कहा जाता है कामयाबी जितनी ही बड़ी होती है संघर्ष भी उतना हीं कठिन होता है। जीवन में बिना संघर्ष के कामयाबी को हासिल नहीं किया जा सकता है। यदि किसी को सफलता हासिल करनी है तो पहले उसे तपती धूप में पिघलना पड़ता है। कठिन मेहनत करने के पश्चात् कामयाबी हासिल करने के बाद लोगों के देखने का नजरिया भी बदल जाता है। किसी भी लक्ष्य को पाने की राह मे गरीबी एक बहुत बड़ी बाधक है लेकिन कहते हैं ना यदि कुछ हासिल करने का दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी बाधा राह को बाधित नहीं कर सकती है।
आज हम आपको ऐसे हीं एक युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने गरीबी को हराकर IPS बना। यहां तक भूख को खत्म करने के लिए उनकी मां भोजन में तेज मिर्च डालती थी। ऐसे हीं कई सारी चुनौतियों का सामना करते हुए आखिरकार उसने IPS बनकर सभी युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक मिसाल पेश किया है।
भोजराम पटेल (Bhojram Patel) छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य के रायगढ़ जिले के तारापुर गांव के रहनेवाले हैं। उनके पिता का नाम महेशराम पटेल है और वह प्राईमरी तक की हीं शिक्षा ग्रहण किए हैं। उनकी माता का नाम लीलावती पटेल है और वह अनपढ़ हैं। जीवन-यापन करने के लिए उनके पास सिर्फ 2 बीघा जमीन के अलावा और कुछ भी नहीं था। भोजराम गांव के हीं सरकारी स्कूल से पढ़े। उन्होंने अपने जीवन के इन सभी कठिनाईयों को सहर्ष स्वीकार किया।
भोजराम ने कुछ करने के उद्देश्य से शिक्षा की सीढ़ी बनाने का संकल्प लिया। वह एक संविदा शिक्षक बने। परंतु उनका लक्ष्य यह न होकर कुछ और था। भोजराम के माता-पिता कम पढ़े-लिखे होने के बाद भी शिक्षा के महत्व को बखूबी समझते थे। इसलिए उन्होंने भोजराम को हमेशा पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रेरित किया करते थे।
भोजराम अपनी स्कूली शिक्षा के समय अपने माता-पिता के साथ खेतो में भी हाथ बंटाते थे। उसके बाद कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद भोजराम का चयन शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के पद पर हो गया। उसके बाद उन्होंने मिडिल स्कूल में शिक्षक के पद पर अध्यापन का कार्य किया तथा स्कूल से छुट्टी मिलने पर सिविल सर्विस की पढ़ाई पर भी ध्यान केंद्रित किया।
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भोजराम की लगन, मेहनत तथा माता-पिता की मेहनत रंग लाई। भोजराम सिविल सर्विस के परीक्षा में सफल हुए। आज वह एक IPS हैं। भोजराम बताते हैं कि उन्होंने गरीबी को बेहद नजदीक से देखा है। एक समय था, जब पेट भरना बहुत बड़ी चुनौती थी। घर में अनाज न होने की वजह से उनकी मां दाल या सब्जी मे अधिक मिर्च डाल देती थी ताकी भूख जल्दी शान्त हो जाए और कम भूख लगे। उन्होंने बताया कि जिस सरकारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण किया उसी स्कूल के बच्चों को पढ़ने मे सहयता करते हैं। वे कहते हैं कि जीवन में कुछ हासिल करने के लिए शिक्षा हीं एक मात्रा साधन है।
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वह अपने व्यस्त जीवन में भी समय निकालकर स्कूल के बच्चों को वक्त देते हैं। भोजराम स्कूल के प्रति अपना कर्ज मानकर बच्चों और गांव के युवकों को करियर में आगे बढ़ने के लिए सफलता के सूत्र भी दे रहे हैं।
भोजराम पटेल ने जिस तरह संघर्षों का सामना करते हुये जीत हासिल की उसके लिए The Logically भोजराम को नमन करता है। इसके साथ ही उनके माता को भी सलाम करता है जिन्होंने अधिक पढ़े-लिखे नहीं होने के बाद भी अपने बेटे को शिक्षा के लिए प्रेरित किया।