दूध की आपूर्ति हेतु हमारे देश में अधिकतर मात्रा में पशुपालन होता है। हालांकि अब तो बहुत हीं कम्पनियां आ चुकी हैं जो कृत्रिम दूध का भी निर्माण कर रही हैं परतुं ये हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसलिए बेहतर है कि मवेशी पालन द्वारा हीं दूध प्राप्त किया जाए। अगर हम भैंस के विषय मे बात करें तो ये भी दूध का प्रमुख स्रोत मानी जाती है। हमारे देश में इसकी 25 नस्लें पाई जाती है। इस नस्लों में से 12 नस्लों से आप बढ़िया दूध प्राप्त कर सकते हैं।
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के मुताबिक हमारे देश में भैसों की जाफराबादी, नागपुरी, मुर्रा, पंढरपूरी, बन्नी, निलीरावी, चिल्का, सुर्ती, तोड़ा, भदावरी, तोड़ा, तराई, मेहसाणा, जेरंगी, स्वैम्प, मंडल, मराठवाड़ीम, कालाहांडी, परालखेमुंडी, किस्में होती हैं। जिनके सिंग दरांती आकर के होते हैं। इन सबका औसतन उत्पादन 1200-1500 किलो प्रति ब्यात होता है।
-Those varieties of buffalo which produce more milk
पन्ढ़रपुरी भैंस
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के अनुसार पंढरपुरी भैंस का यह नस्ल हमारे देश के महाराष्ट्र के कोल्हापुर, रत्नागिरी एवं सोलापुर डिस्टिक में पाई जाती है। इस मास की भैंस का नाम सोलापुर में स्थित पढ़रपुर गांव के गांव के नाम पर पड़ा है। इसकी सिंग करीब 40 से 50 सेंटीमीटर तक लंबी होती है, वहीं इसका कलर गहरा काला रंग होता है। हालांकि कुछ भैसों के सिर पर सफेद निशान पाए जाते हैं। इन की प्रजनन क्षमता बहुत अधिक होती है एवं हर वर्ष इसका व्यास होता है। वहीं इसकी उत्पादन क्षमता करीब 1700 से 1800 किलोग्राम प्रति व्यास होती है। -Those varieties of buffalo which produce more milk
चिल्का भैंस
चिल्का भैंस हमारे देश के उड़ीसा, गंजम, खुर्दा, कटक एवं पूरी जिले में पाई जाती है। वही इसका नाम ओडिशा के चिल्का झील के नाम पर रखा गया है। इसे लोग देसी भैंस के नाम से पहचानते हैं। यह अधिकतर मात्रा में खड़े क्षेत्रों में मिलती है, इसका कलर भूरा काला होता है। इसका औसतन उत्पादन 500 से 600 किलोग्राम प्रति व्याप्त होता है। -Those varieties of buffalo which produce more milk
तोड़ा भैंस
इस भैंस का नाम तोड़ा आदिवासियों के नाम पर रखा गया है जो कि हमारे देश के तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ी एरिया में मिलती है। इनका शरीर काफी भारी-भरकम एवं मोटा होता है एवं इसकी औसतन उत्पादन क्षमता 500 से 600 किलोग्राम प्रति ब्याज होता है। अगर हम इस के दूध के बारे में बात करें तो उसमें 8% वसा की मात्रा होती है। -Those varieties of buffalo which produce more milk
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भदावरी भैंस
भदावरी भैंस की नस्ल हमारे देश के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, इटावा, ग्वालियर एवं आगरा में पाई जाती हैं। इनके सिर एवं पैर का आकार छोटा होता है। वहीं इसके खूर का कलर काला एवं गर्दन के निचले भाग पर आपको दो सफेद कलर के निशान दिखते हैं। इसकी औसतन क्षमता 1250 से 1350 किलोग्राम प्रति व्यात है। -Those varieties of buffalo which produce more milk
कालाखंडी भैंस
कालाखंडी भैंस हमारे देश के उड़ीसा के गंजाम, आंध्र प्रदेश, रायगड़ा एवं गाजापति में पाई जाती हैं। इसका रंग काला एवं भूरा होता है। इसके माथे पर सुनहरे बाल होते हैं एवं माथा चपटा भी होता है। इसकी औसतन उत्पादन क्षमता 700 से 800 किलोग्राम प्रति व्यात है। -Those varieties of buffalo which produce more milk
नागपुरी भैंस
इस भैंस की किस्मत हमारे देश के महाराष्ट्र के नागपुर अमरावती जिले एवं अकोला में पाई जाती है। इसे लोग इसका एलिचपूरी या बरारी के नाम पर जाना जाता है। इसका सिंग तलवार की तरह लंबा होता है। वही इसके नर प्रजाति के भैंसा का उपयोग वजनदार कामों में किया जाता है। इसकी उत्पादन क्षमता 700 से 120 किलोग्राम प्रति व्यात होता है। -Those varieties of buffalo which produce more milk
नीलीरावी भैंस
इस प्रजाति की भैंस फिरोजपुर जिले के सतलज घाटी एवं पाकिस्तान के साहिवाल में मिलती है। यह मूल रूप से रावी नदी के तट की है। इनके दोनों आंखों के बीच छोटा सा गड्ढा होता है एवं इनका सिर भी छोटा होता है। वहीं इनके नर भैंसा का उपयोग भारी काम में किया जाता है। इसकी उत्पादन क्षमता 1500 से 1800 किलोग्राम प्रति व्यात है। -Those varieties of buffalo which produce more milk
बन्नी भैंस
इस भैंस की प्रजाति हमारे देश के गुजरात के कच्छ क्षेत्र में मिलती है। इसे लोग कुंडी नाम से भी पहचानते हैं। अगर आपने इस भैंस को पाल रखा है तो इसके लिए आपको अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। क्योंकि इसे ज्यादा सर्दी और गर्मी बर्दाश्त हो जाता है। इनका रंग गहरा काला होता है एवं हल्का भूरा भी। वहीं इसका सिंग अंदर की तरफ मुरा हुआ होता है इसकी उत्पादन क्षमता 1100 से 2800 किलोग्राम प्रति व्यात है। -Those varieties of buffalo which produce more milk