेंट भी मिल चुका है। इस फॉर्मूला के जरिए वह प्लास्टिक वेस्ट से पाउडर बनाते हैं। फिर थर्मल पावर प्लांट से निकले वेस्ट को उसमें मिलाते हैं, जिसमें सीमेंट और कुछ केमिकल मिलाते हैं।
यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली है
सभी पदार्थों को मिक्स कर एक तय शेप में ईंट को ढाल लेते हैं और इससे 48 घंटे में ईंट बनकर तैयार हो जाती है। इसमें करीब 50% से ज्यादा वेस्ट मटेरियल होता है। आपको बता दें कि यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली है तथा इसके प्रोसेस से एन्वायर्नमेंट को कोई नुकसान नहीं होता है। साथ ही यह ईंट अधिक मजबूत और टिकाऊ भी है। मौसम कहते हैं कि हमारे एक ईंट की लंबाई 6 नॉर्मल ईंट के बराबर है और वजन तीन ईंट के बराबर है। इसके अलावा यह नॉर्मल ईंट के मुकाबले 15% सस्ती भी है। – A team of three friends are making bricks from plastic waste.
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