नए स्टार्टअप का आईडिया तो अधिकतर लोगों के पास होता है, लेकिन उस पर काम कैसे करना है यह बहुत ही कम लोग समझ पाते हैं। ऐसे ही स्टार्टअप के लिए भोपाल जैसे स्मार्टसिटी में 12,000 वर्गफीट की जगह दी गई है। इसकी सबसे खास बात यह हैं कि इतनी छोटी सी जगह में बने इंक्यूबेशन सेंटर बी नेस्ट से पिछले पांच साल में 30 करोड़पति स्टार्टअप निकला है।
बता दें कि इनमें से पांच का टर्नओवर 10 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है और बाकी 25 स्टार्टअप 1 से 10 करोड़ रूपए का है। जानकारों के अनुसार बीते 5 साल में कुल 132 स्टार्टअप ने यहां शुरूआत की हैं। By Starting small fund business these companies now have become worth crores.
आजकल लोग तरह-तरह के स्टार्टअप कर रहे हैं। सामान बनाने से लेकर कुछ डिफेंस सेक्टर के लिए सॉफ्टवेयर बना रहे हैं, तो कुछ एनर्जी सॉल्यूशन और ऑटोमेशन के काम में जुटे हैं। यह स्टार्टअप एक तरह की नहीं हैं बल्कि यहां कबाड़ से लेकर ड्रोन रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, वित्तीय सेवाएं और डिफेंस सेक्टर में यूनिक आइडिये पर काम कर रहे हैं। इन कंपनियों को फंड भारत सरकार, टाटा और रिलायंस जैसी कंपनियां देती हैं। काम बढ़ने और बेहतर अवसर मिलने पर अबतक 82 स्टार्टअप यहां से शिफ्ट हो चुके हैं, जिसमें से 50 काम कर रहे हैं और अबतक 30 लाख रुपए तक की फंडिंग हासिल कर चुके हैं।
20 कंपनियां जो इस साल जनवरी में ही शुरू हुई हैं, उनका भी 10 लाख रुपए का फंडिंग हो चुका है। इंक्यूबेशन सेंटर संचालक बताते हैं कि ज्यादतर स्टार्टअप यहां केवल आइडिया लेकर आए थे, लेकिन अब यहां आकर उसे डेवलप करके बड़े करने में सफल हुए हैं। 25 स्टार्टअप करीब 10 करोड़ के आकड़े को पार कर चुकी हैं। अबतक कुल 82 स्टार्टअप यहां से शिफ्ट हो चुके हैं, जबकि 20 इसी साल जनवरी में ही शुरू हुए थे। – By Starting small fund business these companies now have become worth crores.
यह भी पढ़ें:-चावल के बेकार भूसी को शख्स ने बनाया “काला सोना”, अब सालाना 20 लाख रुपये कमा रहें
द कबाड़ीवाला कंपनी (The Kabbadiwala Company)
उन स्टार्टअप्स में से ही एक द कबाड़ीवाला का टर्नओवर 10 करोड़ से ज्यादा हैं, जबकि इसकी शुरूआत टाटा से 4 करोड़ की फंडिंग से हुई थी। द कबाड़ीवाला कंपनी ने कोविड-19 के दौरान नए कोविड केयर सेंटर्स के लिए कबाड़ से अस्थाई बेड बनाई थी। कंपनी आटोमेशन टेक्नोलॉजी ऐसी कंपनियों के लिए सुलभ बनाती है। साल 2015 में शुरू हुई इस कंपनी को अब तक करोड़ों की फंडिंग हो चुकी है। बता दे कि यह कंपनी इंडस्ट्रियल और कारपोरेट ऑटोमेशन के लिए काम करती है।
एडुटेक (Edutech)
आईआरएस अफसर रह चुके प्रशांत मिश्रा ने एडुटेक शुरू किया। वह वर्चुअल रियलिटी का एक लाख रूपए का माउस 200 से 300 रु. में तैयार कर पेटेंट ले चुके हैं। कुछ ही समय में यह इतना डिवेलप हो चुका हैं कि केंद्र ने उन्हें देश के शीर्ष 100 डेवलपरों में शामिल किया है। जानकारों के अनुसार यह स्टार्टअप ऑयल एंड गैस सेक्टर के लिए एनर्जी सॉल्यूशन और ऑटोमेशन का काम करता है। भोपाल स्मार्टसिटी से शुरू हुआ यह कंपनी ग्राहकों में शैल, रिलायंस, गैल और एस्सार जैसी नामचीन कंपनियां हैं।
स्टारब्रू टेकसिस्टम्स (Starbrew techsystems)
2 साल पहले शुरू हुआ स्टारब्रू टेकसिस्टम्स कंपनी डिफेंस सेक्टर के लिए सॉफ्टवेयर बनाती है। यह टेक्टिकल एंड एंड्रायड वायरलेस डेटा कार्ड (टीएडब्ल्यूडीसी) बनाती है, जिसकी मदद से सेना अपने रेडियो के जरिए भी इमेज भेज सकेंगे। बता दें कि यह स्टार्टअप आटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का काम करती हैं। यह एप्लीकेशंस के लिए नए सॉल्यूशन का काम करती है। केवल 15 लाख की फंडिंग से शुरू हुई स्टारब्रू टेकसिस्टम्स कंपनी आज करोड़ों की बन चुकी है। – By Starting small fund business these companies now have become worth crores.