समाज में बदलाव या कुछ बेहतर करने के लिए हमें किसी ऊंचे पद की जरूरत नहीं होती! जरूरत होती है तो हौसले और लगन की जो हमें कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं! इस बात को दिल्ली की रेणु गुप्ता ने पूरी तरह से सही साबित कर दिया है!
ऐसे कई पेरेंट्स की कहानियां हम देख सुन चुके है जो अपने बच्चों से किसी कारण दूर हो जाने पर सारी खुशी त्याग देते हैं लेकिन रेणु गुप्ता के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं है!
63 साल की रेणु के बच्चों ने जब अपने पैरों पर खड़े होने के लिए घर छोड़ा तो वह काफी अकेली हो गई थी लेकिन इस अकेलेपन को उन्होंने अपने आर्ट से दूर कर दिया!
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रेणु कई सालों से अपने आर्ट और पेंटिंग से दिल्ली में अपने घर के आसपास कई साधारण या यूं कह लें खराब हो चुकी चीजों में रंग डालकर उसे खूबसूरत बना दिया! इस काम को करने में उन्हें खुशी मिलती है शायद यही वजह है कि लॉकडाउन में भी वो कुछ न कुछ क्रिएटिव करती रही.
पांच महीने में बदल दिया बंजर जमीन का हुलिया
रेणु ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि वो नॉर्थ दिल्ली में नानक प्याऊ गुरुद्वारा अक्सर जाया करती थी! वहां और शुद्ध वातावरण में उन्हें काफी अच्छा लगता था लेकिन गुरुद्वारे के बाहर की स्तिथि रेणु से देखी नहीं गई! बंजर जमीन पर कूड़े कचरे के ढेर को आवारा पशुओं ने अपना डेरा बना लिया था!
उन्होंने गुरुद्वारे की कमिटी से बातचीत करने का फैसला किया ताकि वें उन्हें साफ सफाई और सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी दें. कमिटी ने उन्हें जिम्मेदारी सौंप भी दी और रेणु उस पर खड़ी उतरी. मात्र पांच महीने में उन्होंने अपने माली और ड्राइवर की मदद से उस एरिया का हुलिया ही बदल दिया.
रेणु का कहना है कि उन्हें ऐसे काम करने में कोई थकावट या कमजोरी नहीं होती है. अगर कोई बदलाव कना है तो उसके लिए कदम तो उठाना ही पड़ेगा!
The Logically रेणु गुप्ता के इस जज्बे को सलाम करता है!