Wednesday, December 13, 2023

आत्म सम्मान: वजन करने वाली मशीन से परिवार चलाते हैं, 83 वर्षीय बुजुर्ग किसी से मदद नही लेते

किसी को कैसे बताएं ज़रूरतें अपनी
मदद मिले न मिले आबरू तो जाती है

वसीम बरेलवी साहब का यह शेर आज के समय के लिए बिल्कुल सटीक है। आज हर कोई आत्मनिर्भर होना चाहता है। भलें हीं चंद रुपयों की कमाई हो पर लोगों को दूसरों के सामने हाथ फैलाकर सेल्फ रेस्पेक्ट से समझौता कबूल नहीं। आज की हमारी कहानी भी एक ऐसे बुजुर्ग की है जो अपनी उम्र और बीमारी को दरकिनार कर आत्मसम्मान को ज़्यादा महत्त्व देते हुए अपने जीवनयापन के लिए पैसे कमाते हैं।

Baldev Raj Ahuja

एक हाथ में लाठी और दूसरे में वजन मापने वाली मशीन लेकर हर सुबह घर से निकलते हैं ये बुजुर्ग

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गोपालनगर के रहने वाले इस बुजुर्ग का नाम बलदेव राज आहूजा (Baldev Raj Ahuja) है। इनकी उम्र 83 वर्ष है। अक्सर बीमार रहते हैं, फिर भी एक हाथ में लाठी और दूसरे में वजन मापने वाली मशीन लेकर हर सुबह घर से निकल जाते हैं। गोपालनगर के नुमाइश कैंप में रहने वाले बलदेव अपने परिवार के भरण पोषण के लिए काम करने से इंकार नहीं करते। वह नियमित तौर पर माधव नगर स्थित पंजाब नेशनल बैंक पहुंचते हैं तथा बैंक की पार्किंग के पास मशीन लेकर बैठते हैं। वहां से आते जाते लोगों का वजन मापते हैं जिससे उनकी थोड़ी बहुत आमदनी होती है और उनका घर चलता है।

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कभी एक दिन में 20 से 50 रुपये की कमाई तो कभी एक रुपए की भी नहीं

वहां से गुजरने वाले लोगों में से कुछ लोग वजन कराते हैं, कुछ उन्हें अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं। बलदेव ने वजन मापने की कोई निश्चित रकम तय नहीं की है। इसलिए 5 या 10 रुपए जिसे जितना सही लगता है, उतने पैसे देता है। बलदेव भी बिना कुछ बोले रख लेते हैं। कभी कभार एक दिन में 20 से 50 रुपये तक की आमदनी हो जाती है जिससे उनका घर आसानी से चलता है। वही कई दिन ऐसे भी होते हैं जब एक रुपए की भी कमाई नहीं होती, उस दिन उन्हें खाली हाथ घर लौटना पड़ता है।

Baldev Raj Ahuja work on weighing machine

दूसरों की मदद ली तो इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में लौटाना होगा

बलदेव बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व उनके जवान बेटे की मौत हार्ट अटैक से हो गई है। बेटे की इच्छानुसार उसकी आंखें दान कर दीं गईं। आइबैंक वालों ने बलदेव की आर्थिक मदद करनी चाही पर उन्होंने इंकार कर दिया। बलदेव का मानना है कि अगर हम किसी दूसरे व्यक्ति से सहायता लेते हैं तो हमें उसे कभी न कभी लौटना पड़ता है, इस जन्म में ना सही अगले जन्म में। इसलिए बेहतर है कि हम अपना खर्चा ख़ुद चलाएं, दूसरों के मदद के मोहताज नहीं रहें।

बलदेव बताते हैं कि घर में दो बेटे और एक बीमार पत्नी है। इन सभी का पालन पोषण वही करते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह किसी दूसरे पर आश्रित नहीं है। The Logically बलदेव राज आहूजा (Baldev Raj Ahuja) को सलाम करता है।